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Showing posts from October, 2015

देश की बिगड़ते माहौल के लिए सत्तारूढ दल और प्रतिपक्ष दोनों जिम्मेदार

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गौतम चौधरी गोमांस के मामले में राजनीति कर रही है सभी राजनीतिक पार्टियां विगत दो-तीन महीनों से देश के अंदर एक अजीव सा माहौल देखने को मिल रहा है। यह वास्तविक अराजकता है या फिर समाचार माध्यमों की सुर्खियां मात्र बन रही है, इसपर विमर्श की जरूरत है। कुछ प्रेक्षक इस माहौल को बिहार विधानसभा चुनाव के साथ जोड़कर देख रहे हैं। कुछ का कहना है कि केन्द्र सरकार को जब से यह सूचना मिली है कि उनकी छवि खराब हो रही है, तभी से माहौल में नकारात्मक परिवर्तन आया है। कुछ लोग इस माहौल के साथ कॉरपोरेट मुनाफे को जोड़ रहे हैं, तो कुछ ऐसे भी लोग हैं जो दबी जुवान यह कह रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी योजनाबद्ध तरीके से बहुसंख्यकों के ध्रुविकरण पर काम कर रही है। इन तमाम बिन्दुओं के दो पक्ष हैं। जैसे उदारहण के तौर पर, भारतीय जनता पार्टी बहुसंख्यकों के ध्रुविकरण में लगी है, इसका दूसरा पक्ष यह है कि जो लोग भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगा रहे हैं, वह भी वही कर रहे हैं जिसके लिए वे भाजपा को बदनाम कर रहे हैं। खैर जो भी हो, चाहे कुछ लोग इसे समाचार माध्यमों की सुर्खियां ही माने, पर इसमें कही कोई संदेह नहीं है कि इस माहौ

भारत में औद्योगिक क्रांति ला सकता है जर्मन तकनीक

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गौतम चौधरी  जर्मन मोटर ब्हीकलल टेकAोलाजी का सॉफ्ट डेस्टिनेशन बन सकता है भारत   नरेंद्र मोदी जबसे प्रधानमंत्री बने हैं, दर्जनों विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को भारत की यात्र करा चुके हैं लेकिन ऐसा लगता है कि जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल की यह यात्र औरों से कुछ हटकर है, जो भारत-जर्मनी दोस्ती को लम्बे समय तक प्रभावित करने वाला साबित हो सकता है। जर्मन चांसलर मर्केल की यात्र के दौरान दोनों देशों ने 18 समझौते किए हैं। उनमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण, सौर ऊर्जा संबंधी समझौता है। यदि जर्मनी समझौते के अनुसार सवा दो अरब डॉलर सौर ऊर्जा के लिए भारत में लगा दे तो भारत का चित्र बदल जाएगा। भारत धूप का देश है। भारत की धरती पर सूर्य देव की विशेष कृपा है। यहां असीम सौर ऊर्जा की संभावना है। यदि जर्मनों से हमने सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के गुर सीख लिये तो उर्जा के क्षेत्र में दुनिया के विकसित देशों को हम टक्कर दे सकते हैं। किसी भी देश के आधारभूत संरचना निर्माण के लिए इस्पात उद्योग, कपड़ा उद्योग एवं उर्जा उद्योग का होना जरूरी होता है। दुनिया का वही देश समृद्ध और ताकतवर माना जाता है जिसके पास इन तीन आधारभूत संरचना

श्वेत सोना पर सफेद मक्खी का आक्रमण

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गौतम चौधरी कपास की पारंपरिक खेती में अवैज्ञानिक संशोधन गैरवाजिव पंजाब में इन दिनों श्वेत-सोना, यानि कपास की खेती पर जबरदस्त हंगामा मचा है। पंजाब विधानसभा के सत्र से लेकर बठिंड, अबोहर, फाजिल्का, फिरोजपुर, फरीदकोट के कपास उत्पान क्षेत्र तक यह हंगामा देखा जा रहा है। हंगामा होना भी स्वाभाविक है। कपास की खेती करने वाले किसानों ने अपनी पूरी जमा-पूंजी लगाकर कपास की खेती की और जब कपास तैयार होने को हुआ तो सफेद मक्खी ने आक्रमण कर दिया। तय है कि सफेद मक्खी की मार वाले कपास अब कैड़ियों के दाम बिकेंगे।  सफेद मक्खी के बारे में ‘‘मुण्डे-मुण्डे मतिभिन्ना’’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। हर विशेषज्ञ इस मामले में अलग राय रखते है। इस मामले में सरकार की नीयत पर भी सवाल खड़े किये जा रहे हैं। लिहाजा सरकार की उदासीनता और नकारात्मकता पर भी चर्चा हो रही है। पंजाब के किसानों का तो यहां तक आरोप है कि सरकार की नकारात्मकता के कारण कपास की फसलें मार खा ही है। हालांकि इस आरोप में कोई ज्यादा दम दिखता नहीं है लेकिन विगत कुछ वर्षो से कपास के उत्पादकों पर सरकारी नीतियों का नकारात्मक असर तो पड़ा है। इस मामले में

साम्राज्यवादी मनोवृति का प्रतिफल है नशों का अवैध कारोबार

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गौतम चौधरी नशों के अवैध कारोबार के मकड़जाल को तोड़ना जरूरी वैश्विक स्तर पर नारकोटिक्स को लेकर एक बार फिर से माहौल गरमाने लगा है। विगत दिनों संयुक्त राज्य अमेरिका ने कुछ देशों की सूचि जारी कर कहा है कि ये देश नशीले पदार्थो के अवैध व्यापार के रोक-थाम के लिए वैश्विक मानक की अवहेलना कर रहे हैं। इस सूचि में भारत का नाम भी शामिल किया गया है। संयुक्त राज्य द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत नशीले पदार्थो का व्यापाकर मार्ग बन गया है। इस मामले में अभी तक भारत की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है लेकिन इस रिपोर्ट के आने के बाद स्वाभाविक रूप से वैश्विक राजनीति में एक मोर्चा का बनना तय है। विगत कुछ वर्षो से नशे के कारण भारत में भी खूब हाय-तौवा मचा हुआ है। इन दिनों भारत में पूवरेत्तर राज्यों के अलावा गोवा, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं पंजाब में नशों की खपत जबरदस्त तरीके से बढी है। सतही तौर पर देखें तो मामला सामान्य-सा दिखता है लेकिन पंजाब में जो घटनाएं घट रही है उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि नशों ने अब पंजाब के सामाजिक ताना-बाना को प्रभावित करना प्रारंभ कर दिया है। इसके

नये सामरिक टकराहट की ओर बढ रही है दुनिया

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गौतम चौधरी  सीरिया में रूस की बढती अभिरुचि अमन के लिए खतरनाक रूस की सेना ने सीरिया में अपना आधार बना लिया है। रूसी सेना लगातार इस्लामिक स्टेट (आईएस) के आतंकी ठिकानों पर हमला भी करने लगी है। बीते दिन रूसी सेना के हवाई आक्रमण के कारण 19 आईएस आतंकियों के मारे जाने की खबर है। रूसी आक्रामकता का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसने सीरिया की सामरिक बंदरगाह पर अपना युद्धक पोत खड़ा कर दिया और आईएस के खिलाफ उसने 40 से अधिक लड़ाकू विमान लगा रखे हैं। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का कहना है कि शीतयुद्ध के बाद पहली बार रूस इतना आक्रामक हुआ है। जो खबर आ रही है वह यदि सत्य है तो जल्द ही रूस ईरान में भी अपना सैन्य आधार बनाने वाला है। इधर पहले से ही शिया समर्थक हूदी आतंकवादी यमन में मोर्चा खोल संयुक्त राज्य अमेरिका के परम मित्र सउदी अरब की नाक में दम किये हुए हैं। हालांकि रूस के बेहद आक्रामक होने पर यह कह देना कि दुनिया से संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रभुत्व के दिन लद गये, बेहद गलत आकलन होगा लेकिन रूस के इस अभियान से विश्व का कूटनीतिक परिदृश्य बदलने की संभावना तो है, इसपर किसी को कोई आपत्ति