चित-परिचित राजनीतिक औजार से बिहार फतह करने के फिराक में नीतीश

गौतम चौधरी विगत दिनों बिहार के मुजफ्फरपुर में किसी ने पूर्व महापौर की हत्या कर दी। हत्या क्यों की गयी, इसके पीछे किसका हाथ है, स्पष्ट नहीं है लेकिन जो बिहार पुलिस बिना किसी तहकीकात के, तहरीर के आधार पर राजस्थान से आरोपी पत्रकार को पकड़कर बिहार के जेल में बंद कर देती है, उस पुलिस के हाथ अभी भी खाली हैं। मसलन पुलिस अंधेरे में तीर चला रही है। इस हत्या को लेकर न तो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कोई बयान आया और न ही भारतीय जनता पार्टी यानी भाजपा कोटे से बनाए गए प्रदेश के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी की कोई संवेदना-संदेश आया। हां जूनियर मोदी ने यह जरूर कहा कि हम बिहार के अपराधियों से विनम्र निवेदन करते हैं कि कृपया पितृपक्ष में अपराध न करें। मुझे लगता है कि सुशील मोदी ने यह बयान जारी कर यह साबित कर दिया कि अपराध पर नियंत्रण करना बिहार सरकार के बस की बात नहीं है। यह एक प्रकार का समझौता है और जिस प्रकार आतंवादियों से सरकार युद्धविराम समझौते के बाद कुछ दिनों के लिए हथियार छोड़ने की अपील करती है उसी प्रकार उप मुख्यमंत्री प्रदेश के अपराधियों से अपील कर रहे हैं। मतलब साफ...