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Showing posts from January, 2021

पाकिस्तान की तुलना में बेहतर जीवन जी रहे हैं भारतीय मुसलमान

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हसन जमालपुरी जब कभी भारतीय मुसलमानों के आर्थिक, सामाजिक परिप्रेक्ष्य की बात की जाती है तो उसकी तुलना स्वाभाविक रूप से पाकिस्तानी मुसलमानों के साथ की जाती है। स्वाभाविक भी है। क्योंकि सांस्कृतिक और धार्मिक आजादी के नाम पर ही कुछ मुस्लिम नेताओं ने पाकिस्तान की मांग की और मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व में वह तबका पाकिस्तान चला गया। चुनांचे पाकिस्तान में भारत से गए मुसलमानों को मोहाजिर कहा जाता है। समय बीता परिस्थितियां बदली और आज पाकिस्तान में बसने वाले ये मुहाजिर अपने आप को दुखी और ठगा महसूस कर रहे हैं। उनकी तुलना में भारतीय मुसलमान कहीं आगे हैं। 1947 में, जब पाकिस्तान को भारी रक्त पात के तहत भारत से अलग किया  गया था, सिंधियों ने पाकिस्तान को चुना, जबकि भारत से बड़ी संख्या में उर्दू बोलने वाले मुस्लिमों ने सिंध प्रांत में बसना पसंद किया। सिंधी हिंदुओं, जिनको भारत भागने के लिए मजबूर किया गया उनके द्वारा खाली की गई संपत्ति को प्रवासि भारतीय मुस्लिम के लिए आवंटित कर दिया गया। इन्हीं जिन्हें मुसलमानों को पाकिस्तान में मोहाजिर के नाम से जाना जाता था। दरअसल, मोहजिर शब्द का इस्तेमाल पाकिस्ता

हेमंत शासन का एक साल, इश्तिहारों के जश्न में जमीनी हकीकत की मीमांसा

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Gautam Chaudhary हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली महागठबंधन की झारखंड सरकार ने अभी हाल ही में एक वर्ष पूरा किया है। अपने वर्षगांठ के मौके पर सरकार ने छोटा-सा जश्न भी मनाया। स्वाभाविक  रूप से जश्न बनता भी है। इस मौके पर सरकार के मुखिया ने बड़े जोरदार तरीके से आपनी पीठ थपथपाई और अपने द्वारा एक साल में किए गए कार्यों को लोगों के सामने रखा। उपलब्धियों के निक्षेप बड़े-बड़े होर्डिंग-इश्तिहारों के रूप में आपको पूरे प्रदेश भर में दिखेंगे। सड़कों पर, सार्वजनिक स्थानों पर, मसलन चैक-चैराहों पर लगे होर्डिंगों में सरकार ने अपनी एक साल की उपलब्धियों को मुकम्मल तरीके से स्थान दिलवाने की कोशिश की है। जिन उपलब्धियों की सरकारी अपने प्रचारों में जगह दी है, उसमें से अधिकतर का जमीन पर कोई वजूद नहीं दिखता लेकिन इससे सरकार की उपलब्धियां कम नहीं होती है।  वैसे किसी सरकार के लिए एक साल का समय कोई ज्यादा नहीं होता है और तरंत इसकी समीक्षा करना भी ठीक नहीं है लेकिन जब सरकार खुद अपनी ओर से इश्तेहार दे रही है तो समीक्षा करना स्वाभाविक हो जाता है। इसमें कहीं कोई संदेह नहीं है कि हेमंत की सरकार ने कोविड-19 जैसी वैश्विक महामार

कोविड 19 वैक्सीन के खिलाफ फैलाई जा रही अफ़वाह से सावधान रहें

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गौतम चौधरी  जब पूरी मानवता कोविद 19 महामारी के कारण अनिश्चितता की स्थिति में है और इसके परिणामस्वरूप दुनिया भर में जान माल की हानि हो रही है, ऐसे में कुछ मौक़ापरस्त और मानवता के दुश्मन दुष्प्रचार में लगे हैं। सोशली मीडिया का उपयोग कर पहले तो कोविड के वैक्सीन पर सवाल खड़ा किया गया और जब इससे मन नहीं भरा तो अब वैक्सीन में सूअर की चरबी होने का अफ़वाह फैलाने लगे हैं। दुनिया की कई वैक्सीन निर्माता कंपनियों ने कोविड टीका बनाने का दावा किया है। फ़ाइज़र, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका जैसी वैक्सीन बनाने वाली बड़ी कंपनियों ने सूअर की चरबी वाले अफ़वाह पर सफाई भी दी है। कंपनियों के प्रबंधन की ओर से जारी जानकारी में बताया गया है कि उन्होंने अपनी वैक्सीन में जिलेटिन का इस्तेमाल नहीं किया है। मानव इतिहास में कोरोना वायरस दुनिया में सबसे खतरनाक आपदा और विनाशकारी बीमारी के रूप में सामने आया है। वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने सैकड़ों रातों की नींद हराम कर, इस खतरनाक बीमारी के प्रभाव को कम करने की क्षमता वाले नए टीके विकसित किए हैं। ऐसे में इस टीके का हमें स्वागत करना चाहिए और मानवता के रक्षक वैज्ञानिकों का धन्यवा