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Showing posts from November, 2012

चीन के खिलाफ साम्राज्यवादी ताकतों का हथियार बनने से बचना होगा भारत को-गौतम चौधरी

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विगत दिनों मैं एक संविमर्ष में गया था। संविमर्ष भारत चीन युद्ध के पांच दषक बीत जाने पर भारत चीन संबंधों और आपसी कूटनीति पर विचार के लिए बुलाया गया था। भारत चीन युद्ध, भारत चीन के बीच की कूटटनीति और भारत चीन के बीच संबंधों पर चर्चा के बीच जो बातें मेरी समझ में आयी उसका सार्वजनिक होना मैं जरूरी समझता हूं। सबसे पहली बात तो यह है कि जिस संविमर्ष में भारत चीन युद्ध के पांच दषक बाद की स्थिति पर चर्चा हो रही थी उसकी भाषा भारतीय नहीं थी। भाषा और संविमर्ष की संस्कृति से साफ झलक रहा था कि हम चर्चा करने के लिए तो भारत और चीन के बीच संबंधों को अपना विषय बनाये है, लेकिन चर्चा में कही भारत का सांस्कृतिक और राष्ट्रीय स्वरूप नहीं दिख रहा है। लग यह रहा था कि हमारे वक्ता आज भी भारत को ब्रितानी कॉलोनी मानकर चल रहे हैं। गोया चर्चा में कही भारत नहीं दिख रहा था। हमारे जानकार इतिहास की गहराई से भी कन्नी काट रहे थे। एक विद्वान ने तो आचार्य विष्णुगुप्त चाणक्य को पाकिस्तानी तक ठहरा दिया और यह कह दिया कि पाकिस्तान चाणक्य के सिद्धांतों का अनुसरण कर रहा है। मैं इतिहास का गहन अध्ययेता नहीं हूं। इतिहास मेरा सहाय

मुस्लिम महत्वाकांक्षाओं को भडकाना बंद करे सेकुलर दल-गौतम चौधरी

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विगत कुछ महीनों से अल्पसंख्यक, खासकर इस्लाम पंथावलंबी अप्रत्याषित ढंग से उग्र हो रहे हैं। जिसका ताजा उदाहरण उत्तर प्रदेष, आंध्रा, असम, केरल, दिल्ली एवं राजस्थान में हिन्दुओं के खिलाफ हिंसा की घटना है। हालांकि छिट-फुट घटनाएं उत्तराखंड, उडीसा, पंष्चिम बंगाल आदि राज्यों में भी हो रही है, लेकिन उत्तर प्रदेष, आंध्र प्रदेष तथा असम में तो संगठित रूप से हिन्दुओं की हत्या की जा रही है। सबसे आष्चर्य की बात तो यह है कि जिन राज्यों में लगातार हिन्दुओं के खिलाफ कत्लेआम जारी है, उन राज्यों की पुलिस मात्र घटनाओं और हत्याओं की मिमांषा कर बैठ जाती है। पुलिस के हालिया व्यवहार से यह स्पष्ट हो गया है कि जो लोग संगठित सांप्रदायिक अपराध में संलिप्त हैं उसको परोक्ष रूप से राज्यसत्ता का सहयोग प्रप्त है। बात यही तक जाकर नहीं रूकती, यह आगे भी जा रही है। पुलिस और प्रषासन के साथ ही साथ इस्लामी आतंकवाद पर केन्द्र एवं विभिन्न राज्य सरकारें नरमी बरत रही है। बाकायदा कानून में संषोधन कर इस्लामी चरमपंथियों को रिहा किया जा रहा है। वस्तुतः संपूर्ण देष की वर्तमान समाजिक परिवेष पर नजर दौराने से साफ दिखता है कि मुस्लिम