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Showing posts from March, 2012

थल सेना प्रमुख का राजनीतिक कोर्टमार्सल

गौतम चैधरी विगत कुछ दिनों से लगातार देश के थल सेना प्रमुख जनरल वी0 के0 सिंह पर केन्द्र सरकार की बक्रदृ’िट पर रही है। सरकार और सत्ता की टेढी नजर का खमियाजा भारत से सम्पूर्ण सुरक्षा पर पर रहा है। नित नवीन खुलासे हो रहे हैं और उन खुलासों की स्वीकार्यता के बाद भी केन्द्र सरकार डफली पीट पीट कर साबित करने का प्रयास कर रही है कि सेना के सर्वोच्च अधिकारी ने आदर्”ा और गरिमा का निर्वहण नहीं किया है। संसद के चतुरंग में एक इमानदार और रा’ट्र की नि’ठा से जुडे अधिकारी को मात्र इसलिए बरखास्त करने की मांग की जाती है कि उन्होंने अनु”ाासन का पालन नहीं किया है। सवाल यह उठता है कि सम्माननीय सांसदों की मांग को जायज ठहराया जा सकता है क्या? भारत के कथित सर्वोच्च पंचायत में सेना के “ाीर्’ा अधिकारी जनरल सिंह पर वे लोग आरोप लगा रहे हैं जिनका न तो दे”ा की संस्कृति के अनुकूल चरित्र है और न ही व्यवहार। सम्माननीय मुलायम जी सेनाधिकारी को कम बोलने की नसीहत देते हैं। भारतीय जनता पार्टी को छोड लगभग सभी दलों के नेताओं ने स्वाभिमानी और इमानदार सेनाधिकारी को बरखास्त करने की मांग की है। इस मांग में वे साम्यवादी भी “ाामिल ह

आतंकवाद की जड कांग्रेस पार्टी में

गौतम चौधरी चंडीगढ पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे बलवंत सिंह राजोआना की फांसी और फांसी माफी पर बहस जारी है। इस बहस में सबसे अहम बात यह है कि जो लोग घुर राष्ट्रवाद के नाम पर राजनीति कर रहे हैं वे आपराधिक ढंग से चुप्प बैठे हैं। राजोआना की फांसी माफी पर भारतीय कानून और संविधान की अवहेलना कर एक प्रदेष की चुनी हुई सरकार ने अपने प्रदेष के लोकतांत्रिक पंचायत में प्रस्ताव कर रही है। उस प्रस्ताव को उसी पंचायत का प्रतिपक्षी जिसके पास संसदीय राजनीति का लंबा अनुभव है वह समर्थन करता है, लेकिन ये लोग यह भूल रहे हैं कि यह कृत्य एक दिन उस राजनीतिक विरासत को निवटायेगा जिसपर ये राजनीतिक दल अपनी रोटी सेक रहे हैं। कुछ लोगों को आषंका है कि राजोआना की फांसी के बहाने पंजाब में फिर से सिख आतंकवाद विस्तार में लगा है। अकाली दल यह मानकर चल रहा है कि उसे सत्ता दिलाने में सिख चरम सोच वालों की भूमिका है इसलिए सिख पंथ के द्वारा संचालित सर्वोच्च संगठन की दल अवहेलना नहीं कर सकता है। इधर एक चिंतन यह भी है कि पंजाब की राजनीति में कांग्रेस ने सिखों के साथ धोखा किया है, सिख यह मानकर चलते हैं। स

तो मुस्लिम नेता खुद के कौम का बुरा कर रहे हैं

मित्रों, मेरे वरिष्ट मित्र हैं सम्माननीय लक्ष्मी नारायण भाला जी। बडी मार्मिक बात उन्होंने बताई है। हालांकि उनको भी किसी दूसरे सज्जन ने ही मेल किया है लेकिन जो बात उनके द्वारा कही गयी है वह सचमुच इस देष के लिए घातक है। आन्ध्र प्रदेष का कोई विधायक है जिसने वहां हाने वाले हिन्दू धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध के लिए सरकार पर दबाव बनाया है। मैं खुद हिन्दुओं की पवित्र भूमि भेट द्वारका जा कर आया हूं। बडी तेजी से भेट द्वीप मुस्लिम अतिक्रमणकारियों की भेंट चढ रहा है। कष्मीर में हिन्दू आयोजनों पर मुस्लिम पत्थर सैनिकों ने उत्पात मचा रखा है। मुझे तो तब आष्चर्य हुए जब एक दिन एक हिन्दू ऑटो चालक ने अपनी मार्मिक बात बताई। चंडीगढ के बुडैल स्थित मस्जिद के पास वह सुवह में अपाना ऑटो की सफाई किया करता है। सुबह सवेरे मन की पवित्रतता के लिए वह धार्मिक भजन लगा दिया करता था, एक दिन उस मस्जिद के मौलवी ने उसे मना कर दिया और कहा कि अगर वह ऐसा करेगा तो उसको यहां से भगा दिया जायेगा। हालांकि वह आज भी वही ऑटो लगाता है और भजन भी सुनता है लेकिन जिस देष में धर्मनिर्पेक्षता की बात की जाती है उस देष में यह क्या हो रहा है। ल

तो दे”ा सम्भल नहीं पायेगा

मित्रों,  सचमुच गरीब आदमी बेइमान नहीं होता है। बिहार के मुख्यमंत्री निति”ा कुमार की उक्ति मुझे सही लग रही है। बीते कल मैं इण्डिया टुडे का एक अंक पढ रहा था। उस अंक में निति”ा कुमार ने बडे मारमिक ढंग से बिहार की व्याख्या की है। मैं पूरे दे”ा का भ्रमण कर चुका हूं, बिहार को जिय तरीके से नजरअंदाज किया गया है वह एक अध्यन का वि’ाय हो सकता है। उत्तर प्रदे”ा की राजनीतिक ताकत सर्वदा से अधिक रही है। वहां राजनीतिक ताकत के कारण विकास होता रहा। उत्तर प्रदे”ा से ही ज्यादातर प्रधानमंत्री बने लेकिन स्वतंत्रता के बाद बिहार के साथ तो लगातार अन्याय होता रहा है। पंजाब के विकास में केन्द्र सरकार की भूमिका आप देखें। गुजरात और महारा’ट्र के विकास में केन्द्र भूमिका देखें, इन प्रांतों में केन्द्र ने विकास के लिए काफी कुछ किया है लेकिन बिहार में ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिलता है। न तो बढिया कालेज बनाया गया और न ही कोई आर्थिक केन्द्र खोले गये। हां संयुक्त बिहार में कुछ उद्योग लगाये गये जो मजबूरी में खडा कर दिया गया। जिस प्रदे”ाों में विकास दिखता है वहां बिना संसाधन के विकास को प्रोत्साहन मिला है। बिहार में ऐसा न

जहां जीवन-मूल्य और परंपरा ही षिक्षा का आधार है

गौतम चौधरी आज षिक्षा का स्वरूप बदल गया है। षिक्षा पर पूंजी का दबाव है। षिक्षा अब आम लोगों की पहुंच से बाहर होती जा रही है। पैसे वालों के लिए बडे बडे शैक्षणिक संस्थान खुले पडे हैं लेकिन कुछ आम लोगों के लिए भी प्रयास हो रहा है जिसे प्रचार और सामाजिक संरक्षण की जरूरत है। आज जहां एक ओर निजीकरण, भूमंडलीकरण के बाज़ारू दौर में परंपरा, विरासत, पहचान दम तोड रही है वहीं दूसरी ओर षिक्षा के माध्यम से मूल्यों और परंमपराओं को स्थापित करने के लिए बडे संस्थानों और पराक्रमी वैष्विक उपक्रमों से मुठभेड करती शैक्षणिक संस्थाए भी है जिसे प्रचार और सामजिक मनोहार की जरूरत है। इस मामले में पंजाब के गुरदासपुर जिला स्थित  तुगलवाला गांव का षिक्षा केन्द्र बडी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस शैक्षणिक संस्थान में  सेवा, सुमिरन, सहयोग, सादगी, शुचिता, ईमानदारी, सच्ची कीर्ति, सत्कर्म तथा परोपकार का व्यावहारिक पाठ पढ़ाया जाता है। गुरदासपुर का बाबा आया सिंह रियाड़की कॉलेज, तुगलवाला, लडकियों के लिए है। इसकी स्थापना पंजाब के रियाड़की क्षेत्र में एक परोपकारी संत बाबा श्री आया सिंह ने सन् 1925 में पुत्री पाठशाला के रूप में की

शब्दों पर नहीं स्वयं के भाव पर मंथन की जरूरत है

गौतम चौधरी लगातार दो दिनों से सेक्सी शब्द की गंूज कानों में ध्वनित हो रही है। पता नहीं महिला आयोग की महिला सदस्या ने भाषण न दिया कि पूरा देश उनके बयान पर उलझ गया है। जो लोग लगातार अपने-अपने ब्लॉग में माननीया ममता शर्मा के बयान पर कलम घिस रहे हैं उससे कोई फर्क पड़ता है क्या? इस देश में हर को वाक एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। कोई कुछ कह ले उसका कोई कुछ उखाड़ नहीं सकता तो फिर नाहक ममता देवी जी के बयान पर अपना समय क्यों खराब कर रहे हैं लोग। उन्होंने अच्छा कहा, बुरा कहा, भला कहा, महिलाओं को सेक्सी ही तो कहा। जो लोग ममता जी के बयान का नाकारात्मक पक्ष उभार रहे हैं उन्हें समझना चाहिए कि शब्द अपनी रोचकता के साथ अर्थों में विस्तार करता चला जाता है। सचमुच अगर लड़कियां या महिलाएं यह मान लें कि बंदा जो उसे सेक्सी कह रहा है उसका मतलब बुरा नहीं, नाकारात्मक नहीं, साकारात्मक है तो मैं समझता हूं कि उत्पीडऩ की प्रवृति वाले पुरुष की आधी ताकत समाप्त हो जाएगी। देखिए संवाद की भाषा चाहे कितनी बुरी हो लेकिन संवाद ग्रहण करने वाला साकारात्मक प्रवृति का है तो संवाद सार्थक हो जाता है, लेकिन ग्रहण करने वाला व्यक्त

सेमेटिक चिंतन का ही विस्तार है इस्लाम, ईसाइयत एवं साम्यवाद

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गौतम चौधरी   समाजवाद का सिध्दांत रॉवट ओवेन एवं सेंट साईमन ने दिया। मेकाइबर और पेज नामक समाज विज्ञानी ने समाज को परिभाषित किया। पश्चिम में समाज की संरचना का जो क्रमिक विकास हुआ है वह संघर्ष और विखंडन के सिध्दांत पर आधारित है। इसलिए वैज्ञानिक समाजवाद के प्रवर्तक कार्ल मर्क्स को दुनिया का इतिहास संघर्ष से भरा पडा दिखा। जो लोग यूरोप की सभ्यता को यूनानी सभ्यता का विस्तार मानते हैं वे भ्रम में हैं। आज का यूरोप यूनान का नहीं अपितु आद्य अरब सभ्यता का विस्तार है। भारत में शुक्राचार्य नाम के एक चिंतक हो गये हैं। उन्हें दानवों के गुरू के रूप जाना जाता है। दानव यानि भौतिक और जडवादी चिंतन को मानने वाला। शुक्राचार्य के पौत्र का नाम हर्ब था। जिसका अपभ्रंश अरब हो गया। इस बात में कितनी सत्यता है , उसके लिए तो शोध की जरूरत है , लेकिन एक यह भी दृष्टिकोण है जिसे दुनिया में समाज की संरचना को समझने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। कहा जाता है कि सेमेटिक विचार को मानने वाले पहले मिश्र में रहते थे। वहां के राजा को उन लोगों ने छल से मार कर रातों रात निकल गये और मध्य पूरव के समुद्री किनारे पर अपना

पहले ईसाई चर्च पर लगाम लगाये सरकार

गौतम चौधरी   लाल कुत्ता जो भौंकता है , काटने के लिए दौड़ता , बडा खतरनाक है। मैंने भी मान लिया। कुत्ता कुछ अलग किस्म का है। इसकी रगों में माओ और लेनिन दोनों के खून बह रह है। यह अपने देश का नहीं , विदेशी नस्ल का है , क्योंकि इसके पुंछ कट हुए हैं। ऐसे ही कुछ कुत्तों को शहर में लाया गया। कुछ को वकील तो कुछ को पत्रकार बनाया गया। कुछ ने संसदीय प्रणाली माल ली। उसी प्रजाति का एक कुत्ता कल सामंत ठेकेदार के पोर्टिको में बधा मिल गया। जिसपर हुलकाया जाता उसी को काटता। मैंने कहा हे भगवान यह क्या हो गया! लोगों ने कहा अब यह कुत्ता जंगली नहीं पालतू हो गया। अखबार में एक छोटी सी खबर पढी। श्रीलंका की सरकार ने भारत सहित अरब देशों के 160 ऐसे मौलवियों को अविलंब देश छोडने को कहा है जो विगत लम्बे समय से पर्यटन वीजा पर श्रीलंका में धर्म प्रचार कर रहे थे। ये मौलवी तब्लीगी जमात के हैं और उन्हें अरब देशों में धर्म प्रचार के लिए काम करने वाली संस्था ने श्रीलंका भेजा था। फिर विगत दिनों केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश का बयान आया। उन्होंने भारत में काम कर रहे चर्च को चेतावनी दी है कि वह बेशक सेवा