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Showing posts from October, 2016

आसन्न विधानसभा चुनाव में आखिर किस करवट बैठेंगे पंजाब के वामपंथी?

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Gautam Chaudhary राष्ट्रीय स्तर पर भारतीय जनता पार्टी या राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन के खिलाफ संगठित वा एकत्रित किसी नए गठबंधन की रूप-रेखा अभीतक तो सामने नहीं आयी है लेकिन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर स्थानीय स्तर पर दलों का जोड़-तोड़-गठजोड़ सामने आने लगा है। मसलन आसन्न पंजाब विधानसभा चुनाव को लेकर भी दलों के आपसी तालमेल और चुनावी सैदेबाजी प्रारंभ हो गयी है। हालांकि पंजाब में सत्तारूढ गठबंधन के खिलाफ मोर्चेबंदी की गति मंद है लेकिन प्रतिपक्षी गठबंधनों का आकार कई मोर्चों पर स्वरूप ग्रहण करने लगा है। निःसंदेह अकाली-भाजपा अपने संयुक्त सामाजिक और पांथिक गठजोड़ के कारण अभी भी मजबूत दिख रहे हंै। इस बार भी वह पूरी उम्मीद के साथ मैदान में हैं। हालांकि सत्ता विरोधी हवा ने उसके खिलाफ माहौल जरूर बना दिया है लेकिन पंजाब विधानसभा चुनाव के लिए बन रहे मोर्चों और बठबंधनों के साथ बहुध्रूवीय मुकाबले में सत्तारूढ गठबंधन की उम्मीद को हतोत्साहित करना कठिन जान पड़ता है। इन तमाम उहापोहों के बीच मजबूत सांगठनिक क्षमता वाले वामपंथी धरों के स्वरूप और गठजोड़ की रणनीति दिलचस्प होती जा र

सेना के अभियानों पर प्रष्न और उसका राजनीतिकरण दोनों नाजायज

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Gautam Chaudhary भारत सरकार के द्वारा पाकिस्तानी सीमा के अंदर घुसकर हमला किए जाने की घटना को मैं व्यक्तिगत रूप से बहुत ज्यादा तूल नहीं देना चाहता था। लेकिन मेरे देने या न देने से क्या फर्क पड़ता है। भारत और पाकिस्तान की ही नहीं इस मामले ने पूरी दुनिया की मीडिया को अपनी ओर आकर्षित किया। उड़ी हमला हुआ। हमारे सैनिक मारे गए। भारत को बहुत घाटा उठाना पड़। इसकी जांच रिपोर्ट जो बेहद कम समाचार माध्यमों की सुर्खियां बटोर पायी, उसका कुल लब्बोलुआब यही था कि भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की कमजोरी के कारण हमारे दुष्मन हमपर आघात करने में सफल हो गए। समाचार माध्यमों के बारीक अध्यन से यह भी जाहिर होने लगा कि इस हमले के बाद एक लाॅबी बड़ी होषियारी से हथियारों की खरीद के लिए देष में माहौल बनाने लगी। खैर देष है तो इसकी सुरक्षा भी होनी चाहिए। सुरक्षा के लिए हथियार की जरूरत तो पड़ती ही है। साथ में सेना की भी जरूरत होती है। बिना सेना हम राष्ट्र की कल्पना नहीं कर सकते हैं, सो हमें सैन्य ताकत में तो मजबूत होना ही होगा। और जब मोर्चों पर दो-दो प्रभावषाली दुष्मन हों तो हमें होषियारी से अपनी ताकत बढने की जरूत तो है लेकिन

आईएस के खिलाफ मुठभेड़ करता सहिष्णु हिन्दवी इस्लाम

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कलीमुल्ला खान विगत दिनों केरल के सवालत नगर में शुक्रवार वाली जुम्मे की नमाज़ के लिए इकट्ठा हुए हज़ारों सुन्नी मुसलमानों ने कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के विरूद्ध आवाज़ उठाते हुए। यह आवाज हवा में नहीं उठाया गया था। इसके पीछे बड़ी तकत काम कर रही थी। यह किसी दिषा की ओर संकेत कर रहा है इसे समझने की जरूर है। भारत में आतंकवाद का नाम आते ही उसे इस्लाम से जोड़ देने का प्रचलन रहा है। हालांकि व्यक्तिगत रूप से मैं इस चिंतन से सहमत नहीं हूं लेकिन कई आतंकवादी संगठन इस्लाम को अपने साथ जोड़कर इस मजहब को बदनाम करने की कोषिष जरूर की है। पर अब लोग समझने लगे हैं। दुनिया के सबसे खुंखार मानवता विरोधी आईएसआईएस के खिलाफ माहौल बनने लगा है। उसे न केवल गैर-इस्लामिक बल्कि इस्लाम-विरोधी भी करार दिया जाने लगा है। उक्त कार्यक्रम के दौरान विषाल जन समूह ने इस्लाम को आतंकवादी के हाथों अपहृत न होने देने की शपथ भी ली। उन्होंने एक साथ प्रतिज्ञा लेते हुए कहा कि यद्यपि हमें अपने मुसलमान होने पर गर्व है, फिर भी हम अन्य सभी धर्मों और उनके अनुयायियों का आदर व सम्मान करते हैं। उन्होंने आगे प्रण लिया कि वे आईएस जैसी विरोधी

प्रियंका की काया पर नफरत के पोस्टर

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Gautam Chaudhary इन दिनों प्रियंका चोपड़ा का एक टीषर्ट चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसे कोई कपड़ा मात्र कपड़ा होता है। पर वह जब परिधान में परिवर्तित होता है तो उसका जुड़ाव, सकारात्मक हो या नकारात्मक, एक आदर्ष के साथ हो जाता है। जब परिधान पर कुछ लिखा हो और उसे खास किस्म से डिजाइन कर किसी चर्चित अभिनेत्री या अभिनेता के शरीर पर डाल दिया जाए तो उसके मायने निकाला जाना स्वाभाविक है। यही तो हुआ है, प्रियंका के टीषर्ट के साथ। प्रियंका जिस टीषर्ट को पहन रखी है उसके उपर चार शब्द लिखे हुए हैं-षरार्थी, अप्रवासी, आगंतुक और पर्यटक। तीन शब्द को काट दिया गया है लेकिन पर्यटक शब्द को नहीं काटा गया है। इस प्रकार का डिजाइन टीषर्ट निःसंदेह गहरा संदेष देने वाला है। इस डिजाइनदार टीषर्ट का साफ और सीधा संदेष यह है कि शनार्थी से लेकर आगंतुक तक बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है लेकिन पर्यटक की स्वीकार्यता होनी चाहिए। प्रियंका इस टीषर्ट के माध्यम से किसके लिए, क्यों और किसके खिलाफ संदेष दे रही है, पता नहीं। न ही प्रियंका जी ने इस टीर्षट पर कोई बयान जारी किया है लेकिन वे आजकल जिसके लिए काम कर रही हैं यह टीषर्ट उसकी मानसिकता

सीमा पर स्थाई शांति के लिए पाकिस्तान और चीन के साथ युद्ध जरूरी

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गौतम चौधरी हमारे देश में आज भी कुछ लोग दोस्ती के नगमे गा रहे हैं। दोस्ती का हाथ बढ़ाने में बुरा कुछ भी नहीं है लेकिन जिसने पूर्वाग्रह पाल लिया हो और उसे युद्ध में ही आनंद आता हो तो उसका जवाब तो देना ही होगा। मेरा तो व्यक्तिगत रूप से मानना है कि पाकिस्तान और चीन के साथ युद्ध ही एक मात्र रास्ता है। सीमा पर शांति तभी संभव है।  भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनाक्रामक देश की बनी छवि को तोड़कर यह साबित करने का प्रयास किया है कि अब भारत अपने उपर आक्रमण करने वालों के खिलाफ लड़ाई भी कर सकता है। देश के सब्र का इंतजार खत्म हुआ और आखिर भारत पाकिस्तान के भीतर घुसकर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई  की। यहां इस कहावत को दुहराना जायज रहेगा कि देर आयद, दुरुस्त आयद। मोदी सरकार ने सूनियोजित, सुविचारित योजना को अंजाम देकर पाक अधिकृत कश्मीर में अपनी सेना को घुसाकर आतंकियों के सात लांच पैड ध्वस्त कर दिए। यह कार्रवाई यूं ही नहीं हुई है। भारतीय खुफिया एजेंसियों को पक्की सूचना मिली थी कि पाकिस्तानी सेना सैंकड़ों आतकवादियों को प्रशिक्षित कर उन्हें भारत में घुसारकर बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम देने के