Posts

Showing posts from October, 2013

समझौता एक्सप्रेस विस्फोट, एक आपराधिक मामल और दो जांच व्याख्या-गौतम चैधरी

Image
इन दिनों संत असीमानंद, लोकेश शर्मा, राजेन्द्र चैधरी और कमल चैहान पंचकूला स्थित राष्ट्रीय जांच अभिकरण (एनआईए) के विशेष न्यायालय में अपने को निर्दो’ा साबित करने की लडाई लड रहे हैं। इन चारों पर 18 फरवरी सन् 2007 की रात को अटारी, पाकिस्तान जा रहे समझौता एक्सप्रेस में बम धमाके की साजिश का आरोप है। अद्यतन जानकारी के अनुसार संत असीमानंद ने जांच अभिकरण के विशेष न्यायालय में अपनी जमानत याचिका दाखिल की है। इस साल के प्रथम चरण में संत असीमानंद के अधिवक्ता नरदेव शर्मा ने पंचकूला के विशेष न्यायालय में संत असीमानंद के जमानत के लिए आवेदन किया था। उस आवेदन पर अभी तक मात्र तीन बहसें हो पायी है। दो बहस स्व. शर्मा करके गये और तीसरी बहस विगत 23 अक्टूबर को वरिष्ठ अधिवक्ता मतबेन्दर सिंह ने किया। अब अधिवक्ता नरदेव शर्मा के बहस पर कोई टिप्पणी करना उचित नहीं होगा क्योंकि अधिवक्ता शर्मा की विगत दिनों मृत्यु हो गयी। समझौता विस्फोट मामले में असीमानंद के जुडे पहलू का सबसे खास तथ्य यह है कि जमानत याचिका दाखित करने के बाद विशेष न्यायालय के न्यायाधीश तीन तारीख पर सुनवाई करने से मना कर दिये। जब अधिवक्ता ने न्यायाल

भगवान वाल्मीकि मंदिर को तीर्थ बनाने की योजना में जुटी पंजाब सरकार-गौतम चैधरी

Image
मां निषाद प्रतिष्ठां त्वमगम: शाश्वती: समा:। यत्क्रौंचमिथुनादेकम् अवधी: काममोहितम॥   यह श्लोक भगवान वाल्मीकि के मुख से अनायास ही नहीं निकला था। इस श्लोक के पीछे भवान वाल्मीकि के हजारों साल की तपस्या थी। कहते हैं कि जब वाल्मीकि के मुख से उक्त श्लोक फूटा, तो वहां ब्रह्मा प्रकट हुए और इस श्लोक का नामाकरण करते हुए उन्होंने वाल्मीकि से कहा कि आज से आप ऋषि हुए और दुनिया आपको ऋषि बालमीकि के नाम से पुकारेगी। प्रशन्न होकर श्रृष्टि के रचइता ने कहा कि आपके मुह से निकला छंद, अनुष्टुप छंद कहलाएगा। भगवान ब्रह्मा ने वाल्मीकि से अनुष्टुप छंद में एक महान ग्रथ के प्रणयन का निवेदन किया। अपनी बात कहकर भगवान ब्रह्मा अंतरध्यान हो गये, लेकिन वाल्मीकि को चैन कहा। ब्रह्मा की प्रेरणा से भगवान वाल्मीकि ने एक ग्रथ की रचना की जिसका नायक उन्होंने मर्यादा पुषोत्तम भगवान श्री राम को बनाया। कालांतर में ग्रंथ को वाल्मीकि रामायण के नाम से ख्याति मिली। दरअसल भगवान बालमीकि उसी ग्रंथ अमर हो गये। उन्होंने रामायण में जिस आदर्श का चित्रण किया है, वह अभिनव है। ग्रंथ में आदर्श की पराकाष्ठा का वरणन मिलता है। भगवान राम ग्रंथ

बिहार में नये राजनीतिक समीकरण की आहट-गौतम चैधरी

Image
  बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद यादव के पराभव का असर दिखने लगा है। यह पराभव केवल एक व्यक्ति का पराभव नहीं है, इसे एक पूरी राजनीतिक धारा का पतन कहा जाना चाहिए क्योंकि लालू यादव एक व्यक्ति कभी नहीं रहे। उन्होंने बिहार में न केवल अपने बूते राजनीतिक जमीन तैयार की अपितु नकारात्मक ही सही, बिहार की राजनीति को एक दिशा भी दिया। हर निर्माण के दो पक्ष होते हैं, निःसंदेह लालू यादव की राजनीति को सकारत्मक नहीं कहा जा सकता है, लेकिन जिस समाज का लालू नेतृत्व करते हैं, बिहार का वह समाज आज भी लालू प्रसाद यादव को बहुत महत्व देता है और मसीहा से कम नहीं समझता है। लालू प्रसाद यादव ने समाजवादी राजनीति स्वरूप को जातिवादी राजनीति के ढांचे में ढाल दिया और बिहार की राजनीति पर लम्बे समय तक जमे रहे। यहां यह भी कहना जल्दबाजी होगा कि लालू यादव के पतन से बिहार में जातिवादी राजनीति का अंत हो जाएगा। संभावना यह बन रही है कि अब बिहार की राजनीति एक नया स्वरूप ग्रहण करेगा। जिसमें लालू और नीतीश के साथ कांग्रेस होगी और संभवतः रामविलास पासवान भी होंगे। इस राजनीतिक गठजोड में साम्यवादी दलों की भूमिका अहम होगी और साम्यवाद

सुशील मोदी के आरोपों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए-गौतम चैधरी

Image
देशभर में इन दिनों चारा घोटाले मामले में केन्द्रीय जांच ब्यूरो विशे’ा न्यायालय के फैसला पर चर्चा हो रही है। लगभग प्रत्येक दूरदर्शन वाहिनियां लालू जी की राजनीतिक भवि’य को खंगाल रहा है। इन दिनों लालू जी की राजनीति और उनके पार्टी का नफा नुक्शान चर्चा का वि’ाय बना हुआ है। हर ओर यही चर्चा है कि आखिर, लालू प्रसाद यादव को उसके किये की सजा मिल गयी। हालांकि इस मामले में केवल लालू यादव को ही सजा नहीं सुनाई गयी है, सबसे गंभीर आरोप बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री पं. जगन्नाथ मिश्र पर मढा गया है। सनद रहे कि इस केस में कई नेता और नौकरशाह पहले से जेल की चाहरदिवारी में कैद हैं। सांसद जगदीश शर्मा को मामले में अहम आरोपी बनाया गया है। इन तमाम चर्चा और आरोपों में एक अहम मामला बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नेता सुशील कुमार मोदी ने उठाया है। उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर चारा घोटाले के मुख्य आरोपी श्याम विहारी सिन्हा से एक करोड रूपये लेने का आरोप लगाया है। हालांकि मोदी जी से पहले इस मामले को बिहार के पूव पशुपालन मंत्री गिरीराज सिंह ने उठाया और दूरदशन वाह

चंडीगढ प्रशासन का साम्प्रदायिक चेहरा-गौतम चैधरी

Image
इन दिनों चंडीगढ में रहने वाले एक खास संप्रदाया के लोगों को ऐसा लगने लगा है कि चंडीगढ प्रशासन का सत्ता प्रतिष्ठान उनके सांप्रदायिक हितों की अवहेलना कर रहा है। यह डर क्यों पैदा हुआ, इस डर के पीछे का कारण क्या है, या फिर इस डर का आधार क्या है, इसपर जबरदस्त मिमांशा की गुंजाइस है। निःसंदेह यह खोज का विषय है, लेकिन विगत कुछ दिनों में चंडीगढ प्रशासन द्वारा एक खास संप्रदाया के संदर्भ में लिए गये निर्णयों पर ध्यान केन्द्रित करने पर इस अवधारना को बल मिलने लगा है कि चंडीगढ का सत्ता प्रति’ठान साम्प्रदायिक मनोवृति का शिकार है। चंडीगढ के इतिहास में यह पहला मैका है जब रामलीला का मंचन करने वाली संस्थाएं लगातार विगत दो महीनों से उपायुक्त कार्यालय का चक्कर लगा रही है, लेकिन चंडीगढ के उपायुक्त इतने व्यस्त हैं कि वे रामलीला मंडलियों को स्थान आवंटित करने के लिए समय ही नहीं निकाल पा रहे हैं। चंडीगढ में लगभग 45 रामलीला संस्थाएं हैं। दशहरा के दिनों में नगर के विभिन्न स्थानों पर इन रामलीला संस्थाओं के द्वारा रामलीला का कार्यक्रम किया जाता है। सर्वेक्षण पर विश्वास करें तो चंडीगढ में होने वाले रामलीलाओं में

श्राद्ध का स्वांग और कर्मकांडी ब्राह्मणों का पाखंड - गौतम चैधरी

Image
आ”िवन कृष्णपक्ष की प्रतिपदा से पूरा हिन्दू समाज श्राद्धमय हो जाता है। हर हिन्दू अपने पितरों को प्रशन्न करने के लिए भिन्न प्रकार के प्रयोजन करते हैं। हर कर्मकांडी पंडित इस महा अभियान में व्यस्त हो जाता है। कर्मकाडी जमात का प्रचार है कि श्राद्ध के महीने में कालकवलित पितर अपनी संतति को आशिर्वाद देने मृत्युभुवन आते हैं। ये अदृष्य अपनी संतति को देखत आनंद मनाते हैं। जौ के आंटे से बना पिंड प्राप्त कर फिर से पितरलोक प्रस्थान कर जात हैं। इस मौसम में दान, यज्ञ, ब्राह्मण भोजन आदि का बडा महत्व बताया जाता है। अपने पितरों को आनन्द दिलाने के लिए कोई सज्या दान करता है तो कोई खांटी पीतल की थाली दान कर देता है। मान्यता है कि यहां दान की हुई वस्तु दान कर्ता के पितरों को विभिन्न लोकों में प्रप्त होगा। आजकल कुछ लोग अपने पीतरों को प्रशन्न करने के लिए आव”यकता के आधुनिक संशाधनों का दान भी करने लगे हैं। एक लालाजी ने अपने स्वर्गस्थ पिता को स्वर्ग में वाहन-सुख प्रप्त कराने के लिए प्रोहित्य को कार तक दान कर दिया। हलांकि कार संचालन के लिए उन्होंने चालक दान नहीं किया, लेकिन अपने स्वर्गस्थ पित