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Showing posts from August, 2020

गजवा-ए-हिंद की मूर्खतापूर्ण प्रचार से सावधान रहें भारतीय मुसलमान

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गौतम चौधरी  कुरान मजीद में लिखा है कि जो कोई एक भी निरपराध व्यक्ति की हत्या करता है, मानो उसने पूरी मानवता की हत्या कर दी हो और यदि एक व्यक्ति को भी बचाता है तो मानों उसने पूरी मानव जाति की रक्षा की है। कुरान किसी को भी बिना वजह मारने के खिलाफ है। पवित्र कुरान कभी निरपराध की हत्या का समर्थन नहीं करता है। लेकिन इस्लाम के नाम पर कई चरमपंथी और कट्टरपंथी, दशकों से यही कर रहे हैं। कुरान मजीद की वे गलत व्याख्या कर नहीं सकते इसलिए हदीस का सहारा लेते हैं गलत तर्जुमा कर नौजवानों को भड़काते हैं। इस प्रकार के आन्दोलन को हवा देने वाले इस्लाम की सच्ची तस्वीर को विकृत करने और अपने स्वयं के अहं को तुष्ट करने में लगे हैं। ऐसा ही एक संगठन भारत में भी अपना पांव पसार रहा है। इसे गजवा-ए हिंद के नाम से जाना जाता है। यह संगठन भारतीय उपमहाद्वीप के भोले-भाले मुस्लिम युवाओं को गुमराह करने के लिए गलत तरीके से हदीस की व्याख्या करने में लगे हैं। गजवा-ए हिंद का मोटे तौर पर भारत के खिलाफ पवित्र युद्ध के रूप में अनुवाद किया जा सकता है, जिसका उपयोग उसके समर्थकों द्वारा धोखे से मुसलमानों को भारत के खिलाफ क्रांति के लिए

जलप्रपात में एक प्रेमी की मांदर और बासुरी आज भी सुन सकते हैं आप

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गौतम चौधरी  मोहब्बत, हमने माना, दुनिया बरर्बाद करती है, ये क्या कम है कि मर जाने के बाद दुनिया याद करती है। मुगल-ए-आजम की यह कैव्वाली आपने जरूर सुनी होगी। आपने यह भी सुना होगा कि जब प्यार किया तो डरना क्या। दरअसल, प्रेम करने वाले किसी की भी परवाह नहीं करते। उनके लिए प्रेम ही ईश्वर हो जाता है और उसी प्रेम को प्राप्त करने के लिए अपनी दुनिया तक बर्बाद कर लेते हैं। आज हम आपके सामने झारखंड की भूली-बिसरी प्रेम कहानियों में से कुछ खास लेकर आए हैं। तो आइए आपको सुनाते हैं छैला संदु की प्रेम कहानी: -  आपको तो पता ही होगा कि झारखंड का अधिकतर क्षेत्र घने जंगलों से आज भी आक्षादित है। कहानी बहुत पुरानी है। झारखंड की राजधानी रांची के आस-पास हरी-भरी वादियों की कमी नहीं है। यहां की एक प्रेम कहानी आज भी आसपास के लोगों को रोमांचित कर देता है। यही नहीं जब कभी बाहर के लोग, पर्यटक यहां आते हैं उन्हें भी यह कहानी रोमांचित कर जाता है। यह कहानी जब आप सुनेंगे तो हीर-रांझा, लैला-मजनू, रानी सरिंगा-सदावर्त की कहानी आप भूल जाएंगे एक खास प्रकार के रोमांच से भर जाएंगे। झारखंड के तमाड़ स्थित बागुरा पीड़ी नामक एक गांव है

दिल्ली दरबार तय करेगा बेरमो से केला या कमल!

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दीपक से प्रकाश ले  दो से तीन होना चाहते हैं सुदेश?  कुमार कौशलेन्द्र कौशल  नियति कहें या सियासी चलन, झारखंड में चुनावी चौसर बिछते ही क्या पक्ष और क्या विपक्ष; सबके सब जात-जमात और स्थानीयता का राग अलापने लगते हैं. एतद् संबंधी खबरों पर चिंतन करता मैं बुधवार दोपहर को भाजपा प्रदेश मुख्यालय पहुँच गया.  मंशा थी कि भाजपा संगठन मंत्री धर्मपाल सिंह और प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश से मिलकर दुमका व बेरमो विधानसभा उपचुनाव और संभावित कार्यकारिणी व मोर्चा विस्तार आदि के संबंध में आधिकारिक जानकारी लेकर आपके लिये गुरुवारी बेबाक लेकर हाज़िर हो सकूँ. कोविड के कारण भाजपा प्रदेश मुख्यालय में प्रवेश प्रतिबंधित था. दूरभाष पर प्रदेश अध्यक्ष अथवा संगठन मंत्री से संपर्क साध पाता उसके पहले ही मेरी निगाह पड़ी  कुछ नेता टाईप युवाओं और अधेड़ उम्र के एक नेता जी पर. उनके वार्तालाप की गरमा-गरमी देख गाड़ी खड़ी कर उनके पास पहुंच गया.  उक्त समूह के वार्तालाप अंश पर गौर करें- 'सब आइसोलेशन में हऊ तो कमिटी- मोर्चा के विस्तार कैसे करैथौ; मोरहाबादी बाबूलाल जी के ईहां गेलियो त दूरे से कहलकौ कि - हां-हां ठीक है बोल देंगे...ऑ

झारखंड आए और हजारीबाग को नहीं देखा तो आपने कुछ भी नहीं देखा

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गौतम चौधरी  सतपुड़ा के घने जंगल। नींद मे डूबे हुए से ऊँघते अनमने जंगल। झाड ऊँचे और नीचे, चुप खड़े हैं आँख मीचे, घास चुप है, कास चुप है मूक शाल, पलाश चुप है। बन सके तो धँसो इनमें, धँस न पाती हवा जिनमें, सतपुड़ा के घने जंगल ऊँघते अनमने जंगल। बचपन में आपने भवानी प्रसाद मिश्र की यह कविता जरूर पढ़ी होगी। मैने भी पढ़ी है लेकिन सतपुरा के घने जंगल देखने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हो पाया। मैने तो उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और झारखंड के ही जंगल देखे। यहां के जंगल भी सतपुरा से कम नहीं है। दरअसल, किसी स्थान, व्यक्ति या अन्य तथ्यों की व्याख्या करने वाला जितना सशक्त होता है, वह उतना ही प्रभावशाली ढंग से विषय की व्याख्या करता है और जिसकी व्याख्या करता है उसको स्थापित कर देता है। चूकि, सतपुरा के घने जंगल की व्याख्या करने वाले आदरणीय मिश्र जी थे, इसलिए हिन्दी जगत में जंगल का प्रयास सतपुरा बन गया लेकिन अभी हाल ही में मुझे हजारीबाग के जंगल का दर्शन हुआ। सच पूछिए तो मुझे बहुत पसंद आया। झारखंड में आने के बाद मेरी व्यक्तिगत राय बनी है कि यदि झारखंड को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जाए तो यहां देखने-दिखाने के लिए ब

कहीं भाजपा की आंतरिक गुटबाजी का शिकार तो नहीं हो गए बाबूलाल

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गौतम चौधरी  बाबूलाल मरांडी, भारतीय जनता पार्टी में आ तो गए लेकिन भाजपा में आने के बाद उनका राजनीतिक करियर दाव पर लग गया है। डील के अनुसार बाबूलाल को नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी मिलनी थी। पार्टी में लौटने के तुरंत बाद भाजपा ने बाबूलाल मरांडी को अपने विधायक दल का नेता भी चुन लिया लेकिन कई महीने बीतने के बाद भी उन्हें प्रतिपक्षी नेता की कुर्सी नसीब नहीं हो पायी है। इस मामले में जहां एक ओर सत्ता पक्ष के लोग संवैधानिक और कानूनी अहर्ताओं की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मुख्य विपक्षी भाजपा, हेमंत सरकार के खिलाफ महज चंद बयानों तक ही सिमट कर रह गयी है। हालांकि भारतीय जनता पार्टी कार्यालय में बाबूलाल को लेकर छुटभैये नेताओं के बीच चर्चाएं तो होती है लेकिन प्रदेश नेतृत्व इस मामले में बेहद सुरक्षात्मक रवैया अपनाए हुए है।  बाबूलाल मरंडी के मामले में प्रदेश से लेकर केन्द्रीय नेतृत्व तक जिस प्रकार का रवैया अपना रही है उससे तो यही लगता है कि पार्टी के अंदर अलग  खिचड़ी पक रही है। अब तो इस आशंका को भी बल मिलने लगा है कि प्रदेश नेतृत्व बाबूलाल को लाकर उनकी राजनीतिक हत्या करने की पूरी योजना बना रखी है। हालांक

दुमका से लुईस नहीं बाबूलाल होंगे भाजपा के उम्मीदवार!

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कुमार कौशलेन्द्र कौशल  आंग्ल भाषा में एक शब्द है - Hypothetical. हिन्दी में इसका अर्थ होता है -कल्पित,परिकल्पित आदि. सामान्यतः इस शब्द का प्रयोग विशेषण (Adjective) और संज्ञा (Noun) के रूप में होता है. हम पत्रकारों का सामना इस शब्द से  होता ही रहता है. सियासी महारथी हमारे सवालों को टालने अथवा अपनी सियासी रणनीति को आवरण में रखने के लिये हमारे आकलन जनित प्रश्न को Hypothetical करार देते हैं. खैर, बेबाक में उपरोक्त शब्द की विवेचना नहीं करने जा रहा हूँ . बल्कि आप से एक अहम सियासी वार्तालाप साझा करने जा रहा हूँ, विगत् शुक्रवार को मुझे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक वरिष्ठ पदधारी रहे पूर्णकालिक स्वयंसेवक और झारखंड भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ पदधारी के साथ घंटों सियासी चर्चा का अवसर मिला. मुझे एक पक्षीय पत्रकारिता का उलाहना देते हुये संघ के उक्त समर्पित वरिष्ठ ने कहा- सूबे में पूर्व मुख्यमंत्री रघुबर दास की हठधर्मिता और संघ व भाजपा कार्यकर्ताओं की अनदेखी के कारण झारखंड मुक्ति मोर्चा को सरकार बनाने का मौका मिला,अन्यथा किसी भी सूरत में भाजपा की सरकार नहीं जाती. उन्होंने आगे कहा -एक बात और बता दूँ, सूब

बौक्स आफिस पर धमाल मचाने जल्द आ रही है यामिनी की पहली फिल्म ‘‘बधाई हो बेटी हुई है’’

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गाना हुआ रिलीज गौतम चौधरी  झारखंड में शूटिंग हुई फिल्म “बधाई हो बेटी हुई है”  का गाना 15 अगस्त को रिलीज हुआ। इस फिल्म में हाल ही में दिवंगत हुए राजनेता अमर सिंह ने भी भूमिका निभाई है। अमर सिंह अंतिम बार इस फिल्म में दिखाई देंगे। फिल्म की मुख्य किरदार में अभिनेत्री यामिनी स्वामी हैं। फिल्म का कथानक मूल रूप से बेटी के महत्व पर केंद्रित है। इसमें दर्शकों को नारी जीवन के कई रंग देखने के लिए मिलेंगे। फिल्म की शूटिंग झारखंड के अलग-अलग लोकेशन पर हुई है। दूसरे कई महानगरों का दृश्य भी इसमें खूबसूरती से फिल्माया गया है। फिल्म की शूटिंग लॉकडाऊन से पहले ही पूरी हो गई थी। गाना रिलीज होने के बाद जल्दी ही ट्रेलर रिलीज होने की भी संभावना है। फिल्म की नायिका यामिनी आखिर है कौन? दर्शकों के मन में लगातार यह प्रश्न खड़ा होगा कि आखिर यामिनी स्वामी है कौन? यामिनी की यह पहली बड़े पर्दे की फिल्म है। यामिनी खुद को सौभाग्यशाली मानती हैं कि उन्हें अपनी पहली फिल्म में दिग्गज अभिनेत्री जयप्रदा  के साथ काम करने का मौका मिला। जिसके जरिए उन्होंने बहुत कुछ सीखा। यामिनी, मास कम्युनिकेशन और जर्नलिज्म में स्नातक हैं और मास

देश के लोकतांत्रिक स्वरूप को बिगाड़ने वाले PFI को हतोत्साहित करना जरूरी

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  रजनी राणा चैधरी   पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने नवंबर 2006 में राष्ट्रीय विकास मोर्चा, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और अन्य संगठनों जैसे छोटे दलों के साथ विलय करके राष्ट्रीय फलक पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। हालांकि इस संगठन से जुड़े लोग खुद को समाज के निम्न वर्ग की सेवा के लिए प्रतिबद्ध बताते हैं लेकिन इनका क्षद्म एजेंडा कुछ और ही है। यह संगठन देश की एकता और अखंडता के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। वास्तव में, यह एक चरमपंथी संगठन है, जिसमें आपराधिक प्रवृत्ति सर्वविदित है। यह एक ऐसा संगठन है, जिसे गुप्त तरीके से संचालन के लिए जाना जाता है। इसकी संलिप्तता अपहरण, हत्या, घृणा अभियान, कट्टरपंथी संगठनों के साथ संबंध, हथियारों के अवैध कारोबार आदि में बार-बार पायी गयी है।    पीएफआई हर साल जकात के नाम पर करोड़ों रुपये जमा करता है। निर्दोष मुसलमानों ने जरूरतमंदों की मदद करने की उम्मीद में पीएफआई जैसे संगठनों को अपने जकात के पैसे दान करते हैं लेकिन यह संगठन उस पैसों से आतंकी गतिविधियों में संलिप्त लोगों को सहयोग करता है। जकात देने वाले सीधे-साधे मुसलमान तो यह भी नहीं जानते हैं कि पीएफआई ने हाल ही में ईड

नायक’ की छवि में आईये हेमंत जी…

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कुमार कौशलेन्द्र  सूदखोरों और महाजनी प्रथा के ख़िलाफ़ विप्लव का बिगुल फूँक कर शिबू सोरेन ने अपने जीवन काल में ही दिसोम गुरु का दर्जा हासिल कर लिया. जहां तक मेरी जानकारी है – अविभाजित बिहार और झारखंड में जो जन स्वीकार्यता का कीर्तिमान तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद झारखंड मुक्ति मोर्चा सुप्रीमो ने हासिल किया उसके इर्द-गिर्द अबतक कोई राजनेता पहुँच नहीं पाया. गुरू जी के बारे में जितना जाना और समझा उसे जब फिल्मों के परिप्रेक्ष्य में देखता हूँ तो मुझे ‘नायक’ फिल्म के अभिनेता अनिल कपूर में शिबू सोरेन की विपल्वी छवि दिखती है. सही मायनों में कहें तो अपने आचरण, बेबाक बोलचाल और दो टूक अक्खड़ मिज़ाज के कारण गुरु जी ताउम्र विपल्वी जननेता ही बने रहे और पेशेवर बन चुके राजनीतिज्ञों की भांति राजनीतिक हानि लाभ का गणित न तो उन्हें समझ में आया और ना ही उन्होंने उसकी परवाह की. हेमंत जी आप को बेहतर याद होगी वो 30 जुलाई 1995 की तारीख जब JAAC अर्थात् झारखंड क्षेत्रीय स्वायत्तशासी परिषद् का झुनझुना पृथक झारखंड गठन और विकास कवायद के नाम पर थमाया गया था. राजनीति का वो कुरूप चेहरा उस वक्त के आपके युवा मानस प