सीमा पर स्थाई शांति के लिए पाकिस्तान और चीन के साथ युद्ध जरूरी

गौतम चौधरी
हमारे देश में आज भी कुछ लोग दोस्ती के नगमे गा रहे हैं। दोस्ती का हाथ बढ़ाने में बुरा कुछ भी नहीं है लेकिन जिसने पूर्वाग्रह पाल लिया हो और उसे युद्ध में ही आनंद आता हो तो उसका जवाब तो देना ही होगा। मेरा तो व्यक्तिगत रूप से मानना है कि पाकिस्तान और चीन के साथ युद्ध ही एक मात्र रास्ता है। सीमा पर शांति तभी संभव है। 
भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अनाक्रामक देश की बनी छवि को तोड़कर यह साबित करने का प्रयास किया है कि अब भारत अपने उपर आक्रमण करने वालों के खिलाफ लड़ाई भी कर सकता है। देश के सब्र का इंतजार खत्म हुआ और आखिर भारत पाकिस्तान के भीतर घुसकर आतंकियों के खिलाफ कार्रवाई  की। यहां इस कहावत को दुहराना जायज रहेगा कि देर आयद, दुरुस्त आयद। मोदी सरकार ने सूनियोजित, सुविचारित योजना को अंजाम देकर पाक अधिकृत कश्मीर में अपनी सेना को घुसाकर आतंकियों के सात लांच पैड ध्वस्त कर दिए। यह कार्रवाई यूं ही नहीं हुई है। भारतीय खुफिया एजेंसियों को पक्की सूचना मिली थी कि पाकिस्तानी सेना सैंकड़ों आतकवादियों को प्रशिक्षित कर उन्हें भारत में घुसारकर बड़ी आतंकवादी घटना को अंजाम देने के फिराक में है। पाकिस्तान की इसी योजना को नाकाम करने के लिए भारतीय फौज के प्रशिक्षित जवानों ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर आंशिक हमला किया। 
इस हमले में पाकिस्तानी सेना के व्यापक नुकसान की खबर आ रही है। जबतक वे अपने को संभालते तबतक हमारी सेना को उनकी योजना का पता चल गया और बुधवार-वीरवार की रात को ही हमारी सेना ने उनके उपर हमला बोल दिया। इस कार्रवाई में करीब तीन दर्जन से ज्यादा आतंकियों के मारे जाने की खबर है। अचानक हुई इस सजिर्कल स्ट्राइक से बौखलाया पाकिस्तान इसे गलत बताकर नियंत्रण रेखा पर भारत की ओर से गोलीबारी  और दो फौजियों के मरे जाने की पुष्टि की है लेकिन अंतर्राष्ट्रिय एजेंसियों का कहना है कि भारत ने सचमुच में पाकिस्तानी सीमा के अंदर घुसकर ऑप्रेसन को अंजाम दिया है। इस संबंध में पाकिस्तान में अलग-अलग सुर अलापे जा रहे हैं। वैसे प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने आनन-फानन में रक्षामंत्री के साथ बैठक बुलाई। साथ ही पाकिस्तान यह भी दुहरा रहा है कि भारत के किसी भी हमले के मुकाबले के लिए वह पूरी तरह तैयार है। 
इधर भारत ने लांच पैड तबाह करने के बाद कहा है कि अब यह कार्रवाई खत्म कर दी गयी है। बहरहाल उसने पाक नियंत्रण रेखा पर संघर्ष विराम के उलंघन का भी आरोप लगाया है और गोलीबारी का माकूल जवाब देने की बात कही है। आतंकियों पर सीमित हमले के बारे में विपक्षी दलों के नेताओं व कुछ मुख्यमंत्रियों को गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने अवगत करा दिया। भारत सरकार ने सर्व दलीय वैठक भी बुलाई। कांग्रेस के साथ-साथ आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविन्द केजरीवाल आदि ने पाक अधिकृत कश्मीर में सेना की कार्रवाई का समर्थन किया है। यह साबित करने के लिए काफी है कि इस कार्रवाई को लेकर पूरा देश एकजुट है। इस मुद्दे पर पूरा देश एक साथ खड़ा दिख रहा है। 
आम उम्मीद के उलट भारत ने दहशतगर्दो पर सीमित आक्रमण थोड़ा देरी के बाद की लेकिन किया तो फिर पूरी योजना से। हालांकि पाकिस्तान के साथ भारत ने पहली बार इस प्रकार की कार्रवाई को अंजाम दिया है लेकिन म्यांमार में भारतीय सुरक्षा बलों ने इस प्रकार के कई ऑप्रेशन किए हैं। 
इधर उरी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को अलग-थलग करने की जो मुहिम चलाई है वह असर दिखाने लगा है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में नवाज शरीफ हिन्दुस्तान के विरुद्ध जहर उगलकर और घाटी में मारे गए आतंकी बुरहान वानी की शान में कसीद्दे काढकर पहले ही दुनिया की नजर में आ चुके हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इसी मंच से उन्हें कड़ा जवाब दे चुकी है। सिंधू जलसंधि पर भी भारत कड़ा रुख अपना रहा है। पाक को तरजीही मुल्क का दर्जा देने पर पुन:विचार की कवायद हमने पहले ही शुरू कर दी थी। इस्लामाबाद में 9-10 नवम्बर को प्रस्तावित सार्क सम्मेलन के भारत द्वारा बहिष्कार के बाद बांग्लादेश, अफगानिस्तान और भुट्टान भी पाक द्वारा आतंक को बढावा देने का आरोप जड़कर इस्लामाबाद जाने से पीछे हट गए। फिर यह सम्मेलन स्थगित कर दिया गया। भारत के इस कूटनीतिक अभियान से भी पाकिस्तान पर दबाव पड़ने की पूरी संभावना दिखने लगी है। हालांकि पाकिस्तान इस मामले को विश्व पंचाट में ले जाने की धमकी दे रहा है लेकिन यह उसे भी पता है कि सिंधू जलसंधि दुनिया की उदार जलसंधियों में से एक है। यदि विश्व पंचाट में समीक्षा हुई तो इससे पाकिस्तान को ही घाटा होगा, भारत लाभ में रहेगा। ऐसे में बुरी तरह घिर चुके पाकिस्तान द्वारा हताशा में कोई भी आक्रामक कदम उठाने की पूरी आशंका है। हालांकि इस बार केन्द्र में कमजोर सरकार नहीं दिख रही है। वह सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा के मामले में बेहद गंभीर है। ऐसे में पाकिस्तान ने यदि चुनौती दिया तो भारत प्रत्यक्ष युद्ध में उतर सकता है। इस बात से पाकिस्तान भी अब वाकिफ हो चुका है। हालांकि भारतीय कूटनीति सैन्य कार्रवाई को अंतिम विकल्प नहीं मानता लेकिन यदि शांति के सारे रास्ते बंद हो जाएं तो युद्ध की एक मात्र रास्ता बचता है और युद्ध में हानि तो होती ही है। सो भारत को भी हानि उठानी होगी लेकिन सीमा पर पल रहे सांप के फन को कुचलना बेहद जरूरी है। इसलिए एक बार पाकिस्तान और चीन को तो सबक सिखाना ही पड़ेगा। हमला हुआ तो मुंहतोड़ जवाब देना होगा। चीन और पाकिस्तान के युद्धाभिमान को ध्वस्त करना होगा। सीमा पर चौकसी रखनी होगी और पाकिस्तान ने आंख उठाई, तो फोड़ दी जाएगी, की नीति अपनानी होगी। तभी हम सुरक्षित रह सकते हैं। 

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