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क्या हम अपनी महिलाओं के प्रति निष्पक्ष हैं ?

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रोशनी जोश  महिलाओं को आर्थिक , शारीरिक , सामाजिक और मनोवैज्ञानिक रूप से सशक्त बनाने के लिए लड़कियों के लिए शादी की एक निश्चित न्यूनतम आयु की आवश्यकता होती है। इस्लाम ने महिला को उचित शिक्षा प्राप्त करके , पिता और पति की संपत्ति आदि से विरासत प्राप्त करके समाज में खुद को प्रबुद्ध करने के लिए कुछ प्रोत्साहन की पेशकश की है। इस्लामी सिद्धांतों द्वारा सभी मुसलमानों को शिक्षा और उत्कृष्ट कैरियर प्रदान करने के लिए अपनी बेटियों और पत्नियों को पुरुषों के समान व्यवहार करने का आदेश दिया गया है। जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है , भारत में कम उम्र में शादी के कारण , लड़कियां अपनी शिक्षा पूरी नहीं कर पाती हैं , कुपोषित रहती हैं और मातृ मृत्यु अनुपात में तेजी से वृद्धि का कारण बनती हैं। इस्लाम ऐसी किसी भी धारणा का समर्थन नहीं करता जो महिलाओं के उत्थान और सशक्तिकरण में बाधक हो। इस्लाम, शिक्षा प्राप्त करने पर ध्यान केंद्रित करता है क्योंकि यह इस्लाम में निहित सपनों को प्राप्त करने का सबसे शक्तिशाली हथियार है। पैगंबर मुहम्मद ( PBUH) ने कहा "शिक्षा प्राप्त करना हर मुसलमान के लिए अनिवार्य है"।

समाज व परिवार दोनों के लिए जरूरी है महिलाओं की शादी की उम्र सीमा 21 का निर्धारण

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रजनी राणा चौधरी  महिलाओं की शादी की उम्र को लेकर इन दिनों बहस छिड़ी हुई है। फरवरी 2020 में वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण के बजट भाषण, 2020-21 के साथ भारत में इसी तरह की राष्ट्रीय चर्चा हुई, जहां उन्होंने महिलाओं की कानूनी शादी की उम्र को 18 से 21 करने की घोषणा की। महिलाओं की शादी की उम्र पर चर्चा होना स्वाभाविक भी है। दरअसल, भारतीय समाज पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों और पितृसत्तात्मक मान्यताओं पर आधारित है। भारत सरकार के निर्णय को महिलाओं की स्वतंत्रता को दांव पर लगाने का हवाला देते हुए कुछ सामाजिक कार्यकर्ता शादी की उम्र को लेकर सरकार की आलोचना कर रहे हैं लेकिन समाज के अधिकतर लोगोें ने इस फैसले की सराहना की है।  भारत ने बाल विवाह निषेध अधिनियम (2006) के अनुसार महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और पुरुषों के लिए 21 वर्ष निर्धारित की है। विभिन्न अध्ययनों के अनुसार, कम उम्र में विवाह को प्रतिबंधित करने वाले सख्त कानूनों के बावजूद, भारत में ऐसे विवाहों की संख्या बहुत अधिक है। उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में भारत के अधिकांश नाबालिग विवाह होते हैं। यह धार