एक महिला जिसने अपने बेटे को बलात्कारी बना दिया
गौतम चौधरी
एक दो दिन पहले की घटना है। पॉस्को विषेष न्यायालय ने एक मां को अपने ही बेटे को बलात्कारी बनाने के लिए उम्रकैद की सजा दी है। मामला रूद्रपुर, उत्तराखंड का है। इसी साल बीते 29 जनवरी को एक लड़की की मां ने औद्योगिक परिक्षेत्र रूद्रपुर की रहने वाली सुनीता पर अपनी बेटी के अपहरण की प्राथमीकी दर्ज कराई। पुलिस छानबिन करती रही लेकिन उक्त पीडि़ता के बेटी का कोई पता नहीं चला। इसी बीच पुलिस को जानकारी मिली कि देहरादून में लड़की को अपहरण करके रखा गया है। 25 फरबरी को पुलिस ने कार्रवाई की और सुनीता अपने बेटे के साथ गिरफ्तार कर ली गयी।
आनन-फानन के पुलिस कार्रवाई में लड़की को बरामद कर लिया गया। इसके बाद उस लड़की ने जो आपबीती बताई वह सुनकर रेंगटें खड़े हो जाएंगे। मानवता को शर्मासार करने करने वाली इस घटना का कोई उदाहरण ढुंढते नहीं मिलेगा। उस दिन लड़की घर पर अकेली थी। सुनीता आई और लड़की को बताया कि उसकी शादी वह अपने लड़के से करा देगी। यह कहकर वह लड़की को अपने जाल में फसा लिया और उसे लेकर अपने घर पर चली गाई। घर पर आते ही सुनीता ने पूरी तैयारी की और लड़की को लेकर वह सीधे देहरादून चली गयी। देहरादून में उसका बेटा रहता था। देहरादून आने के क्रम में लड़की के साथ सुनीता मीठी-मीठी बातें करती रही और लड़की को पूर्ण रूप से अपने कब्जे में कर लिया। देहरादून आते ही वह बस स्टैंड से सीधे अपने बेटे के पास चली गयी। जैसे ही बेटे के घर पहुंची महिला का रंग बदल गया। अब वह लड़की को एक घर में बंद कर दिया और उसे प्रताडि़त करने लगी। इतने में शाम हो गयी और फिर रात हुई। रात होते ही लड़की के शरीर पर मानों कष्ट का पहाड़ ही टूट गया हो। सुनीता ने अपने बेटे को उस लड़की के साथ बलात्कार करने के लिए उक्साया और बेटे के साथ पीडि़ता को कमरे में छोड़कर बाहर चली गयी। बाहर से दरबाजा बंद कर दिया। क्या इस प्रकार की कोई घटना किसी ने सुनी है?
पहले सुनीता के बेटे ने प्रेम से लड़की को हमबिस्तर होने के लिए मनाया लेकिन लड़की उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार नहीं हुई। तब सुनीता के बेटे ने लड़की की पिटाई प्रारंभ की और धमकी देने लगा कि अगर उसने उसके साथ संबंध नहीं बनाया तो जिंदा जला दिया जाएगा और किसी को पता भी नहीं चलेगा। यह क्रम बड़ी देर तक चलता रहा। लड़की अंत में हार गयी, वट टूट गयी और उसके साथ सुनीता के बेटे ने कई बार बलात्कार किया। यह क्रम कई दिनों तक चलता रहा। सुनीता बीच-बीच में दोनों के संबंधों का मजा भी लेती रही। इस प्रकार कई दिन बीत जाने के बाद एक दिन पुलिस ने सुनीता के बेटे के घर पर दबिष दिया और सुनीता के साथ उसके बेटे को गिरफ्तार कर लिया। लड़की वही से बरामद कर ली गयी।
सुनीता और उसके बेटे के उपर बलात्कार की धारा पॉस्को के तहत मामला दर्ज किया गया। जांच हुई और जांच में लड़की के सारे आरोप सही पाए गए। मामला पॉस्को विषेष न्यायालय नीलम रात्रा के पास पहुंचा। मामले में आठ गवाहों ने अपनी गवाही प्रस्तुत की और पीडि़ता की ओर से अर्चना पियूष पंत ने जबरदस्त पैरवी की। पॉस्को विषेष न्यायालय ने सजा सुना दी है। सुनीता को उम्रकैद के साथ ही साथ एक लाख बारह हजार रूपये का जुर्माना भी देना होगा।
खैर मामला अभी विषेष न्यायालय से न्याय प्रप्त किया है। इसके उपर भी कई न्यायालय हैं। हो सकता है उपर के न्यायालय में अपराधी छूट जाए लेकिन न्यायालय ने सुनीता को अपराधी घोषित कर दिया है। एक महिला जो जननी होती है, मां होती है, बहन होती है, बेटी भी होती है, उससे भला इस प्रकार की उम्मीद कैसे की जा सकती है। वह अपने बेटे को अपराधी बना रही है। अपने संतान को ही गढे में ढ़केल रही है। इस प्रकार की घटना शायद उत्तराखंड में पहली बार घटी होगी। अपराध के कई रूप हैं। अपराध किसी रूप में सामने आ सकता है। इसलिए मुझे लगता है कि अपराध चाहे जैसा हो, चाहे वह अपनों के द्वारा ही क्यों न किया गया हो उसका जमकर विरोध होना चाहिए और कानून का राज स्थापित हो इसलिए कानून के साथ खड़ा होना चाहिए। यही तो धर्म है। धर्म और कुछ नहीं है एक अनुषासन है, एक आदर्ष है, एक प्रकार का नियंत्रण है। अपराध अधर्म है तो कानून धर्म है। इसलिए सभी धर्मों को छोड़कर आज केवल और केवल कानून के साथ खड़ा होने की जरूरत है।
एक दो दिन पहले की घटना है। पॉस्को विषेष न्यायालय ने एक मां को अपने ही बेटे को बलात्कारी बनाने के लिए उम्रकैद की सजा दी है। मामला रूद्रपुर, उत्तराखंड का है। इसी साल बीते 29 जनवरी को एक लड़की की मां ने औद्योगिक परिक्षेत्र रूद्रपुर की रहने वाली सुनीता पर अपनी बेटी के अपहरण की प्राथमीकी दर्ज कराई। पुलिस छानबिन करती रही लेकिन उक्त पीडि़ता के बेटी का कोई पता नहीं चला। इसी बीच पुलिस को जानकारी मिली कि देहरादून में लड़की को अपहरण करके रखा गया है। 25 फरबरी को पुलिस ने कार्रवाई की और सुनीता अपने बेटे के साथ गिरफ्तार कर ली गयी।
आनन-फानन के पुलिस कार्रवाई में लड़की को बरामद कर लिया गया। इसके बाद उस लड़की ने जो आपबीती बताई वह सुनकर रेंगटें खड़े हो जाएंगे। मानवता को शर्मासार करने करने वाली इस घटना का कोई उदाहरण ढुंढते नहीं मिलेगा। उस दिन लड़की घर पर अकेली थी। सुनीता आई और लड़की को बताया कि उसकी शादी वह अपने लड़के से करा देगी। यह कहकर वह लड़की को अपने जाल में फसा लिया और उसे लेकर अपने घर पर चली गाई। घर पर आते ही सुनीता ने पूरी तैयारी की और लड़की को लेकर वह सीधे देहरादून चली गयी। देहरादून में उसका बेटा रहता था। देहरादून आने के क्रम में लड़की के साथ सुनीता मीठी-मीठी बातें करती रही और लड़की को पूर्ण रूप से अपने कब्जे में कर लिया। देहरादून आते ही वह बस स्टैंड से सीधे अपने बेटे के पास चली गयी। जैसे ही बेटे के घर पहुंची महिला का रंग बदल गया। अब वह लड़की को एक घर में बंद कर दिया और उसे प्रताडि़त करने लगी। इतने में शाम हो गयी और फिर रात हुई। रात होते ही लड़की के शरीर पर मानों कष्ट का पहाड़ ही टूट गया हो। सुनीता ने अपने बेटे को उस लड़की के साथ बलात्कार करने के लिए उक्साया और बेटे के साथ पीडि़ता को कमरे में छोड़कर बाहर चली गयी। बाहर से दरबाजा बंद कर दिया। क्या इस प्रकार की कोई घटना किसी ने सुनी है?
पहले सुनीता के बेटे ने प्रेम से लड़की को हमबिस्तर होने के लिए मनाया लेकिन लड़की उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए तैयार नहीं हुई। तब सुनीता के बेटे ने लड़की की पिटाई प्रारंभ की और धमकी देने लगा कि अगर उसने उसके साथ संबंध नहीं बनाया तो जिंदा जला दिया जाएगा और किसी को पता भी नहीं चलेगा। यह क्रम बड़ी देर तक चलता रहा। लड़की अंत में हार गयी, वट टूट गयी और उसके साथ सुनीता के बेटे ने कई बार बलात्कार किया। यह क्रम कई दिनों तक चलता रहा। सुनीता बीच-बीच में दोनों के संबंधों का मजा भी लेती रही। इस प्रकार कई दिन बीत जाने के बाद एक दिन पुलिस ने सुनीता के बेटे के घर पर दबिष दिया और सुनीता के साथ उसके बेटे को गिरफ्तार कर लिया। लड़की वही से बरामद कर ली गयी।
सुनीता और उसके बेटे के उपर बलात्कार की धारा पॉस्को के तहत मामला दर्ज किया गया। जांच हुई और जांच में लड़की के सारे आरोप सही पाए गए। मामला पॉस्को विषेष न्यायालय नीलम रात्रा के पास पहुंचा। मामले में आठ गवाहों ने अपनी गवाही प्रस्तुत की और पीडि़ता की ओर से अर्चना पियूष पंत ने जबरदस्त पैरवी की। पॉस्को विषेष न्यायालय ने सजा सुना दी है। सुनीता को उम्रकैद के साथ ही साथ एक लाख बारह हजार रूपये का जुर्माना भी देना होगा।
खैर मामला अभी विषेष न्यायालय से न्याय प्रप्त किया है। इसके उपर भी कई न्यायालय हैं। हो सकता है उपर के न्यायालय में अपराधी छूट जाए लेकिन न्यायालय ने सुनीता को अपराधी घोषित कर दिया है। एक महिला जो जननी होती है, मां होती है, बहन होती है, बेटी भी होती है, उससे भला इस प्रकार की उम्मीद कैसे की जा सकती है। वह अपने बेटे को अपराधी बना रही है। अपने संतान को ही गढे में ढ़केल रही है। इस प्रकार की घटना शायद उत्तराखंड में पहली बार घटी होगी। अपराध के कई रूप हैं। अपराध किसी रूप में सामने आ सकता है। इसलिए मुझे लगता है कि अपराध चाहे जैसा हो, चाहे वह अपनों के द्वारा ही क्यों न किया गया हो उसका जमकर विरोध होना चाहिए और कानून का राज स्थापित हो इसलिए कानून के साथ खड़ा होना चाहिए। यही तो धर्म है। धर्म और कुछ नहीं है एक अनुषासन है, एक आदर्ष है, एक प्रकार का नियंत्रण है। अपराध अधर्म है तो कानून धर्म है। इसलिए सभी धर्मों को छोड़कर आज केवल और केवल कानून के साथ खड़ा होने की जरूरत है।
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