पंजाब की राजनीति को बुरी तरह प्रभावित कर रहा है कृत्रिम नशा का अवैध कारोबार

गौतम चौधरी 
इन दिनों पंजाब में बडे पैमाने पर कृत्रिम नशा को लेकर हंगामा खडा हो रखा है। प्रतिपक्षी कांग्रेस पार्टी सत्तारूढ गठबंधन पर तंज कस रही हैए तो सत्ता पक्ष के संवाद प्रक्षेपक लगातार प्रतिपक्ष पर हमला बोल रहे हैं। सत्ता पक्ष के राजनेताओं का अरोप है कि प्रदेश में जब से राज्य सरकार ने नशा के कारोबारियों पर नकेल कसी हैए तभी से प्रतिपक्षी घबराए हुआ है। सत्ता पक्ष का यह भी दावा है कि कांग्रेस से जुडे नेता बडे पैमाने पर नशा के कारोबार में संलिप्त हैंए यही कारण है कि हालिया नशा के खिलाफ सरकार की सार्थक कार्रवाई ने उन्हें बेचैन कर दिया है। सरकार के रणबाकुडे यही नहीं रूकतेए उनकी शिकायत केन्द्र सरकार से भी है। पंजाब सरकार के कई नुमाइन्दों ने स्पष्ट रूप से केन्द्र सरकार को सूचित किया है कि केन्द्र नशा के कारोबार करने वालों के खिलाफ कठोर कानून बनाए। साथ ही अंतरराष्ट्रीय नशा कारोबार रैकेट को तोडने के लिए बडी और व्यापक पहल करे। पंजाब सरकार एवं सत्तारूढ गठबंधन के बडे जोडीदार बादल गुट वाले शिरोमणि अकाली दल का यह भी आरोप है कि पंजाब में नशे की खेती नहीं की जाती हैए जबकि राजस्थान एवं मध्य प्रदेश में पोस्त उपजाए जाते हैं। यहां यह जानकारी देना जरूरी है कि कृत्रिम नशा के लिए पोस्त का व्यापक पैमाने पर उपयोग किया जाता है। हालांकि केन्द्र सरकार ने राज्य सरकार को अपने दबाव में लाकरए 31 मार्चए सन् 2015 से इसकी खेती को पूर्ण प्रतिबंधित करने की घोषणा कर रखी है। केन्द्र ने बाकायदा इसके लिए कानून भी बनाया है लेकिन फिलहाल तो खेती हो रही है और पंजाब का कहना है कि नशा बाहर से आपूर्ति की जाती है जिसके कारण पंजाब का माहौल खडाब हो रहा है। इन तमाम बातों और विवादों के बीच पंजाब के नशे पर खडी की जा रही रातनीति को गंभीरता से समझने की जरूरत है।

इन दिनों पंजाब में सिख चरमपंथ हिमायती पार्टी बादल गुट वाले शिरोमणि अकाली दल का सत्ता पर प्रभुत्व है। शिरोमणि अकाली दल को केन्द्र की सत्तारूढ गठबंधन सरकार के सबसे बडे घटक भारतीय जनता पार्टी का समर्थन प्रप्त है। पंजाब में अकालियों के साथ भाजपा सत्ता की हिस्सेदार है। जब केन्द्र में भाजपा की सरकार नहीं थी तो पंजाब में भाजपायी बडे सहमे.सहमे से होते थे लेकिन जब से केन्द्र का सत्ता स्वरूप बदला है तब से पंजाब के भाजपायी थोडे मुखर हो गये हैं। अकालियों का आकलन है कि पंजाब में भाजपा अपने दम पर चुनाव लडने की योजना में है। अकालियों की आशंका तब और गंभीर हो गयी जब भाजपा हरियाणा में अकेले चुनाव लडी और जीतकर सरकार तक का गठन कर लिया। याद रहे बादल गुट के अकालियों का हरियाणा विधानसभा चुनाव में चैटाला परिवार के नेतृत्व वाले इंडियन नेशनल लोकदल के साथ समझौता था और भाजपा अकेले चुनाव लड रही थी। अब अकालियों को यह लगने लगा है कि भाजपा पंजाब में भी हरियाणा वाला प्रयोग कर सकती है। इधर जम्मू एवं कश्मीर में भी भाजपा का जबरदस्त प्रदर्शन रहा एवं भाजपा वहां बडी एवं इतिहासिक राजनीतिक भूमिका तय कर रही है। ऐसे में अकालियों का आकलन और डर स्वाभाविक है। इन दिनों पंजाब कांग्रेस की रणनीति परंपरागत रूप से खतरनाक दिख रही है। कांग्रेस के रणनीतिकार अब पूरे देश में इस प्राकर का माहौल बनने के फिराक में है कि भाजपा के सत्ता में आते ही देश अशांत हो रहा है। इसलिए जहां एक ओर कांग्रेसी यह प्रचारित करने लगे हैं कि केन्द्र की भाजपा सरकार अल्पसंख्यकों के खिलाफ हैए वही पंजाब में अकालियों को भडकाकर एक बार फिर से पंजाब के माहौल को खडाब करने की योजना पर कांग्रेसी काम कर रहे हैं। उनकी योजना धीर.धीरे सफल भी होती दिख रही है। भाजपा के डर से अकाली अपने पुराने पंथक मुद्दों पर जाते दिख रहे हैं। जैसे चंडीगढ की मांग को दुहरानाए संघीय ढांचो को और लचीला बनाने की मांगए सिख पंथ को और ज्यादा स्वायत्ता की मांगए सजा काट चुके सिख आतंकवादियों को जेल से रिहा करने की मांग आदि.आदि। इन तमाम राजनीति के बीच कृत्रिम नशा का करोबार प्रदेश की राजनीति का एक बडा मुद्दा बन रहा है। संयोग कहें या दुर्योग इस बीच प्रदेश के काबीना मंत्री एवं बादल परिवार के अहम सदस्य सरदार बिक्रम सिंह मजीठिया को प्रवर्तन निदेशालय ने सम्मन जारी कर दिया। फिर उनसे साढे चार घंटे की पूछ.ताछ भी की गयी है। उन्हें नशा के अवैध कारोबारी भोला ने अपने साथ जुडे होने की बात पुलिस को बताई थी। इसपर कांग्रेसी भडके हुए हैं। हालांकि इससे पहले बादल सरकार के एक और मंत्री से प्रवर्तन निदेशालय ने पूछ.ताछ किया था। मंत्री साहब के बेटे पर नशा के कारोबार करने का आरोप है। कांग्रेस के कई नेताओं पर भी नशा के कारोबार करने का अरोप लग चुका है। और तो और कांग्रेस के एक विधायक ने हालिया बीते विधानसभा सत्र में भाजपा के पंजाब प्रदेश अध्यक्ष कमल शर्मा पर नशा कारोबारियों के साथ संबंध का आरोप लगाया था। उस अरोप में कितनी सत्यता हैए राम जाने! लेकिन आरोप के बाद भाजपा का कोई नेता कमल शर्मा के साथ खुलकर सामने नहीं आया। यही नहीं कमल शार्म इस मामले पर केवल खंडन करके रह गये। उन्होंने उक्त विधायक के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की बात अभी तक नहीं कही है। इससे प्रतिपक्षी विधायक के आरोप पर कुछ आशंकाओं को बल मिलता दिख रहा है। वैसेए पंजाब में आये दिनए यही कही सुनी जाती है कि हर राजनीतिक दलों के गुर्गे नशा के काले व्यापार में संलिप्त हैं।

पंजाब में केवल रानीतिक पार्टियों के अंदर नशा के कारोबारियों की पहुंच नहीं हैए अपितु नशा के कारोबारियों की पहुंच पुलिस के संगठित तंत्र तक भी है। नशा के कारोबारियों ने बडे सूनियोजित तरीके से पंजाब के बडे व्यापारियों तक अपनी पहुंच बना ली है। पंजाब में ही नहीं देश के अन्य भागों में भी नशा के कारोबार का पैसा मनोरंजनए खेल एवं भवन.संपत्ति उद्योग में लग रहा है। नशा के कारोबारियों ने बडे योजनाबद्ध तरीके से स्वास्थ्य व्यापार के क्षेत्र में अपनी पहुंच बनाई है। ऐसे में नशा के संजाल को तोडना बडा खतरनक होगा। फिर भी पंजाब में जिस प्रकार नौजवान नशे के कारण अपनी जिंदगी खडाब कर रहे हैं उसके लिए पंजाब को कुछ तो सोचना पडेगा। इस बात ने पंजाब के अवाम को झकझोर कर रख दिया है। पंजाब का 51ण्6 प्रतिशत युवा नशों के गिरफ्त में है। पिछले साल पंजाब में एनडीपीएस एक्ट के तहत 14564 मामले दर्ज किये गये जबकि पूरे देश में इस एक्ट के तहत 34101 मामले दर्ज हुए। ये आंकडे चैकाने वाले हैं। तस्कर भोला नामक व्यक्ति ने जांच अभिकरणों के सामने स्वीकार किया है कि उसके द्वारा 6000 करोड रूपये के नशा का कारोबार फल.फूल रहा था। पंजाब में 6000 करोड रूपये का एक नशा रैकेट का अभी उद्भेदन हुआ है। जानकारों का आकलन है कि ऐसे कई रैकेट पंजाब में सक्रिय हैं। इस पूरे नशा संजाल के लिए पंजाब के लोग अंततः पंजाब सरकार को ही दोषी मानने लगे हैं। यही नहीं नशा के बारे में जानकारी मिलने के बाद अब लोग यह चाहते हैं कि प्रदेश में ऐसी सरकार आए जो नशा के रैकेट को तोडे एवं पंजाब के नौजवानों को नशा से मुक्ति दिलाए। विगत लोकसभा चुनाव में इसी मुद्दों को उछालकर आम आदमी पार्टी ने पंजाब में जबरदस्त प्रदर्शन किया। पंजाब के लोग कांग्रेस और अकाली दोनों से त्रस्त हैं। इस परिस्थिति में भाजपाए पंजाब में इन दोनों दलों के विकल्प के रूप में अपने को खडा करने के प्रयास में है। भाजपा नशा के खिलाफ पंजाब में हल्ला बोलने के फिराक में है। राजनीति के जानकारों का तो यहां तक कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा आकाशवाणी पर मन की बात कार्यक्रम के दौरान नशा के मुद्दे को उठाना इसी रणनीति का हिस्सा हो सकता है। इससे यह साबित हो जाता है कि भाजपा पंजाब में नशा के कारोबार के खिलाफ अभियान को राजनीतिक हथियार के रूप में प्रयोग करना चाहती है जबकि अकाली ऐसा होने नहीं देना चाहते। अकाली लगातार पंजाब में नशा के लिए केन्द्र सरकार को दोषी ठहरा रहे हैं। उधर कांग्रेसी इस फिराक में है कि यदि भाजपा प्रदेश में अपनी स्थिति मजबूत करेगी तो अकाली पंथक मुद्दा उठाएंगे और इससे प्रदेश का माहौल खडाब होगाए जिसका फायदा अंततः क्रांगेस को मिलने की पूरी संभावना है।

आने वाले समय में राजनीतिक दिशा पंजाब की क्या होगीए वह तो अभी नहीं कहा जा सकता है लेकिन इतना तय है कि पंजाब में नशा के कारोबार का मुद्दा राजनीति पर बडा असर डालेगा। भाजपा.अकालियों गठबंधन रहेगा या टूट जाएगाए बताना कठिन है लेकिन नशा के मामले में दोनों दलों के अपने अपने दाव हैं। किसका दाव लहेगा और कौन मात खाएगा कहना कठिन है लेकिन इतना तो तय है कि पंजाब की राजनीतिक इतिहास में एक नये प्रकार के बदलाव के संकेत मिलने लगे हैंए जो पंजाब की राजनीति को बडी गहराई से एवं बडे दूर तक प्रभावित करेगा और वह नशा के गैर कानूनी धन्धे वाले मुद्दे पर केन्द्रित होगाए इसकी पूरी संभावना है।

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