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Showing posts from January, 2015

कृत्रिम नशा व्यापार का हब बन गया है पंजाब

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गौतम चौधरी  नशा पंजाब की राजनीति को बुरी तरह से प्रभावित कर रहा है। पंजाब सरकार के अगुआ बादल गुट वाले शिरोमणि अकाली दल का सीधा आरोप है कि केन्द्र सरकार की ढील के कारण पंजाब में नशा बढ रहा है। अकालियों यह भी आरोप है कि इन दिनों पंजाब में नशा को जो लोग मुद्दा बना रहे हैं वे पंजाब विरोधी हैं और पंजाब को बदनाम करने के लिए ऐसा कर रहे हैं। एक आरोप यह भी लग रहा है कि केन्द्र ने तीन राज्यों को ओपीएम यानि हफीम उत्पादन की छूट दे रखी है। इस छूट के कारण राजस्थान, मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश में हफीम की खेती होती है, जबकि पंजाब में हफीम की खेती नहीं होती फिर भी सियासत करने वाले पंजाब में नशा का हल्ला कर रहे हैं। नशा के मामले में कांग्रेस पार्टी, पंजाब के नशा रैकेट की जांच केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो से कराना चाहती है। वे लगातार इस मांग को दुहरा रहे हैं लेकिन पंजाब सरकार कांग्रेस की दलील को मानने के लिए तैयार नहीं है। सरकार नहीं चाहती है कि इस मामले की जांच में किसी केन्द्रीय अभिरण का हस्तक्षेप हो। ऐसा पंजाब सरकार क्यों चाहती है, इसका सरकार ने अभी तक कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया है। ऐसे क

गुरबख्श का अनशन अकाली रणनीति का कही हिस्सा तो नहीं?

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गौतम चैधरी ज्यों-ज्यों भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल के बीच गतिरोध बढ रहा है, त्यों-त्यों हरियाणा स्थित अम्बाला के लखनौर साहिब गुरूद्वारा में, जेल के अंदर बंद सजा भुगत चुके सिख चरमपंथियों की रिहाई के लिए अनसन पर बैठे सरदार गुरबख्श सिंह खालसा का मामला तूल पकडता जा रहा है। विगत दिनों शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी ने एक बयान जारी कर कहा कि गुरबख्श के समर्थन में कमेटी मोर्चा सम्हालने वाली है। प्रबंधक कमेटी का कहना है कि जो सिख बंदी सजा काट चुके हैं उसे किसी कीमत पर जेल के अंदर नहीं रहने दिया जाएगा। इस मामले पर पंजाब की सत्तारूढ शिरोमणि अकाली दल ने अपनी स्थिति पहले स्पष्ट करते हुए केन्द्र सरकार से मांग कर चुका है कि सजा काट चुके सिख बंदियों को केन्द्र की संघीय सरकार अविलम्ब रिहा करे। जानकारी में रहे कि सरदार गुरबख्श सिंह खालसा लखनौर साहिब गुरूद्वारा में विगत 51 दिनों से उपवास पर बैठे हैं। खालसा की मांग है कि देश के विभिन्न जेलों में बंद अपनी सजा पूरी कर चुके सिख बंदियों को जेल से रिहा कर दिया जाये। जानकार सूत्रों की माने तो गुरबख्श के कार्यक्रम स्थल पर लगातार खालिस्तान समर्थ

पंजाब की राजनीति को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है कृत्रिम नशा का अवैध कारोबार

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गौतम चौधरी  इन दिनों पंजाब में बडे पैमाने पर कृत्रिम नशा को लेकर हंगामा खडा हो रखा है। प्रतिपक्षी कांग्रेस पार्टी सत्तारूढ गठबंधन पर तंज कस रही हैए तो सत्ता पक्ष के संवाद प्रक्षेपक लगातार प्रतिपक्ष पर हमला बोल रहे हैं। सत्ता पक्ष के राजनेताओं का अरोप है कि प्रदेश में जब से राज्य सरकार ने नशा के कारोबारियों पर नकेल कसी हैए तभी से प्रतिपक्षी घबराए हुआ है। सत्ता पक्ष का यह भी दावा है कि कांग्रेस से जुडे नेता बडे पैमाने पर नशा के कारोबार में संलिप्त हैंए यही कारण है कि हालिया नशा के खिलाफ सरकार की सार्थक कार्रवाई ने उन्हें बेचैन कर दिया है। सरकार के रणबाकुडे यही नहीं रूकतेए उनकी शिकायत केन्द्र सरकार से भी है। पंजाब सरकार के कई नुमाइन्दों ने स्पष्ट रूप से केन्द्र सरकार को सूचित किया है कि केन्द्र नशा के कारोबार करने वालों के खिलाफ कठोर कानून बनाए। साथ ही अंतरराष्ट्रीय नशा कारोबार रैकेट को तोडने के लिए बडी और व्यापक पहल करे। पंजाब सरकार एवं सत्तारूढ गठबंधन के बडे जोडीदार बादल गुट वाले शिरोमणि अकाली दल का यह भी आरोप है कि पंजाब में नशे की खेती नहीं की जाती हैए जबकि राजस्थान एवं मध्य प्रदे

न तो समाचार स्वतंत्र होता है और न ही समाचार माध्यम स्वायत

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गौतम चौधरी  घटना सन् 2008 की है। उन दिनों उत्तराखंड के कोटद्वार विधानसभा का उपचुनाव हो रहा था। भारतीय जनता पार्टी के चुनाव प्रचार की एक सभा को संबोधित करने के लिए राजनाथ सिंह आने वाले थे। भारतीय जनता पार्टी के नेता और डीएभी काॅलेजए देहरादून के इतिहास विभाग में कार्यरत प्राध्यापक डाॅण् देवेन्द्र भसीन का सुवह.सुवह दूरभाष आयाए ‘‘गौतम आप कहां हैंघ्‘‘ मैंने कहा कि मैं तो अपने घर पर हूं। फिर उन्होंने कहा कि ‘‘जल्द से जल्द आप सहारनपुर चैक पर आ जाइएए कोटद्वार चलना हैए राजनाथ जी के कार्यक्रम का समाचार संग्रह करने के लिए कुछ संवाददाताओं को हमलोग कोटद्वार ले जा रहे हैं।‘‘ उन्होंने कहा कि ‘‘हमारे साथ आपके मित्र शिल्प कुमार भी हैं।‘‘ मुझे इस कार्यक्रम की सूचना पहले से नहीं थी लेकिन मैं तैयार होकर सहारनपुर चैक चला गया। थोडी देर बाद शिल्प और डाॅण् भसीन गाडी लेकर वहां आए और मैं उनके साथ हो लिया। गाडी पर पहले से कुछ अखबारों के प्रतिनिधि मौजूद थे। सभी को मैं नहीं पहचान रहा था लेकिन ईएमएस समाचार एजेंशी के बलुनी जी को मैं पहले से जानता था। हमलोग रास्ते में एक ढाबे पर रूकेए वहां कुछ और संवाददाता