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Showing posts from March, 2020

कोरोना से उबरने के बाद बदल जाएगा दुनिया का आर्थिक भूगोल

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गौतम चौधरी@ कोरोना संक्रमण से उत्पन्न वैश्विक आपदा को लेकर कई प्रकार की भविष्यवाणियां की जा रही है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना प्राकृतिक नहीं यह दुनिया के दो महाशक्तियों के बीच की लड़ाई का नतीजा है। कुछ जानकारों का तो यहां तक कहना है कि आने वाले समय में युद्ध का पारंपरिक तरीका बदल जाएगा और इसी प्रकार एक-दूसरे अपने विरोधियों को परास्त करने के लिए क्षद्म और कूट तरीकों का इस्तेमान करेंगे। इस वायरस के विश्वव्यापी प्रभाव और महाविनाशक क्षमता को लेकर चीन ने अमेरिका और अमेरिका ने चीन पर आरोप लगाए हैं लेकिन इन दोनों देशों के आरोपों से यह तो साबित हो गया है कि इस वायरस को हथियार के रूप में भी प्रयोग किया जा सकता है। जो भी हो लेकिन इस जैविक आपदा के बाद दुनिया पूरी तरह बदल-बदली-सी दिखेगी। इसका आभास अभी-से होता दिख रहा है। इसमें कोई संदेह नहीं है कि वर्तमान दौर का सबसे ताकतवर देश संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) है। उसके पास दुनिया की अर्थव्यवस्था की कुंजी है। उसके पास दुनिया को मिंटों में तबाह करने वाले अत्याधुनिक हथियार हैं। उसके पास अपार खनिज संपदा है। उसके अन्न के भंडार भरे हैं

तो क्या सचमुच सरयू राय चौथे पूर्व मुख्यमंत्री को भी भेजवाएंगे जेल?

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गौतम चौधरी  झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रघुवार दास पर शिकंजा कसता जा रहा है। हालांकि जब वे मुख्यमंत्री थे तो उन्हीं के मंत्रिमंडलीय साथी सरयू राय ने उन्हें कई बार चेतावनी दी थी कि यदि वे नहीं संभले तो बिहार और झारखंड के तीन पूर्व मूख्यमंत्रियों की तरह उन्हें भी जेल जाने से कोई रोक नहीं सकता है। सरयू राय बिहार और झारखंड के ऐसे राजनेता हैं, जिन्होंने इन राज्यों के तीन-तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को जेल भिजवाया है। इन तीन में से पंडित जगन्नाथ मिश्र की मृत्यु हो चुकी है लेकिन दो अभी भी जेल के सलाकों के पीछे हैं। पंडित मिश्र बहुचर्चित चारा घोटाले मामले में दोषी थे और कई वर्षों तक जेल में रहे। इसके बाद इस घोटाले के सबसे बड़े आरोपी बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव हैं, यादव को जेल तक पहुंचाने में सरयू राय की बड़ी भूमिका रही है।   आइए पहले सरयू राय को जानते हैं। सरयू राय ने 1994 में सबसे पहले पशुपालन घोटाले का भंडाफोड़ किया था। उन दिनों लालू प्रसाद यादव की तूति बोलती थी। सबसे पहले राय ने ही लालू यादव पर आरोप लगाया था। उन दिनों राय भाजपा के नेता हुआ करते थे। राय लंबे समय तक बि

प्रधानमंत्री के आह्वान से समझिए कोरोना से लड़ने के लिए भारत तैयारी सतही है

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गौतम चौधरी   कोरोना संक्रमण से बचाव को लेकर बीते गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्टÑ को संबोधित किया। बेहद भावपूर्ण तरीके से उन्होंने अपनी बात रखी। लोगों को जिस बात को लेकर प्रधानमंत्री से आशा थी, उस आशा पर प्रधानमंत्री खड़े तो नहीं उतरे अव्वल बिना किसी पैकेज और सब्सिडी की घोषणा के उन्होंने जनता से ही कुछ मांग कर चले गए। उन्होंने जनता को ताली और थाली बजाने का आह्वान भी किया। हालांकि यह सराहनीय है लेकिन जब संक्रमण का दूसरा और तीसरा चरण आएगा तो थाली और ताली से काम नहीं चलने वाला है। दूसरी ओर दुनिया पर जब नजर दैराते हैं तो स्थितियां भिन्न दिखती है। मसलन इटली के प्रधानमंत्री गिउसेप कोंटे ने कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझने के लिये बीते बुधवार को 25 अरब यूरो यानी 28.3 अरब डॉलर के पैकेज की घोषणा की।  इटली के वित्त मंत्री रॉबर्टो गुआलतिएरी ने कहा कि इनमें से आधी राशि का इस्तेमाल तत्काल किया जाएगा और आधी राशि को सुरक्षित कोष में रखा जाएगा। इटली ने कोरोना वायरस के संक्रमण से जूझने के लिये पिछले सप्ताह 7.5 अरब यूरो के पैकेज की घोषणा की थी। उल्लेखनीय है कि कोरोना वायरस के संक्रम

मनातू के मउआर को आप जानते हैं क्या?

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गौतम चौधरी  पहाड़, जंगल, गांव और समुद्री द्वीपों पर कुछ कहानियां यूं भटकती आत्मा की तरह घुमती रहती है। उन कहानियों में से कुछ भूत-प्रेत, डयन-चुड़ैल की कहानियां होती है, तो कुछ राजा-रानियों व जमीनदारों के रहस्य की कहानियां होती है। कुछ अधुरी प्रेम कहानियां भी होती है। उन कहानियों में झेपक और मिथक आदि की परंपरा अनादिकाल से चलती आ रही है। ये कहानियां नानी-दादी की जुवान से नई पीढी को हस्तांतरित होती है, या फिर गांव के किस्सागो उसे बड़े भावपूर्ण तरीके से प्रस्तुत करते हैं। ये कहानियां समाज में लंबे समय तक अपना स्वरूप बदल-बदल कर जिंदा रहती है। कभी-कभी उन कहानियों के पात्र सजीव हो उठते हैं और लोगों के सामने आ जाता है। वह पल बड़ा रोचक होता है और रोमांचक भी होता है। उन पात्रों को देखना, उसे समझने की कोशिश करना अपने आप में अद्भुद होता है। कभी-कभी उन पात्रों के साथ कहानियां न्याय नहीं करती है क्योंकि उस पात्रों के उपर चिपका दिया गया अलंकार उसे वास्तविक स्वरूप में आने ही नहीं देता है। इस प्रकार के अलंकरण, कहानीकारों के पूर्वाग्रह का नतीजा होता है। मसलन कहानी गढ़ने वाले अपनी प्रतिभा और व्यक्तित्

अमेरिकी षड्यंत्र का हिस्सा तो नहीं है करोना वायरस?

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गौतम चौधरी  क्यूबा की सरकारी स्वामित्व वाली कंपनी ने कोरोना वायरस की दवा विकसित करने वाली तकनीक को प्राप्त कर लेने का दावा किया है। कंपनी का दावा है कि वह जल्द कोरोना वायरस को निष्प्रभावी बनाने वाली दवा का आविष्कार कर लेगा। इधर क्यूबा की साम्यवादी सरकार ने यह भी दावा किया है कि जैसे ही कोरोना वायरस को खत्म करने वाली दवा बनेगी हम बिना किसी रुकावट के विश्व मानवता के लिए इसे संक्रमित देशों में भेजना प्रारंभ कर सकते हैं। क्यूबाई सरकार के ठीक कुछ दिन पहले जर्मनी की सरकार ने दावा किया था कि संयुक्त राज्य अमेरिका उनके यहां विकसित किए जा रहे कोरोना वायरस वैक्सीन में लगे वैज्ञानिकों को प्रभावित करने की कोशिश की थी। हालांकि जर्मनी ने यह भी दावा किया है कि उनके वैज्ञानिक अमेरिका के झांसे में नहीं आए और बेहद तन्मयता के साथ कोरोना वायरस पर काम कर रहे हैं। इस खबर को रॉयटर नामक दुनिया बेहद विश्वस्थ समाचार एजेंसी ने प्रभुखता से स्थान दिया है।  जब कोरोना फैलने लगा था तो पीपल्स रिपब्लिक आॅफ चाइना ने दावा किया था कि अमेरिका के कुछ फैजी बुहान आए थे और सबसे पहले उन्हीं फौजियों में कोरोना के लक्

बिजली संकट : डीवीसी व झारखंड सरकार के बीच गतिरोध का कारण राजनीतिक तो नहीं?

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गौतम चौधरी  विगत कुछ दिनों से झारखंड और केन्द्र सरकार के बीच बिजली को लेकर गतिरोध चल रहा है। हालांकि इस मामले में केन्द्र सरकार के किसी मंत्री का बयान तो नहीं आया है लेकिन केन्द्र की सत्तारूढ पार्टी, भाजपा के स्थानीय नेताओं के बयान से यह गतिरोध राजनीतिक रूप ग्रहण कर लिया है। दरअसल, कई बार नोटिस जारी करने के बाद जब झारखंड सरकार ने दामोदर वैली कॉरपोरेशन (डीवीसी) का बिजली बकाया शुल्क भुगतान नहीं किया तो डीवीसी ने बिजली की आपूर्ति रोक दी। डीवीसी प्रदेश के सात जिलों के लिए 600 मेगावाट बिजली प्रतिदिन झारखंड को देती है। इस आपूर्ति के रुकते ही बिजली को लेकर हाहाकार मच गया। प्रदेश के महत्वपूर्ण सात जिलों में 18 घंटे तक बिजली की अपूर्ति ठप रहने लगी। इसके लिए झारखंड की हेमंत सरकार ने जहां केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया, वहीं स्थानीय भाजपा के नेताओं ने हेमंत सरकार पर निशाना साधा। हालांकि इस मामले में कहीं न कहीं दोनों ओर से गलती के साथ ही साथ राजनीति भी हुई है। इस दोतरफी राजनीति का खामियाजा प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ रहा है।  अभी-अभी हाल ही में विधानसभा चुनाव से पह

दिल्ली के दंगे को ही नहीं देखिए जरा अन्य सामाजिक सौहार्द पर भी नजर-ए-इनायत करिए जनाव

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रजनी राणा  जनाव आप दिल्ली के दंगे को देख रहे होंगे और म नही मन यह कह रहे होंगे कि सचमुच इस देश का धार्मिक ताना-बाना अब खत्म हो चुका है। तो मैं ऐसा नहीं मानती हूं। हमारे पास कुछ उदाहरण हैं, जो साबित करता है कि चंद घटनाओं से इस देश की विरासत खंडित नहीं हो सकती है। हमें ऐसे बहुत सारे उदाहरण मिले हैं लेकिन उन तमाम उदाहरणों को मैं यहां व्यक्त नहीं कर सकती। कुछ उदाहरणों को लेकर आपके पास आयी हूं। पेश भारत की गंगा-जमुनी तहजीब की वो मिसाालें जो साबित करती है कि हमारे देश में धर्म से उपर मानवत का डंका बोलता है।  मसलन....................! नागरिकता संशंसोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश में एक मुस्लिम युवक ने यूपी पुलिस के घायल सिपाही की जान बचाई थी। दरअसल, नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीसीए के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान फिरोजाबाद में उग्र भीड़ द्वारा घिर जाने के बावजूद हाजी कादिर साहब खुद को बचाने के बजाए फिरोजाबाद पुलिस के एक घायल सिपाही को बचाने के लिए अपना सबकुछ दाव पर लगा दिया। बाद में उन्होंने घायल सिपाही को नजदीक के पुलिस थाने में सुरक्षित पहुंचाया और क

कॉरपोरेट लड़ाई का अखाड़ा बन गया है बिहार का आसन्न विधानसभा चुनाव

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गौतम चौधरी  बिहार में कॉरपोरेट पूंजीवादियों का चुनावी गेम प्रारंभ हो गया है। वैसे लोकतंत्रिक चुनावी प्रक्रिया में कॉपोरेट पूंजीवाद की रुचि कोई नई बात नहीं है लेकिन इस देश में जब से वैश्वीकरण और उदारीकरण का दौर प्रारंभ हुआ है तब से कॉरपोरेट पूंजीवारदी रुझान के लोग खुलकर खेलने लगे हैं। चूकि बिहार कई मामलों में महत्वपूर्ण है इसलिए इन दिनों इसे कंट्रोल करने में इस प्रकार की कई ताकतें बुरी तरह सक्रिय हो गयी है।  याद होगा 2019 के संसदीय आम चुनाव से पहले बेगुसराय जिले के सिमरिया में कुंभ के नाम एक बहुत बड़ा धार्मिक इवेंट किया गया था। उस इवेंट में मुंबई और कोलकाता की कई बड़ी कंपनियों ने पैसा लगाया था। यह अनायास नहीं हुआ था। फिलहाल बिहार में प्रशांत किशोर का एक इवेंट चल रहा है। प्रशांत के चेहरे में कुछ लोगों को बिहार का भविष्य नजर आ रहा होगा लेकिन उनके काम करने का ढंग, कॉरपोरेट पूंजीवाद का बहुत ही बढ़िया उदाहरण है। इस प्रकार के इवेंटों के पीछे बहुत बड़ी लॉबी काम कर रही होती है। तभी ये आसानी से अपने प्रबंधन में सफल हो पाते हैं। इसे साधारण तरीके से नहीं समझा जा सकता है। इसकी गहराई को जानन

झारखंड विधानसभा : आखिर किस नैतिकता के आधार पर प्रतिपक्ष की कुर्सी मांग रही है भाजपा?

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गौतम चौधरी   सवाल बहुत बड़ा है और जवाब भाजपा के पास नहीं है। आखिर किस नैतिकता की दुहाई दे कर भाजपा झारखंड विधानसभा में प्रतिपक्ष की कुर्सी का दावा कर रही है्? इन दिनों झारखंड विधानसभा में गतिरोध चल रहा है। भारतीय जनता पार्टी, लगातार दबाव बना रही है कि उनकी पार्टी के द्वारा चुने गए विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी को प्रतिपक्ष का नेता मनोनित किया जाए। जबकि विधानसभा के अध्यक्ष रवीन्द्र नाथ महतो इस बात को लेकर विधिविज्ञों से सलाल की बात कर रहे हैं।  इस मामले में सत्तारूढ़ गठबंधन की रणनीति अब साफ होने लगी है। महागठबंधन के नेता भाजपा की दबाव वाली राजनीति से बिल्कुल निश्चिंत दिख रहे हैं। इसके पीछे का कारण क्या हो सकता है, यह तो स्पष्ट नहीं है लेकिन सत्तारूढ गठबंधन के नेता यदा-कदा यह बात कह दे रहे हैं कि कि जब भाजपा सत्ता में थी तो क्या कर रही थी जरा उसे भी ध्यान में उन्हें रखना चाहिए। इस मामले में झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य कहते हैं कि हमारी पार्टी किसी के खिलाफ नहीं है लेकिन यहां दल बदल विरोधी कानून का मामला भी बन सकता है। बाबूलाल मरांडी अकेले भाजपा में श

अमेरिकी हिटमैन थ्योरी और भारत में क्रूर पूंजीवाद का दौर

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गौतम चौधरी  बिहार में एक बार फिर से चुनाव की विसात बिछने लगी है। विधानसभा चुनाव को लेकर हर दल और राजनीतिक व्यक्ति अपने अपने तरीके से मैदान मारने के फिराक में है। हर के अपने-अपने दाव है और अपनी-अपनी चाल, लेकिन इस बार के चुनाव में कुछ अलग हट के भी बातें हो रही है। मसलन बिहार में वामपंथी ताकतों के उभार से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि एक बार फिर बिहार राजनीतिक प्रयोग के मुहाने पर आकर खड़ा हो गया है, जहां एक ओर वामपंथी ताकतें हैं, तो दूसरी ओर यूएस नियंत्रित काॅरपोरेट घराने, जो खूनी और क्रूर पूजीवाद को लेकर विगत तीन दशकों से भारत में सक्रिय है। हम थोड़ा पीछे चलते हैं और संयुक्त राज्य अमेरिका के विश्व साम्राज्यवादी सोच पर आधारित विस्तार को समझने की कोशिश करते हैं। आॅटोमन साम्राज्य के बाद ब्रितानियों ने दुनिया में अपना पैर जमाया और लगभग पूरी दुनिया पर फिरंगियों का प्रत्यक्ष और परोक्ष कब्जा हो गया। दो यूरोपिए महायुद्ध के बाद ब्रितानी साम्राज्य का खात्मा हो गया लेकिन उसी के ध्वंस पर रूस में साम्यवादी साम्राज्य और अमेरिका में पूंजीवादी साम्राज्य का उदय हुआ। दोनों ने अपने-अपने तरीके से

आजादी के बाद का सबसे बड़ा जनउभार है CAA-NRC विरोधी आन्दोलन

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मजदूर बिगुल से साभाार  देश की जनता को बाँटने और एक बडी आबादी को सरमायेदारों को दोयम दर्जे का निवासी और सरमायेदारों का गुलाम बना देने के इरादे से देश पर थोपे जा रहे सीएए-एनआरसी के विनाशकारी ‘प्रयोग’ के विरुद्ध देशव्‍यापी आन्‍दोलन सत्ता के सारे हथकण्‍डों के बावजूद मजबूती से डटा हुआ है और इसका देश के नये-नये इलाकों में विस्‍तार हो रहा है। दिल्‍ली का शाहीन बाग इस आन्‍दोलन का एक प्रतीक बन गया है और दिनो-रात के धरने का उसका मॉडल पूरे देश में अपनाया जा रहा है। भाजपा और संघ गोदी मीडिया के भोंपुओं की मदद से यह साबित करने के लिए पूरा जोर लगाये हुए हैं कि केवल मुसलमान विरोध कर रहे हैं, पर शाहीन बाग सहित हर जगह बडी संख्‍या में हिन्‍दू, सिख, ईसाई और अन्‍य समुदायों के लोग भी आन्‍दोलन में शिरकत कर रहे हैं। इससे सरकार की बौखलाहट बढती जा रही है और वह किसी न किसी तरह से इसे बदनाम करने और कुचलने की कोशिश में लगी है। दिल्‍ली विधानसभा चुनाव के बाद ये कोई भारी दमनात्‍मक कदम भी उठा सकते हैं। यह आन्‍दोलन मोदी-शाह-संघ की पिछले 6 साल की कारगुजारियों से उपजे गहरे असन्‍तोष और जनाक्रोश की भी अभिव्‍यक्ति

विकास के लिए परिवार नियोजन पर उचित ध्यान देने की जरूरत

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हसन जमालपुरी  प्रचलित धारणा के विपरीत कि परिवार नियोजन की बातों के तरफ इस्लाम में मनाही है, सामान्य तौर पर देखा गया है की वास्तव में कई मुस्लिम, विशेष रूप से शिक्षित व्यक्ति परिवार नियोजन की तरफ ध्यान देते है और बच्चों का स्वागत अल्लाह की ओर से उपहार के रूप में करते है तथा गर्भनिरोधक उपायों के उपयोग के माध्यम से अपने परिवार की योजना बनाना पसंद करते हैं। इस्लाम में ऐसा कुछ भी नहीं है। दुनिया के बड़े-बड़े इस्लामिक कंट्री में जनसंख्या नियंत्रण पर कई प्रयोग हो रहे हैं। मिस्र, तुर्की, इंडोनेशिया, ईरान, जॉर्डन, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे कई मुस्लिम देशों में परिवार नियोजन की बातें अपनी जड़ें जमा चुकी है। भारत में भी शिक्षित मुसलमानों के बीच यह प्ररिपाटी प्रारंभ हो गयी है लेकिन इसे मास लेवल पर एक आन्दोलन की तरह चलाने की जरूरत है। उक्त देश अपने लोगों को जीवन की गुणवत्ता प्रदान करने में गंभीर हैं तथा  वहा रह रही महिलाओं के सौंदर्य और स्वास्थ्य के संरक्षण के साथ साथ कई बच्चों के पालन पोषण में होने वाली वित्तीय भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक कठिनाइयों से छुटकारा पाने में मदद करते हैं। जहां त