प्रियंका की काया पर नफरत के पोस्टर

Gautam Chaudhary
इन दिनों प्रियंका चोपड़ा का एक टीषर्ट चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसे कोई कपड़ा मात्र कपड़ा होता है। पर वह जब परिधान में परिवर्तित होता है तो उसका जुड़ाव, सकारात्मक हो या नकारात्मक, एक आदर्ष के साथ हो जाता है। जब परिधान पर कुछ लिखा हो और उसे खास किस्म से डिजाइन कर किसी चर्चित अभिनेत्री या अभिनेता के शरीर पर डाल दिया जाए तो उसके मायने निकाला जाना स्वाभाविक है। यही तो हुआ है, प्रियंका के टीषर्ट के साथ।
प्रियंका जिस टीषर्ट को पहन रखी है उसके उपर चार शब्द लिखे हुए हैं-षरार्थी, अप्रवासी, आगंतुक और पर्यटक। तीन शब्द को काट दिया गया है लेकिन पर्यटक शब्द को नहीं काटा गया है। इस प्रकार का डिजाइन टीषर्ट निःसंदेह गहरा संदेष देने वाला है। इस डिजाइनदार टीषर्ट का साफ और सीधा संदेष यह है कि शनार्थी से लेकर आगंतुक तक बिल्कुल स्वीकार्य नहीं है लेकिन पर्यटक की स्वीकार्यता होनी चाहिए। प्रियंका इस टीषर्ट के माध्यम से किसके लिए, क्यों और किसके खिलाफ संदेष दे रही है, पता नहीं। न ही प्रियंका जी ने इस टीर्षट पर कोई बयान जारी किया है लेकिन वे आजकल जिसके लिए काम कर रही हैं यह टीषर्ट उसकी मानसिकता को जरूर उध्रित करता है। आज के दौर में कोई भी स्थापित कलाकर किसी न किसी लाॅबी के साथ जुड़ा हुआ है। यह लाॅबी अपने अपने व्यापारिक हितों के लिए इन कलाकारों का उपयोग करती है। दुनिया में मनोरंजन उद्योग का सबसे बड़ा केन्द्र हाॅलीवुड है। यह संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रीय हितों वाली काॅरपोरेट लाॅबी के द्वारा संचालित होती है। इन दिनों अमेरिकी राष्ट्रीपति चुनाव को भी लगभग कुछ इसी प्रकार का चिंतन प्रभावित कर रहा है।
संयुक्त राज्य अमेरिका अपने अंतरविरोधों और अंतरद्वंद्वों के कारण बड़ी बुरी तरह डरा हुआ है। अमेरिकी हितचिंतकों को इस बात का डर सताने लगा है कि उसका वैष्विक साम्राज्य कही ढह न जाए। वहां के व्यापारियों की गलत नीति के कारण अमेरिका में बड़े पैमाने पर बेरोजगारी बढी है। अमेरिका दिखाने के लिए चाहे जो कह ले लेकिन वह आर्थिक मोर्चे पर भी कमजोर हुआ है। अमेरिकी समाज अषांत हो रहा है और नौजवान अवषाद में जीने को मजबेर हो रहे हैं। इन तमाम मुद्दों से अपने सिविल समाज का ध्यान हटाने के लिए अमेरिकी काॅरपोरेट, जो संयुक्त राज्य के सत्ता संचालन में भी अहम भूमिका निभाता है, अब उक्त तमाम समस्याओं के पीछे का कारण अप्रवासियों को बता प्रचारित करने लगा है। मध्य-पूरव की अषांति के कारण शरनार्थियों की समस्या वाली तपिष अब अमेरिका को भी गर्म करने लगी है। अमेरिका के साथ ही साथ ईसाई देषों के पष्चिमी समूह अपनी आबादी को यह समझाने की कोषिष में है कि उनके साथ जो समस्या आ रही है वह अप्रवासियों और सरनार्थियों के कारण है। हालांकि विगत पांच सौ सालों में पष्चिमी लूट के कारण यह समस्या सामने आई है। पर पष्चिमी देषों की सरकारें इस सत्य को स्वीकारने के पक्ष में नहीं है और अपने स्वार्थ एवं उपभोगी प्रवृति का दिन व दिन विस्तार करती जा रही है। गोया इसका अंत तो होना है। हालांकि कोई भी ताकत अपनी लड़ाई हारना नहीं चाहता चाहे वह गलत के लिए ही क्यों न लड़ रहा हो।
अमेरिका भी अपनी लड़ाई को चालू रखना चाहता है। वह दुनिया को कई अनर्गल दर्षन से अवगत कराया है। उसने दुनिया को उत्तर आधुनिक बनने और बनाने का सिद्धांत दिया। अब अमेरिका अपने बचाव के लिए नया सिद्धांत गढ रहा है। इस सिद्धांत को दुनिया के सामने लाने के लिए उसने भारतीय काया का सहरा लिया है। हालांकि उसके पास प्रियंका के फिगर से ज्यादा रोचक और आकर्षक शरीर है लेकिन अमेरिका को यह पता है कि पाताल के दानवों को सदा से भारतीय लक्ष्मी, दुर्गा, कात्यायनी और महामाया काली से चुनौती मिलती रही है। अमेरिका इतिहास को झुठलाने, उसे पराभूत करने की मनोवृति पाल रखा है। प्रियंका की काया के माध्यम से रिपब्लिकन ट्रंप के नारों को प्रदर्षित कर अमेरिका लाॅबी के मनोरंजन उद्योग ने भारतीय पेषेवरों को संदेष देने की कोषिष की है कि वह अमेरिका में काम करने न आए क्योंकि उसके यहां इसके कारण बेरोजगारी बढ रही है। आना भी है तो पर्यटक बनकर आए और जल्द से जल्द अमेरिका से वापस चला जाए। लेकिन यहां सवाल यह उठता है कि क्या अमेरिका जिस सिद्धांत को प्रचारित कर रहा है उससे वह जिंदा रहा सकता है, जिसका पूरा व्यक्तित्व ही अप्रवासी, शरनार्थी और आक्रांताओं पर टिका हो।
कुल मिलकार प्रियंका जी का टीषर्ट चर्चाओं में है। इसके संदेष गहरे और मारक हैं जो स्वाभाविक रूप से संदेह पैदा करता है। अमेरिकी उत्तर आधुनिक सोच को भारतीय काया के माध्यम से प्रदर्षित करने के मायने भी गंभीर हैं। इसलिए हमें भी गंभीरता से सोचने को मजबूर होना होगा क्योंकि प्रियंका की काया पर लगाया गया पोस्टर का रूख संभवतः भारतीय समाज की ओर ही है। इसका जवाब कैसे दिया जाए, कितना दिया जाए, कब दिया जाए और कहां दिया जाए यह हम भारतीयों को अभी तय कर लेना होगा नहीं तो आने वाले समय में कई प्रकार की समस्या खड़ी हो सकती है। 

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