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Showing posts from August, 2016

बाढ़ की स्थाई समस्या समाधान के लिए गंगा की अविरलता जरूरी

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Gautam Chaudhary बिहार के मुख्यामंत्री नीतीष कुमार ने समाजवादियों की बेहद पुरानी मांग दुहराकर नए बहस को जन्म दे दिया है। उन्होंने केन्द्र सरकार से मांग की है कि फरक्का में गंगा नदी पर बताए गए डैम को तोड़ दिया जाए। इसके दुष्प्रभाव के बारे में भी उन्होंने बताया है और कहा है कि इसके कारण गंगा और उसकी सहायक नदियों की तलहटी में बालू जमा हो गया है, जो बिहार में बाढ़ के लिए जिम्मेबार है। गोया समाजवादी चिंतक अनिल प्रकाष इस मुद्दे को बेहद गंभीरता के साथ उठाते रहे हैं। नीतीष जी गंगा की अविरलता पर भी अपनी टिप्पणी दे चुके हैं। नीतीष कुमार का मानना है कि गंगा की अविरलता गंगा बेसीन में निवास करने वाले करोड़ों लोगों के हित में है। उनका यह भी मानना है कि गंगा के पानी पर सबसे पहला अधिकार गंगा के किनारे बसने वालों का है। यदि गंगा का पानी गंगापुत्रों को नहीं दे कर दिल्ली के लोगों को दिया जाता है तो यह गंगा के नजदीक बसने वालों के अधिकार का हनन है। सतही तौर पर देखा जाए तो देष के अधिकतर क्षेत्र में पानी का आभाव रहता है लेकिन बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेष, पष्चिम बंगाल, असम और मेधालय आदि राज्यों में पानी की अध

दवाओं की गुणवत्ता और मूल्य पर नियंत्रण से आएगी स्वास्थ्य क्षेत्र की क्रांति

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गौतम चौधरी स्वास्थ्य और शिक्षा, दो ऐसे क्षेत्र हैं जो किसी भी समाज की समृद्धि का मापदंड तय कर देता है। अर्थशास्त्र की दृष्टि से संपूर्ण विकास का मापदंड विकास दर के आधर पर तय किया जाता है। अर्थशास्त्री प्रतिव्यक्ति आय और प्रतिव्यक्ति व्यय को विकास की अवधारणा के साथ जोड़कर देखते हैं। इस अवधारणा में स्वास्थ्य और शिक्षा प्रभावशाली भूमिका तय करने वाला क्षेत्र है। भारत में स्वदेशी जीवन संरचना के अंदर व्यापार की अवधारणा दुनिया के अन्य संस्कृति और सभ्यता से थोड़ी भिन्न रही है। गोया हमारे देश में कृर्षि, पशुपालन, हस्तशिल्प, उद्योग और विनियम की संरचना समाज की उपयोगिता और सांस्कृतिक मूल्यों पर आधारित रहा है। लेकिन अन्य सभ्यताओं के प्रभाव ने भारत की स्वदेशी अवधारणा को कायांतरित करने के लिए बाध्य किया और अब दुनिया के अन्य भागों की तरह ही भारत में भी जीवन संरचना पर व्यापर और उसको नियंत्रित करने वाली पूंजी का दबाव साफ दिखने लगा है। ऐसी परिस्थिति में पुरातन स्वास्थ्य संरचना की अवधारणा कतई आकार नहीं ले सकता। इसके लिए इस सवा अरब के देश में हमारी सरकार को जन स्वास्थ्य जैसे विकल्प पर व्यापक काम कर