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Showing posts from May, 2015

भूकम्प पर राजनीति नहींए योजनाओं में शामिल करें भूगोलविदों को

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गौतम चौधरी विगत कुछ दिनों से बृहद हिमालय में लगातार आ रहे भूकम्प के झटकों ने भूगर्भ विज्ञानियों के कान खडे कर दिये हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका से लेकर चीनए रूस तक के वैज्ञानिक इस बात की पडताल में लगे हैं कि आखिर वह कौन सा कारण है जिसने एशियायी आग्नेय क्षेत्र को फिर से भू.संचलन के लिए बाध्य किया है। भूगोल में भूगर्भीय संरचनाओं के बारे में थोडा ही पढा जाता हैए लिहाजा पृथ्वी के अंदर होने वाली गतिविधियों का मुकम्मल विज्ञान भूगर्भ विज्ञान है। अमूमन भूगोल की किताबों में स्थलाकृतियों के बारे में जानकारियां दी गयी है। इन जानकारियों के दौरान भूगोल में थोडा भूमि के अंदर और थोडा भूमि के बाहर की जानकारियां मिल जाती है क्योंकि पृथ्वी के वाह्य भाग पर बनी स्थलाकृतियों पर दोनों तरफ की शक्तियों का प्रभाव पडता है। चूकी भूकम्प पृथ्वी पर बनने वाले कई स्थलाकृतियों के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाता है इसलिए भूगोल के विद्यार्थियों को थोडा ही सहीए पर भूकम्प पढना जरूर पडता है। भूकम्प के बारे में जो लिखा और दिखाया जा रहा हैए उससे समाज में कई प्रकार की भ्रांतियां फैल रही हैए इसलिए भूकम्प पर मुकम्मल मिमांशा

तो किरण रिजिजू ने क्या गलत कह दिया?

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गौतम चौधरी किरण रिजिजू के गामांस खने वाले बयान पर हाय-तौवा मचा हुआ है। कुछ लोग यह कह रहे हैं कि किरेण ने घोर आपत्तिजनक बात कही है, तो कुछ लोगों का कहना है कि आखिर किरण ने गतल क्या कहा। खना, पीना, पहनना आद के लिए इस देश में कोई कानून नहीं बना हुआ है। दूसरी बात यदि सरकार कानून बनाने की सोचे भी तो वह लोकतंत्र एवं भारतीय संवाधान की मूल अवधारना के खिलाफ होगा। ऐसे में ग्राउंड जीरो पर खडा होकर यदि विचार किया जाये तो दोनों ही तथ्य सही हैं लेकिन जो लोग हिन्दुत्व के नाम पर किरण का विरोध कर रहे हैं उन्हें यह सोचना चाहिए कि आखिर किरण ने ये बात क्यों कही। किरण इस देश के गृह राज्यमंत्री हैं। वे एक ऐसी पार्टी के नेता हैं जो गंभीर नेतृत्वकर्ता के लिए जानी जाती है। मैं व्यक्तिगत रूप से उनसे मिल चुका हूं। वे अनरगल बयानबाजी से अमूमन बचते हैं। ऐसे में किरण का यह कहना कि ‘हां मैं गाय का मांस खाता हूं, मुझे कोई रोकर दिखाए‘! इसके पीछे किरण और भाजपा की कोई न कोई रणनीति जरूर काम कर रही होगी। भाजपा और किरण यह साबित करने में लगे हैं कि जिस प्रकार यह देश कथित रूप से बहुसंस्कृति का देश है, उसी प्रकार भारतीय जन

अफगानिस्तान में दो महाशक्तियों के बीच पिस रहा भारतीय मिशन

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गौतम चौधरी  इन दिनों अफगानिस्तान में तालिबानी लडाके भारतीय मिशन पर आक्रमण तेज कर दिये हैं। यदि सरसरी निगाह से देखा जाये तो ये आक्रमण तब से तेज हुआए जबसे पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान का गुप्तचर सूचना आदान.प्रदान समझौता हुआ है। अफगानिस्तान में भारतीय मिशनों पर हुए विगत तमाम आक्रमणों के लिए आतंकवादी संगठन तालिबान को ही जिम्मेबार ठहराया गया है। लिहाजा तालिबानियों ने हमारे मिशनों को फिर से क्षति पहुंचाना प्रारंभ कर दिया है। अफगानिस्तान में हमारे मिशनों की सुरक्षा पर प्रश्न खडे होने लगे हैं। हमारे कूटनीतिज्ञों को यह नहीं भूलना चाहिए कि अफगानिस्तान हमारी कूटनीति का अहम डिस्टीनेशन है। अफगानिस्तान के साथ हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा जुडी हुई है। वहां घटने वाली घटनाओं को हम नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। सतही तैर पर देखें तो यही लगता है कि पाकिस्तान के साथ अफगानिस्तान की नजदीकी के कारण भारतीय मिशन पर आक्रमण हो रहे हैंए लेकिन गंभीरता के साथ विचार किया जयेए तो अफगानिस्तान में खेल कुछ और ही चल रहा है। एक तरह से देखें तो अफगानिस्तान या फिर पाकिस्तान केवल सतही और वाह्य खेल का हिस्सा मात्र हैए असली खेलाडीए

भाजपा सरकार का सांस्कृतिक बनाम काॅरपोरेट राष्ट्रवाद का द्वन्द्व

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गौतम चौधरी नरेन्द्र मोदीए जब से केन्द्र सरकार की कमान अपने हाथ में ली है तभी से प्रतिपक्षी उनके उपर आरोप लग रहा है कि उनकी सरकार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इशारे पर कम कर रही है। यह कितना सत्य है इसपर गंभीरता से पडताल की जरूरत है। लिहाजा मोदी निःसंदेह संघ के स्वयंसेवक हैं। उनका दावा है कि उन्होंने राष्ट्र और संगठन के लिए अपना व्यक्तिगत और परिवारिक जीवन छोड दिया। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक रहे हैं इसलिए उनके उपर इस प्रकार का अरोप स्वाभाविक रूप से चिपकाया जा सकता है। फिर वे जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्ही के समय में सन् 2002 वाला सांप्रदायिक दंगा हुआ। अहमदाबाद के पुरने लोग बताते हैं कि गुजरात के मुख्यमंत्री हितेन्द्र भाई देसाई के बाद यह पहला दंगा था जिसमें मुसल्मानों पर हिन्दू भारी पडा। सन् 2002 के दंगे को लेकर तत्कालीन गुजरात की मोदी सरकार की भूमिका पर सवाल खडे किये गये। प्रतिपक्षियों ने आरोप लगाया कि नरेन्द्र मोदी की सरकार सांप्रदायिक बहुसंख्यक ध्रुविकरण के लिए खुद दंगा करवाई है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी के उपर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एजेंडे को लागू करने का आरोप