तो अमेरिका के द्वारा प्रयोजित है इराक का गृहयुद्ध ?

गौतम चैधरी
इराक के गृहयुद्ध के कई मायने निकाले जा रहे हैं। प्रेक्षक इस बात से सन्न हैं कि मध्य-पूरव में छोटी-छोटी घटनाओं पर अपनी ताकत का प्रदर्शन करने वाला संयुक्त राज्य अमेरिका इस बार रहस्यमय तरीके से संजीदगी दिखा रहा है। दुनिया की महाशक्ति का स्वांग खडा करने वाला युरापिय संघ चुप्पी साधे हुए है और एशियायी लडाके चीन एवं रूस कुछ भी कहने से कतरा रहा है। जिस प्रकार की खबर इराक से आ रही है उसमें रत्तीभर संदेह नहीं है कि इराक के गृहयुद्ध का प्रभाव संपूर्ण विश्व पर पडेगा। कल ही एक जानकार बता रहे थे कि इस युद्ध का दुष्परिणाम विकासशील देश पर नमारात्मक परने वाला है। इस युद्ध के कारण सोमालियायी लडाके बेहद खतरनाक तरीके से सक्रिय हो जाएंगे और दुनिया भर में तेल पहुंचाने वाला मार्ग इस लडाई के कारण अवरूद्ध होगा। इस गृहयुद्ध के कारण साउदी अरब, ओमान, संयुक्त अरब अमिरात, अमन, सीरिया, इरान, कुबैत आदि अप्रत्याशित तरीके से संवेदनशील हो रहा है। इस लडाई के कारण पूरा मध्य-पूरब अस्थिर हो गया है। इस पूरी अस्थिरता का फायदा तेल व्यापारी उठाएंगे और एक बार फिर से अप्रत्याशित तरीके से कच्चे तेल की कीमत में बढोतरी होगी। स्वाभाविक रूप से हथियार के लिए एक नया बाजार खुलेगा। इस पूरी लडाई का तीसरा पक्ष ज्यादा खतरनाक है। इराकी गृहयुद्ध से दवा की मांग बढेगी ओर दवा के कारोबार के बाद जीवन को सुरक्षा प्रदान करने के लिए जीवन बीमा कंपनियों को एक बडा बाजार मिलेगा।

अब सवाल यह खडा हो रहा है कि ये चार प्रकार के बाजार जो आस्वाभाविक है उसका अंततोगत्वा फायदा किसको मिलने वाला है? इस पडताल पर ही इराक गृहयुद्ध के कारणों का पता चलेगा। इस गृहयुद्ध का सबसे अहम पक्ष युद्ध में प्रयुक्त हो रहे बेहद स्मार्ट तकनीक का है। युद्ध में न केवल हथियार, नई तकनीक के प्रयोग किये जा रहे हैं, अपितु युद्ध का प्रचार के लिए भी वेहद आधुनिक तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इराकी सुन्नी आतंकवादी सामाजिक मीडिया का उपयोग बडी योजनाबद्ध तरीके से कर रहे हैं। युद्ध और योद्धाओं को जो प्रचार मिल रहा है उसमें अमेरिकी समाचार माध्यम की बडी भूमिका उभर सामने आयी है। ऐसे दुनिया में जो खबरे प्रसारित की जाती है उसमें से 75 प्रतिशत खबरों पर पश्चिमी मीडिया का प्रभाव होता है लेकिन ऐसा लगता है कि इस युद्ध की रिपोर्टिंग भी संयुक्त राज्य अमेरिका के कूटनीति को ध्यान में रखकर किया जा रहा है।

पूरे विश्वास से तो नहीं लेकिन युद्ध के स्वरूप और युद्ध के फायदे की मिमांशा करने से ऐसा लगता है कि यह युद्ध पश्चिमी लाॅबी के द्वारा ही प्रायोजित है। सबसे पहले हम इराक गृहयुद्ध के नफा-नुकशान पर विचार करते हैं। इस युद्ध के कारण प्राकृतिक तेल की कीमत में बेतहाशा वृद्धि होगी। दुनिया में तेल की कंपनी चलाने वाले प्रत्यक्ष या परोक्ष संयुक्त राज्य अमेरिका के स्वामित्व वाली कंपनी है। इस लडाई से तेल के दाम में बढोतरी होगी और उसका फायदा अमेरिका या फिर अमेरिका के मित्र देश उठाएंगे। इस लडाई में हथियारों की खपत हो रही है। दुनिया में अवैध हथियार के कारोबार में अमेरिकी हथियार कंपनियों का रिकार्ड बहुत खराब रहा है। जिस प्रकार के योद्धा इराक में लड रहे हैं इसी प्रकार के योद्धाओं को दूसरे देशों में अमेरिका पहले से हथियार उपलब्ध कराता रहा है। इसकार प्रत्यक्ष उदाहरण पाकिस्तान की योजना से खडा किया गया अफगानी आतंकवादी तालिवान मिलीसिया और सीरिया में सक्रिये सीरियायी विद्रोही है। फिर अमेरिका के लिए विगत एक दशक से मध्य-पूरब के दो देश सीरिया और इरान चुनौती खडा करता रहा है। दोनों शीया समुदाय के स्वामित्व वाला देश है और आजकल दोनों रूस एवं चीन के साथ ज्यादा नजदीक हो गया है। अमेरिका विगत दिनों सीरियाई सुन्नी आतंकवादियों को बडी संख्या में आयुद्ध और पैसा मुहइया कराया लेकिन रूस-चीन हस्तक्षेप के कारण अमेरिका का सीरिया अभियान असफल रहा। इधर चाह कर भी अमेरिका इरान को कुछ कर नहीं पा रहा है। सद्दम हुसैन के बाद इराक में शीया समुदाय अपनी पकड मजबूत कर ली और शासन पर हावी हो गया। अमेरिका को लगने लगा कि यदि इरान, इराक और सीरिया ये तीनों शीया “ाक्तियां एक हो गयी तो मध्य-पूरब की राजनीति बदल जाएगी तथा यह अमेरिका की कूटनीति के लिए आगे चलकर खतरा पैदा करेगा। सामरिक दृष्टि से भी यह प्रभावशाली होगा और कूटनीति की दृष्टि से भी यह एक नया समिकरण खडा करेगा जो अंततोगत्वा अमेरिकी हितों पर ही चोट करेगा। 

इस लडाई से दवा के बडे कारोबारी भी फायदा उठाने वाले हैं। यही नहीं दवा कंपनियों के साथ जुडे जीवन बीमा की कंपनियों को यहां एक नया बाजार मिलेगा। ये तमाम व्यापारी अमेरिका के हैं और इससे अमेरिका का अर्थतंत्र ही मजबूत होता है। ऐसे में देखा जाये तो इस लडाई से अंततोगत्वा संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके मित्र देशों को फायदा हो रहा है। इसका दूसरा पक्ष यह है कि जिस तकनीक से यह लडाई लडी जा रही है वैसी तकनीक दुनिया में पहली बार कोई आतंकवादी उपयोग में ला रहा है। इससे पहले न तो लिट्टे ने इस प्रकार के तकनीक का उपयोग किया और न ही दुनियाभर में सक्रिय कोई चरम वामपंथियों ने इस प्रकार की तकनीक का उपयोग किया है। फिर इस लडाई को अमेरिकी मीडिया जबरदस्त तरीके और सकारात्मक ढंग से जगह दे रही है, इससे इस बात को बल मिलने लगा है कि इराक के आंतरिक लडाई में अमेरिका की भूमिका है। दूसरी बात अमेरिका लगातार यह कह रहा है कि आतंकियों के खिलाफ वह सैन्य कार्रवाई नहीं करेगा, जबकि पूर्व में अमेरिका इराक के आतंकियों के खिलाफ अपनी सेना का उपयोग कर चुका है। इससे भी इस आशंका को बल मिलता है कि इराक का गृहयुद्ध अमेरिका और उसके मित्र देशों के द्वारा प्रयोजित है।

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