Posts

Showing posts from 2015

घटने लगी है भाजपा की लोकप्रियता

Image
गौतम चौधरी छवि को बनाए रखने के लिए जल्द उठाने होंगे कदम बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद भारतीय जनता पार्टी दो बड़े प्रदेशों, (उत्तर प्रदेश और गुजरात) के स्थानीय निकाय चुनाव में भी बेहद कमजोर प्रदर्शन कर पायी। हालांकि अपनी पीठ खुद थपथपाते हुए भाजपा अब यह कहती फिर रही है कि गुजरात में हुए छे महानगर पालिकाओं में से उसकी प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस अपना खाता भी नहीं खोल पायी लेकिन भाजपा यह बताने से कतरा रही है कि प्रदेश के पंचायतों में भाजपा की लोकप्रियता का ग्राफ बड़ी तेजी से घटा है। आंकड़ों पर ध्यान दें तो गुजरात के स्थानीय निकाय चुनाव, खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में भाजपा का जनाधान बड़ी तेजी से गिरता दिख रहा है। याद रहे गुजरात भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी का गृह प्रांत ही नहीं कायदे से गुजरात भारतीय जनता पार्टी की प्रयोग भूमि भी है। अगर इस प्रांत में भाजपा की स्थिति कमजोर होती है तो नि:संदेह भाजपा को यह मान लेना चाहिए कि उसकी नीतियों और कार्यशैली में कही न कही कोई चूक है जिसके कारण वह अपने प्रयोग भूमि पर ही मात खाने की स्थिति में पहुंच गयी है। हालांकि यह स्थानीय निकाय

आत्ममुग्धता को छोड़ आत्ममंथन करे संगठन और पार्टी

Image
कार्यशैली और सैद्धांतिक विचलन के कारण बिहार में हारी भाजपा गौतम चौधरी बिहार विधानसभा का परिणाम जैसा अनुमान लगाया गया था वैसा ही आया है। इस परिणाम में एक बात जरूर नयी है कि लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल अपना खोया जनाधार एक बार फिर से प्राप्त कर लिया है। यदि सतही तौर पर कहा जाये तो बिहार का यह चुनाव नीतीश कुमार और नरेन्द्र मोदी के बीच की लड़ाई था लेकिन गहराई से देखा जाये तो यह लड़ाई क्रूड़ पूंजीवाद और समाजवादी पूंजीवाद के बीच लड़ी जा रही थी। नि:संदेह इस चुनाव में बिहार की जनता ने क्रूड़ पूंजीवाद को नकार दिया और समाजवादी पूंजीवाद को अपना लिया है। हालांकि चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने अपनी पूरी ताकत झोक दी थी लेकिन चुनाव परिणाम उसके विपरीत आया। इसके कारणों की समीक्षा भाजपा के अंदर भी हो रही होगी लेकिन मेरी समझ में जो बातें आ रही हैं वह भाजपा का ईवेंट और मीडिया मैनेजमेंट वाली रणनीति इस बार काम नहीं आयी और परिणाम भाजपा के लिए अप्रत्याशित हो गया।  मैंने पहले भी लिखा था कि भाजपा लगातार अपनी रणनीति बदल रही है और जो योद्धा रणभूमि में घोड़ा बदलता है, उस योद्धा को बढिया योद्धा न

नीतीश के राजनीतिक कौशल और प्रचार-वार से भाजपा नेताओं के छूटे पसीने

Image
गौतम चौधरी जीते तो बिहार का सत्ता-सुख, हारे तो मोदी-विरोधी ध्रुव के कप्तान बिहार के चौथे चरण का चुनाव संपन्न हो गया। अब सबसे अंतिम चरण, यानि 05 नवम्बर के चुनाव की तैयारी होने लगी है। कुल मिलकार देखें तो थोड़ी स्थिति भी स्पष्ट होती दिख रही है। चाहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हों या भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, दोनों ने बिहार चुनाव में बड़ा मेहनत किया है। अब स्थानीय भाजपायी कितना मेहनत किये यह तो पता नहीं लेकिन बिहार विधानसभा के इस चुनाव में केन्द्रीय मंत्रिमंडल के लगभग सभी सदस्यों ने अपनी ताकत लगाई है। बिहार के लोगों की मानें तो बिहार में पूरे चुनाव प्रचार के दौरान आधा केन्द्रीय मंत्रिमंडल बिहार में ही डटा रहा। सूचना के अनुसार भाजपा, इस चुनाव के लिए गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा, छत्तीसगढ एवं उत्तर प्रदेश के सैंकड़ों कार्यकत्र्ता और नेताओं को लगा रखी है। इसके अलावा कुछ पेशेवर लोगों को भी चुनाव प्रचार के लिए लगाया गया है। भाजपा के लिए इस चुनाव की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई एक दिन में तीन-तीन सभाओं को

देश की बिगड़ते माहौल के लिए सत्तारूढ दल और प्रतिपक्ष दोनों जिम्मेदार

Image
गौतम चौधरी गोमांस के मामले में राजनीति कर रही है सभी राजनीतिक पार्टियां विगत दो-तीन महीनों से देश के अंदर एक अजीव सा माहौल देखने को मिल रहा है। यह वास्तविक अराजकता है या फिर समाचार माध्यमों की सुर्खियां मात्र बन रही है, इसपर विमर्श की जरूरत है। कुछ प्रेक्षक इस माहौल को बिहार विधानसभा चुनाव के साथ जोड़कर देख रहे हैं। कुछ का कहना है कि केन्द्र सरकार को जब से यह सूचना मिली है कि उनकी छवि खराब हो रही है, तभी से माहौल में नकारात्मक परिवर्तन आया है। कुछ लोग इस माहौल के साथ कॉरपोरेट मुनाफे को जोड़ रहे हैं, तो कुछ ऐसे भी लोग हैं जो दबी जुवान यह कह रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी योजनाबद्ध तरीके से बहुसंख्यकों के ध्रुविकरण पर काम कर रही है। इन तमाम बिन्दुओं के दो पक्ष हैं। जैसे उदारहण के तौर पर, भारतीय जनता पार्टी बहुसंख्यकों के ध्रुविकरण में लगी है, इसका दूसरा पक्ष यह है कि जो लोग भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगा रहे हैं, वह भी वही कर रहे हैं जिसके लिए वे भाजपा को बदनाम कर रहे हैं। खैर जो भी हो, चाहे कुछ लोग इसे समाचार माध्यमों की सुर्खियां ही माने, पर इसमें कही कोई संदेह नहीं है कि इस माहौ

भारत में औद्योगिक क्रांति ला सकता है जर्मन तकनीक

Image
गौतम चौधरी  जर्मन मोटर ब्हीकलल टेकAोलाजी का सॉफ्ट डेस्टिनेशन बन सकता है भारत   नरेंद्र मोदी जबसे प्रधानमंत्री बने हैं, दर्जनों विदेशी राष्ट्राध्यक्षों को भारत की यात्र करा चुके हैं लेकिन ऐसा लगता है कि जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल की यह यात्र औरों से कुछ हटकर है, जो भारत-जर्मनी दोस्ती को लम्बे समय तक प्रभावित करने वाला साबित हो सकता है। जर्मन चांसलर मर्केल की यात्र के दौरान दोनों देशों ने 18 समझौते किए हैं। उनमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण, सौर ऊर्जा संबंधी समझौता है। यदि जर्मनी समझौते के अनुसार सवा दो अरब डॉलर सौर ऊर्जा के लिए भारत में लगा दे तो भारत का चित्र बदल जाएगा। भारत धूप का देश है। भारत की धरती पर सूर्य देव की विशेष कृपा है। यहां असीम सौर ऊर्जा की संभावना है। यदि जर्मनों से हमने सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के गुर सीख लिये तो उर्जा के क्षेत्र में दुनिया के विकसित देशों को हम टक्कर दे सकते हैं। किसी भी देश के आधारभूत संरचना निर्माण के लिए इस्पात उद्योग, कपड़ा उद्योग एवं उर्जा उद्योग का होना जरूरी होता है। दुनिया का वही देश समृद्ध और ताकतवर माना जाता है जिसके पास इन तीन आधारभूत संरचना

श्वेत सोना पर सफेद मक्खी का आक्रमण

Image
गौतम चौधरी कपास की पारंपरिक खेती में अवैज्ञानिक संशोधन गैरवाजिव पंजाब में इन दिनों श्वेत-सोना, यानि कपास की खेती पर जबरदस्त हंगामा मचा है। पंजाब विधानसभा के सत्र से लेकर बठिंड, अबोहर, फाजिल्का, फिरोजपुर, फरीदकोट के कपास उत्पान क्षेत्र तक यह हंगामा देखा जा रहा है। हंगामा होना भी स्वाभाविक है। कपास की खेती करने वाले किसानों ने अपनी पूरी जमा-पूंजी लगाकर कपास की खेती की और जब कपास तैयार होने को हुआ तो सफेद मक्खी ने आक्रमण कर दिया। तय है कि सफेद मक्खी की मार वाले कपास अब कैड़ियों के दाम बिकेंगे।  सफेद मक्खी के बारे में ‘‘मुण्डे-मुण्डे मतिभिन्ना’’ वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। हर विशेषज्ञ इस मामले में अलग राय रखते है। इस मामले में सरकार की नीयत पर भी सवाल खड़े किये जा रहे हैं। लिहाजा सरकार की उदासीनता और नकारात्मकता पर भी चर्चा हो रही है। पंजाब के किसानों का तो यहां तक आरोप है कि सरकार की नकारात्मकता के कारण कपास की फसलें मार खा ही है। हालांकि इस आरोप में कोई ज्यादा दम दिखता नहीं है लेकिन विगत कुछ वर्षो से कपास के उत्पादकों पर सरकारी नीतियों का नकारात्मक असर तो पड़ा है। इस मामले में

साम्राज्यवादी मनोवृति का प्रतिफल है नशों का अवैध कारोबार

Image
गौतम चौधरी नशों के अवैध कारोबार के मकड़जाल को तोड़ना जरूरी वैश्विक स्तर पर नारकोटिक्स को लेकर एक बार फिर से माहौल गरमाने लगा है। विगत दिनों संयुक्त राज्य अमेरिका ने कुछ देशों की सूचि जारी कर कहा है कि ये देश नशीले पदार्थो के अवैध व्यापार के रोक-थाम के लिए वैश्विक मानक की अवहेलना कर रहे हैं। इस सूचि में भारत का नाम भी शामिल किया गया है। संयुक्त राज्य द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत नशीले पदार्थो का व्यापाकर मार्ग बन गया है। इस मामले में अभी तक भारत की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है लेकिन इस रिपोर्ट के आने के बाद स्वाभाविक रूप से वैश्विक राजनीति में एक मोर्चा का बनना तय है। विगत कुछ वर्षो से नशे के कारण भारत में भी खूब हाय-तौवा मचा हुआ है। इन दिनों भारत में पूवरेत्तर राज्यों के अलावा गोवा, बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं पंजाब में नशों की खपत जबरदस्त तरीके से बढी है। सतही तौर पर देखें तो मामला सामान्य-सा दिखता है लेकिन पंजाब में जो घटनाएं घट रही है उसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए क्योंकि नशों ने अब पंजाब के सामाजिक ताना-बाना को प्रभावित करना प्रारंभ कर दिया है। इसके

नये सामरिक टकराहट की ओर बढ रही है दुनिया

Image
गौतम चौधरी  सीरिया में रूस की बढती अभिरुचि अमन के लिए खतरनाक रूस की सेना ने सीरिया में अपना आधार बना लिया है। रूसी सेना लगातार इस्लामिक स्टेट (आईएस) के आतंकी ठिकानों पर हमला भी करने लगी है। बीते दिन रूसी सेना के हवाई आक्रमण के कारण 19 आईएस आतंकियों के मारे जाने की खबर है। रूसी आक्रामकता का इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उसने सीरिया की सामरिक बंदरगाह पर अपना युद्धक पोत खड़ा कर दिया और आईएस के खिलाफ उसने 40 से अधिक लड़ाकू विमान लगा रखे हैं। अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों का कहना है कि शीतयुद्ध के बाद पहली बार रूस इतना आक्रामक हुआ है। जो खबर आ रही है वह यदि सत्य है तो जल्द ही रूस ईरान में भी अपना सैन्य आधार बनाने वाला है। इधर पहले से ही शिया समर्थक हूदी आतंकवादी यमन में मोर्चा खोल संयुक्त राज्य अमेरिका के परम मित्र सउदी अरब की नाक में दम किये हुए हैं। हालांकि रूस के बेहद आक्रामक होने पर यह कह देना कि दुनिया से संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रभुत्व के दिन लद गये, बेहद गलत आकलन होगा लेकिन रूस के इस अभियान से विश्व का कूटनीतिक परिदृश्य बदलने की संभावना तो है, इसपर किसी को कोई आपत्ति

तो पंचायत चुनाव से भाग रही है हरियाणा सरकार?

Image
गौतम चौधरी हरियाणा पंचायती राज अधिनियम संशोधन विधेयक पर उठा सवाल विगत दिनों माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार के द्वारा हालिया लागू किये गये पंचायती राज संशोधन अधिनियम विधेयक, 2015 को नकार दिया और उसे एक तरह से गैरसम्वैधानिक घोषित कर दिया। माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले को हरियाणा सरकार की ओर से चुनौती मिलने की संभावना जताई जा रही है। वही प्रतिपक्षी पार्टियों ने माननीय सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले का स्वागत किया है। प्रतिपक्षी दलों की दलील है कि जब विधानसभा चुनाव, लोकसभा चुनावों में शैक्षणित योग्यता को आधार नहीं बनाया गया है, तो स्थानीय निकायों के चुनाव में शैक्षणिक आधार का जोड़ा किसी कीमत पर जायज नहीं है। लिहाजा यह स्थानीय लोकतांत्रिक प्रशासन को कमजोर करने की सरकारी साजिश है। इस मामले पर प्रतिपक्षी पार्टियों का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय ने जो फैसला दिया है, उससे स्थानीय लोक प्रशासन में लोकतंत्र मजबूत होगा, जिसे भारतीय जनता पार्टी की वर्तमान सरकार कमजोर करना चाह रही है। हालांकि इस मामले में सरकार, पैर पीछे करने की मन:स्थिति में नहीं दिख रही है। सर्वोच्च न्याया

तो क्या प्रधानमंत्री और भाजपा की लोकप्रियता कम हो रही है?

Image
गौतम चौधरी हवा में नहीं धरातल पर उतरने की जरूरत  कथित रूप से जीवन के प्रथम चरण में चाय बेचने का व्यवसाय करने साले भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई दामोदर दास मोदी का चंडीगढ में शुभागमन न हुआ कि कई प्रकार के विवाद मानों मुर्दाघर से जीवित होकर सुर्खियां बटोरने लगे। मामला कोई बड़ा नहीं है, छोटे-छोटे मुद्दे हैं, लेकिन हैं बड़े महत्वपूर्ण। कि मोदी जी के आगमन पर चंडीगढ संघ राज्य क्षेत्र के सारे विद्यालय बंद करा दिये गये, कि अस्पताल में जाने से लोगों को रोका गया, कि शमशान घाट को बंद करा दिया गया, कि यातायात के परिचालन को रोक दिया गया, आदि आदि। उक्त ये तमाम घटनाएं घटी, लेकिन सवाल यह उठ रहा है कि ये घटनाएं केवल नरेन्द्र भाई के प्रधानमंत्रित्व काल में ही घट रही है या इससे पहले भी विशिष्ट व्यक्तियों के आगमन पर इस प्रकार की घटनाएं घटती रही है?  यदि आंकड़े उठाकर देखें तो लगभग प्रतिदिन चंडीगढ में किसी न किसी विशिष्ट व्यक्ति का आगमन जरूर होता है और उनके लिए उनके ओहदे के अनुकूल व्यवस्था खड़ी की जाती है। उस व्यवस्था में आम-जन को कभी थोड़ा तो कभी ज्यादा कष्ट ङोलना पड़ता है। हां ये बात तय है कि

जातिगत आरक्षण की फिर से समीक्षा होनी चाहिए : स्वामी चिन्मयानंद

Image
गौतम चौधरी भारत में लम्बे समय से संतों की परंपरा रही है। कुछ संतों ने व्यक्तिगत मोक्ष पर जोर दिया, तो कुछ संतों ने समाज को ही अपना भगवान मान लिया। समाज को भगवान मानने वालों में भी कई तरह की साधना प्रचलित हुई। कुछ ने समाज की प्रत्यक्ष सेवा की तो कुछ ने समाज को परोक्ष रूप से सहयोग किया। स्वास्थ्य, शिक्षा, संस्कृति, अर्थ, इतिहास, भूगोल, विज्ञान, साहित्य, भाषा, सुरक्षा आदि न जाने कितने मानवीय आयामों पर काम करने वाले संत भारत में मिल जाते हैं। ऐसे ही एक संत हैं, स्वामी चिन्मयानंद जी जिन्होंने राजनीति के माध्यम से समाज सेवा का बीड़ा उठाया और गृह राज्यमंत्री तक के पद को सुशोभित किया। कहते हैं, राजनीति की काली कोठरी में किसके उपर कालिख न लगी, लोगों ने तो स्वामी विवेकानंद तक को ना छोड़ा और उनके उपर भी आरोप मढ दिये। आदमी का बस चले तो सूर्य पर भी थूक दे, सो स्वामी चिनमयानंद पर भी कई लोगों ने कई तरह के आरोप लगाए लेकिन वे सारे आरोप रेत के ढेर की तरह ढहते चले गये। मसलन स्वामी जी ने अपने जीवन में कई महान कार्य किये और आज भी अध्यात्म एवं समाज सेवा को साथ लेकर चलने वाले विरले संतों में उनकी गिनती

अपनी सुरक्षा के लिए नेपाल में हस्तक्षेप करे भारत

Image
गौतम चौधरी हिन्दू राष्ट्र की आड़ में भारत समर्थकों पर प्रहार विगत दिनों अपने अधिकार की मांग कर रहे तराई में मधेशियों पर एक बार फिर से गोर्खा साम्राज्यवादी सेना ने आक्रमण किया, जिसमें कम से कम पांच लोग मारे गये। विगत कई दिनों से तराई और थरहट क्षेत्र के लोगों का आन्दोलन चल रहा है, जिसे जान-बूझकर सरकारी सेना ने हिंसक बनाया और फिर उसके खिलाफ खुद हिंसा पर उतारू हो गयी। हालिया आन्दोलन के दौरान अभीतक थरहट और तराई में कम से कम 50 लोगों की जान जा चुकी है, 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं और सरकारी सेना द्वारा कई लोगों के घर जला दिये गये हैं। थारू और मधेशियों पर हो रहे संगठित गोर्खा सैनिकों के आक्रमण के बीच आश्चर्य की बात यह है कि जो भारत सरकार उबेकिस्तान और मध्य-पूरप के देशों पर अप्रत्याशित तरीके से सम्वेदनशील हो जाती है, वही तराई में सरकारी हिंसा का शिकार हो रहे मधेशी, जो सदा से भारत के हितों की चिंता करते रहे हैं, उसके प्रति भारत की वर्तमान सरकार गैरजिम्मेदाराना रुख अख्तियार कर रही है।  इन दिनों नेपाल में नये संविधान को अंतिम रूप दिया जा रहा है। नेपाली संविधान के अनुसार देश में कुल 14 र

हताश भूमिपुत्रों का ‘‘हार्दिक आन्दोलन’’

Image
गौतम चौधरी गुजरात में बन रहा है नया राजनीतिक-सामाजिक समिकरण हार्दिक पटेल के नेतृत्व में जो इन दिनों गुजरात में हो रहा है वह पूरे देश में होगा। कोई इसे कुछ भी कह ले लेकिन कुल मिलकार यह युवाओं के बीच का असंतोष है, जो आने वाले समय में बढेगा, घटने वाला नहीं है। लिहाजा यह एक संकेत है, जिसे सरकार और सरकार चलाने वाली संस्था समझ ले, अन्यथा बड़े संकट की संभावना को नकारा नहीं जा सकता है। हार्दिक पटेल के नेतृत्व वाला आरक्षण के आन्दोलन को इतिहासकार अपने चश्मे से देख रहे हैं और सामाज विज्ञान वालों का अपना नजरिया है। अर्थ जगत के लोग इस आन्दोलन की व्याख्या अपने ढंग से कर रहे हैं और उद्योगपतियों की सोच अलग है। इस आन्दोलन की पृष्ठभूमि पर यदि चर्चा करें तो गुजरात के विकास, या फिर ऐसा कह सकते हैं कि नरेन्द्र भाई मोदी के विकास मॉडल की निर्थकता सामने आने लगी है।  इस आलेख में गुजरात के राजनीतिक इतिहास पर भी थोड़ी चर्चा करना चाहूंगा, क्योंकि इतिहास के माध्यम से तथ्यों को सही ढंग से समझा जा सकता है। जानकारों के एक समूह का मानना है कि गुजरात में जातीयता की राजनीति कांग्रेस पार्टी ने प्रारंभ की और उसक

चंडीगढ के विकास में भाजपा की भूमिका को याद करेंगे लोग : संजय टंडन

Image
गौतम चौधरी चंडीगढ प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष संजय टंडन के साथ भेंटवार्त पर आधारित   चंडीगढ प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के इतिहास में व्यापक संघर्ष और मजबूत संगठन तैयार करने का दावा करने वाले संजय टंडन पेशे से चाटर्ड अकाउंटेंड हैं। बेहद व्यवस्थित और अध्यात्मिक जीवन जीने वाले टंडन को राजनीति विरासम में मिली है लेकिन उनका दावा है कि राजनीति के जिस मोकाम पर वे हैं उसमें भौतिक रूप से उनके पिता, छत्तीसगढ के राज्यपाल श्रीमान बलरामजी दास टंडन की कोई भूमिका नहीं है। संजय जी खुद कहते हैं कि वो मेरे पिता है और ऐसा माना जाता है कि पुत्र पिता की प्रतिकीर्ति होता है, इस दृष्टि से उन्होंने मुङो बहुत कुछ दिया लेकिन यदि कोई यह कहे कि संजय टंडन अपने पिता के कारण राजनीति में लगातार सफल हो रहा है, तो यह गलत है। पिता का आर्शिवाद मेरे लिए अति महत्वपूर्ण है। मैं एक हिन्दू परिवार में पैदा हुआ हूं और अपने पूरे परिवार को पूर्ण रूपेण हिन्दू बनाये रखना चाहता हूं इसलिए मैं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ जैसे संगठन के साथ जुड़ा और राजनीति में सुचिता और समाज के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास हो इसलिए मैंने भारतीय जनता