हमास के रास्ते पर PFI, सामाजिक सौहार्द को बिगाड़ने की कर रहा है कोशिश

गौतम चौधरी इस्लाम के एक विशेषज्ञ और पूर्व पीएफआई समर्थक ने 2015 में दिल्ली में अपने कार्यालय में कहा था कि Popular Front of India (PFI) नेताओं और कार्यकर्ताओं का मानना है कि वे ‘हाराकी’ यानी आंदोलन के लोग हैं, जिनकी इस्लाम की अवधारणा दूसरी इस्लामी आंदोलनों से जुड़े ‘हमास या मुस्लिम ब्रदरहुड’ के समान है। इसी तरह, 2012 में मैंगलोर में पीएफआई मीडिया हाउस में, संगठन के अध्यक्ष ने लोगों को अध्ययन करने की सलाह दी कि किस तरह के इस्लाम ने हमारे आंदोलन को प्रभावित किया है। उन्होंने कहा था कि हम तब्लीगी जमात या सलाफियों की तरह क्यों नहीं हैं? उन्होंने यह भी कहा था कि सलाफी या तब्लीगियों की तहर हम नहीं हो सकते लेकिन हमास की हरत हैं। उपरोक्त तथ्यों का उल्लेख ऑक्सफोर्ड रिसर्च स्कॉलर अरंड्ट-वाल्टर एमेरिच द्वारा लिखित ‘इस्लामिक मूवमेंट्स इन इंडिया, मॉडरेशन एंड इट्स डिसकंटेंट्स’ पुस्तक में किया गया है। हाल ही में, यह पुस्तक तब ध्यान में आई जब पीएफआई के महासचिव अनीस अहमद ने अपने ट्विटर अकाउंट के माध्यम से सिफारिश की पीएफआई को समझने के लिए इसे पढ़ना चाहिए। अनीस अहमद का दुस्साहस चैंकाने व...