कांग्रेस का संसद में नेता प्रतिपक्ष की मांग, न तो नैतिक, न संवैधानिक

गौतम चैधरी/अभिषेक शर्मा विगत दिनों अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से बार-बार बयान दिया गया कि सत्तारूढ गठबंधन लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता के तौर पर उनकी पार्टी के किसी नेता को मान्यता प्रदान करे। इसके पीछे कांग्रेस के अंदर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी की अभिजात्य मानसिकता स्पष्ट रूप से देखने को मिली। हालांकि कांग्रेस के नेता और प्रवक्ता खुलकर संसद में नेता प्रतिपक्ष के लिए सोनिया या राहुल गांधी की वकालत करते नहीं दिखे लेकिन उनका वास्तविक उद्देश्य सोनिया या रहुल को प्रपिक्ष के नेता के रूप में खडा कर सत्ता में एक परिवार की पकड को बनाए रखने में मदद करना ही था। इस मामले में पहले संवैधानिकता का डर पैदा किया गया फिर परंपरा और संसद की मार्यादा एवं गरिमा को हथियार बनाने का प्रयास किया गया। संविधान एवं संसदीय मामलों के जानकारों का कहना है कि प्रतिपक्ष का नेता सचमुच में कोई चीज नहीं होता है लेकिन विधि के द्वारा सन् 1977 में सदन के अंदर नेता प्रतिपक्ष के पद की व्यापक व्यवस्था दी गयी। इन दिनों संसद में एक नई परंपरा चल गयी है वह यह कि प्रतिपक्ष के नेता को केन्द...