भारत-बांग्लादेष कूटनीतिक संबधों की समीक्षा जरूरी

गौतम चौधरी बांग्लादेष के सीमावर्ती क्षेत्रों वाले भारतीय भूभाग पर आंतक और अव्यवस्था जो दिख रहा है वह निःसंदेह बंाग्लादेष द्वारा प्रायोजित है। भारत का केन्द्रीय नेतृत्व इस सच्चाई को चाहे कितना भी झुठलाये यह सवासोलह अना सत्य है कि बिहार, असम, पष्चिम बंगाल के साथ ही साथ पूर्वोतर में बांग्लादेष अपनी विदेषी नीति के तहत सूनियोजित विस्तार में लगा हुआ है। इस विस्तार के पीछे की बांग्लादेषी मानसिकता खतरनाक ही नहीं भारत के विरूद्ध भी है। भारत सरकार यह मानकर चल रही है कि बांग्लादेष भारत के साथ है और विष्व मंच पर भारत का लगातार सहयोग करता रहेगा, लेकिन इस बात में तनिक भी संदेह नहीं है कि आजकल बांग्लादेष भारत से कही ज्यादा निकट चीन के साथ है। चीन और बांग्लादेष की संधी भारत के कूटनीति के खिलाफ जाता है। जिस प्रकार भारत का पष्चिमोत्तर क्षेत्र अंषात है और वहा विदेषी ताकत सक्रिय हो भारत के संघीय ढांचे के खिलाफ काम कर रहा है, उसी प्रकार भारत का पूर्वोत्तर विदेषी ताकतों के निषाने पर है। क्षेत्र की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक स्थिति बडी तेजी से बदल रही है। पूर्वोत्तर में जितना हित चीन को...