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आखिर फलस्तीन में क्या मिलेगा भारत को-गौतम चौधरी

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विगत दिनों सयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत ने महासभा के उस प्रस्ताव का समर्थन किया जिसमें इजराइल के अधीन वाले फलस्तीन को स्वतंत्र राजनीतिक इकाई यानि देष बनने का मार्ग प्रयस्थ हो गया है। हालाकिं इस मतदान में दुनिया के कई प्रभावषाली देषों ने महासभा के फलस्तीनी प्रस्ताव का समर्थन किया है, लेकिन इस प्रकरण में भारत का समर्थन अप्रत्याषित तो नहीं, परंतु सदेंह तो पैदा कर ही देता है। कुल मिलाकर कोई भी देष किसी का समर्थन या विरोध अपना हित अनहित सोच और समझकर करता है। लेकिन भरत का इस मामले में नफा इजरायल के साथ सफ दिखता है बावजूद भारत ने अरब का समर्थन कर दिया है। यह समर्थन तो इजराइल-भारत संबंधों पर नकरात्मक प्रभाव डाल ही डालेगा ना। अगर भारत यह समझ रहा है कि इजरायल को भारत के समर्थन के अलावा कोई विकल्प नहीं है तो यह भारतीय कूटनीति की सबसे बडी भूल है क्योंकि आए दिन पाकिस्तान लगातार इजरायल के सथ अपना संबंध सुधार रहा है। गंभीरता से विचार किया जाए तो विगत दिनों सम्पन्न इस घटनाक्रम में हर पक्ष को कही न कही फायदा होता दिख रहा है, जबकि भारत को फलस्तीन का समर्थन करने से कोई फायदा नहीं होता दिखाई दे रहा