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Showing posts from June, 2014

भारतीय भाषाओं की लडाई में हिन्दी की भूमिका

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गौतम चैधरी विगत दिनों केन्द्रीय गृह मंत्रालय के द्वारा जारी एक अधिसूचना को लेकर समाचार माध्यमों में बावेला खडा करने का प्रयास किया गया। अधिसूचना हिन्दी भाषा को लेकर था। खबर चली कि केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने सभी विभागों और राज्य सरकारों को सूचित किया है कि वे अधिक से अधिक काम-काज हिन्दी में करें। यही नहीं सरकार के द्वारा जारी अधिसूचना के बारे में यह भी बताया और दिखाया गया कि विभागों एवं राज्यों के आधिकारिक इंटरनेट साइट, सामाजिक नेटवर्किंग पृष्ठों पर अधिक से अधिक हिन्दी एवं देवनागरी का उपयोग किया जाये। यह समाचार विभन्न समाचार वाहिनियों पर वाॅयरल होने लगा। कुछ सोशल नेटवर्किंग साइट पर भी इसे गति देने का प्रयास किया गया लेकिन पूरे घटना-क्रम की व्याख्या का कुल लब्बोलुआब कुछ अलग किस्म की सच्चाई वयां करता प्रतीत होता दिखा। कुछ समाचार माध्यमों में खबर यह भी चली कि संभवतः भारतीय जनता पार्टी के बहुमत की सरकार ने अपने हिन्दी, हिन्दू, हिन्दुस्तान वाले सिद्धांत पर काम करते हुए इस प्रकार की अधिसूचना प्रेषित कराई है। इस खबर की सच्चाई के बारे में एक अखबर के संपादकीय अग्रलेख में लेखक पडताल करता दिखा।

तो अमेरिका के द्वारा प्रयोजित है इराक का गृहयुद्ध ?

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गौतम चैधरी इराक के गृहयुद्ध के कई मायने निकाले जा रहे हैं। प्रेक्षक इस बात से सन्न हैं कि मध्य-पूरव में छोटी-छोटी घटनाओं पर अपनी ताकत का प्रदर्शन करने वाला संयुक्त राज्य अमेरिका इस बार रहस्यमय तरीके से संजीदगी दिखा रहा है। दुनिया की महाशक्ति का स्वांग खडा करने वाला युरापिय संघ चुप्पी साधे हुए है और एशियायी लडाके चीन एवं रूस कुछ भी कहने से कतरा रहा है। जिस प्रकार की खबर इराक से आ रही है उसमें रत्तीभर संदेह नहीं है कि इराक के गृहयुद्ध का प्रभाव संपूर्ण विश्व पर पडेगा। कल ही एक जानकार बता रहे थे कि इस युद्ध का दुष्परिणाम विकासशील देश पर नमारात्मक परने वाला है। इस युद्ध के कारण सोमालियायी लडाके बेहद खतरनाक तरीके से सक्रिय हो जाएंगे और दुनिया भर में तेल पहुंचाने वाला मार्ग इस लडाई के कारण अवरूद्ध होगा। इस गृहयुद्ध के कारण साउदी अरब, ओमान, संयुक्त अरब अमिरात, अमन, सीरिया, इरान, कुबैत आदि अप्रत्याशित तरीके से संवेदनशील हो रहा है। इस लडाई के कारण पूरा मध्य-पूरब अस्थिर हो गया है। इस पूरी अस्थिरता का फायदा तेल व्यापारी उठाएंगे और एक बार फिर से अप्रत्याशित तरीके से कच्चे तेल की कीमत में बढोतर