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Showing posts from June, 2012

नेपाल में आत्माघाती रणनीति अपना रहा है भारत-गौतम चौधरी

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इन दिनों नेपाल की राजनीति बडी तेजी से बदल रही है। आषंका के अनुरूप नेपाली माओवादी आपस में विभाजित हो गये हैं। इधर डॉ0 बाबुराम मट्टराई ने बिना किसी सम्वैधानिक अधिकार के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर जमे हुए है, जबकि उन्होंने खुद लोकसभा को भंग कर फिर से चुनाव की घोषणा की है। इस संदर्भ में डॉ0 भट्टराई ने न तो अपनी पार्टी को विष्वास में लिया और न ही प्रतिपक्षी दलों को साथ लिया। प्रधानमंत्री भट्टराई इस पूरे सम्वैधानिक निर्णय में देष के सर्वोच्च सम्वैधानिक प्रमुख राष्ट्पति को विष्वास में नहीं लिया है। नेपाल के लिए यह परिस्थिति गंभीर संकट का संकेत दे रहा है। यहां जो विषय सबसे ज्यादा रहस्यमय और चौकाने वाला है वह इस पूरे मामले पर भारत की चुप्पी है। लगातार नेपाल के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने वाला भारत आखिर डॉ0 भट्टराई के इस गैर सम्वैधानिक और तानाषाही रवैये से चुप क्यों है, यह समझ से परे है। इस परिस्थिति में एक खबर यह भी आ रही है कि चीन के राजदूत नेपाल के इस राजनीतिक संकट के बीच विगत दिनों एक महीने की छुटटी पर अपने देष चले गये थे। इन तमाम परिस्थितियों का मुआयना करने से यही लगता

नितिश का जातिवादी चेहरा एवं समाजवादी पाखण्ड-गौतम चौधरी

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विगत कुछ दिनों से खुर्राठ समाजवादी और बिहार के मुख्यमंत्री नितिष कुमार कुछ ज्यादा ही मुखर हो गये हैं। बिहार में सुषासन का दावा करने वाले कुमार और कुमारी कुनवां अब यह साबित करने के प्रयास में है कि जनता दल (यूनाइटेड) में नितिष कुमार से बडा कोई नेता नहीं है। हालांकि कुछ मीडिया समूह नितिष कुमार को अगले प्रधानमंत्री के रूप में भी प्रस्तुत करना प्रारम्भ कर दिया है, लेकिन इस मामले में कुमार खुद खुलकर ताल ठोकने से परहेज कर रहे हैं। इससे इस कयास को बल मिलने लगा है कि कुमार और कुमार के समर्थक अब नई राजनीति भूमिका की तलाष में हैं। इन तमाम राजनीति उठापटक के बीच बिहार और बिहार में विकास तथा सुषासन का नारा, जो खुद नितिष कुमार ने दिया था वह अब पीछे छुटता जा रहा है और बिहार एक बार फिर लालू प्रसाद यादव की पुर्नावृत्ति के लिए तैयार हो रहा है। जिसका सबसे बडा उदाहरण रणवीर सेना के संस्थापक बर्मेष्वर मुखिया की हत्या और उसके बाद बिहार में मचाया गया उत्पात है। जानकार ही नहीं आंकडे बताते हैं कि बिहार में जो विकास दिख रहा है वह केन्द्र के पैसे और केन्द्र के दबाव के कारण दिख रहा है, गोया नितिष कुमार का प्र