अपनी घिसी-पिटी विदेश नीति को बदले भारत

गौतम चौधरी जब से केन्द्र में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार बनी है तब से कई क्षेत्रों में नीतियां बदली-बदली-सी दिख रही है। बदलना भी चाहिए लेकिन बदली हुई नीति स्पष्ट भी होनी चाहिए। मसलन मोदी के नेतृत्व वाली सरकार की विदेश मंत्रालय की नीति की दिशा बिल्कुल अस्पष्ट है। बहुत जांच परख के बाद यही लगता है कि वर्तमान भारतीय विदेश मंत्रालय की नीति दो बिन्दुओं पर केन्द्रित हो गयी है। एक पाकिस्तान विरोध और दूसरा अमेरिका-इजरायत सामरिक गोलबंदी में अपना हित ढुंढना। इन दो सिद्धांतों पर हमारी विदेश नीति जाकर अटक गयी है। इसे अटकना नहीं चाहिए था। मुझे लगता है कि यह भटकाव है। इससे भविष्य के भारतीय राष्ट्रवाद को व्यापक क्षति उठानी पड़ सकती है। यदि गौर से देखें तों पाकिस्तान बड़ी तेजी से बदल रहा है। उसे अब लग गया है कि इस्लामिक आतंकवाद को साथ लेकर जनरल जिया वाली नीति से उसे बड़ा घाटा हुआ है। वह अब इस नीति से अपना पिंड छुड़ाना चाहता है। पाकिस्तान को इस नीति से अपना पिंड छुड़ाना ही होगा। यदि वह इसी सिद्धांत पर चलता रहेगा तो पाकिस्तान का कई भागों में टूटना तय है। फिर बड़े पैमाने पर पाकिस्तान ...