गुरबख्श का अनशन अकाली रणनीति का कही हिस्सा तो नहीं?


गौतम चैधरी
ज्यों-ज्यों भारतीय जनता पार्टी और शिरोमणि अकाली दल के बीच गतिरोध बढ रहा है, त्यों-त्यों हरियाणा स्थित अम्बाला के लखनौर साहिब गुरूद्वारा में, जेल के अंदर बंद सजा भुगत चुके सिख चरमपंथियों की रिहाई के लिए अनसन पर बैठे सरदार गुरबख्श सिंह खालसा का मामला तूल पकडता जा रहा है। विगत दिनों शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी ने एक बयान जारी कर कहा कि गुरबख्श के समर्थन में कमेटी मोर्चा सम्हालने वाली है। प्रबंधक कमेटी का कहना है कि जो सिख बंदी सजा काट चुके हैं उसे किसी कीमत पर जेल के अंदर नहीं रहने दिया जाएगा। इस मामले पर पंजाब की सत्तारूढ शिरोमणि अकाली दल ने अपनी स्थिति पहले स्पष्ट करते हुए केन्द्र सरकार से मांग कर चुका है कि सजा काट चुके सिख बंदियों को केन्द्र की संघीय सरकार अविलम्ब रिहा करे।

जानकारी में रहे कि सरदार गुरबख्श सिंह खालसा लखनौर साहिब गुरूद्वारा में विगत 51 दिनों से उपवास पर बैठे हैं। खालसा की मांग है कि देश के विभिन्न जेलों में बंद अपनी सजा पूरी कर चुके सिख बंदियों को जेल से रिहा कर दिया जाये। जानकार सूत्रों की माने तो गुरबख्श के कार्यक्रम स्थल पर लगातार खालिस्तान समर्थक नारे लग रहे हैं। यहां खालिस्तान समर्थक पृथक्तावादी संत जरनैल सिंह भिंडरावाले का पास्टर भी लगाया गया है। मामले पर विगत दिनों एक पुलिस अधिकारी, अम्बाला सदर थाना के प्रभारी पुलिस निरीक्षक महेन्द्र सिंह ने बाकायदा संवाद माध्यमों के प्रतिनिधियों को बताया कि गुरबख्श के उपर कई मालले लम्बित है।

लिहाजा उनके उपर राजकीय रेलवे पुलिस पटियाला थाना में एक्सपलोसिव एक्ट की धारा 04 और 05 के तहत मुकदमा नंबर 15-99, पानीपत शहरी थाना में एक्सपलोसिव एक्ट की धारा 04 और 05 के तहत मुकदमा नंबर 154-99, साउथ थाना चंडीगढ़ में धारा 307, 120बी आइपीसी तथा एक्सपलोसिव एक्ट 04 और 05 के तहत मुकदमा नंबर 178-99, इस्माइलाबाद थाना में एक्सपलोसिव एक्ट 03, 04 और 05 तथा आम्र्स एक्ट के तहत मुकदमा नंबर 25-54 तथा थाना देहरान अमृतसर में एक्सपलोसिव एक्ट 04 व 05 के तहत मुकदमा नंबर 99-99 दर्ज है। ऐसे में गुरबख्श के इस उपवास कार्यक्रम को भाजपा-अकाली गतिरोध से जोडकर भी देखा जाने लगा है।

इधर इस विवाद में शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी भी कूद गया है। कमेटी की यह मांग है कि देशभर में 119 सिख बंदी ऐसे हैं जो अपनी सजा पूरी कर चुके हैं। एसजीपीसी इस मामले को लेकर केन्द्र सरकार को कई बार आगाह कर चुकी है। एसजीपीसी के सूत्रों से मिली खबर में बताया गया है कि कमेटी अगामी 09 जनवरी को 90 वर्षीय सरदार वरियाम सिंह को छुडाने के लिए उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक से मिलने वाले हैं। वरियाम सिंह पिलिभित जेल में बंद हैं। एसजीपीसी की सूचि में शामिल सिख बंदियों में से 63 सिख बंदी केवल पंजाब के विभिन्न जेलों में बंद हैं, जबकि सात लोग सिरसा की जेल में बंद हैं। इसके अलावे 06 तिहार में, चार जम्मू में तथा तीन चंडीगढ के बुडैल जेल में बंद हैं। इसके अलावे एक-एक सिख बंदी पिलिभित, बीकानेर एवं गुलवर्ग के जेलों में बंद हैं। एसजीपीसी इन तमाम बंदियों को छुडाना चाहती है।

यहां इस बात का उल्लेख करना सही होगा कि शिरोमणि गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी पर राज्य की सत्तारूढ दल बादल गुट वाले श्रिोमणि अकाली दल का प्रभुत्व है। इन दिनों पंजाब के सत्तारूढ गठबंधन में आपसी राजनीतिक वरचस्व को लेकर जबरदस्त गतिरोध चल रहा है। जहां एक ओर कृत्रिम नशा को मुद्दा बनाकर भाारतीय जनता पार्टी, शिरोमणि अकाली दल को बैकफुट पर लाना चाहती है वही शिरामणि अकाली दल, भारतीय जनता पार्टी पर तंज कसने का कोई मौका नहीं छोड रहा है। राजनीतिक प्रेक्षक इस दोस्ताना लडाई को सत्ता का संघर्ष मान रहे हैं। प्रेक्षकों का मानना है कि भाजपा की गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए अकाली अब कई मोर्चों पर काम करने लगे हैं। अकालियों के बारे में जगजाहिर है कि पंथक मामले, मुद्दे और संगठनों पर उनका प्रभुत्व है। ऐसे में खालसा के अनशन को भी अकालियों की चाल के रूप में ही देखा जा रहा है।

अम्बाला सदर थाना प्रभारी के अनुसार गुरबख्श सिंह जिन बंदियों की रिहाई की मांग कर रहे हंै उनमें पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की हत्या में शामिल भाई गुरमीत सिंह, सुपुत्र जसविन्द्र सिंह, लखविन्द्र सिंह सुपुत्र धर्म सिंह, शमशेर सिंह सुपुत्र सुरजीत सिंह जिन पर वर्ष 1995 में धारा 307, 302 और 120 बी के तहत चंडीगढ़ में मुकदमा नंबर 96 दर्ज है। इसके अलावा इन तीनों पर एक्सपलोसिव एक्ट 03 और 04 के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया है।

इसी प्रकार लाल सिंह पुत्र भाग सिंह जिन पर अहमदाबाद, गुजरात के थाना भजनपुर में मुकदमा नंबर 230-92 दर्ज है और उन पर टाडा के तहत धारा 03ए 04 और 05 लगाया गया है। इसी प्रकार देवेन्द्र सिंह भुल्लर, पुत्र दयाल सिंह निवासी गांव दयालपुर, जिला भटिंडा पर भी धारा 302, 307, 326, 324, 436, टाडा 03, 04, 05 और एक्सपलोसिव एक्ट 04 व 05 के  तहत पार्लियामेंट स्ट्रीट नई दिल्ली थाना में मुदकमा नंबर 316-93 दर्ज है। इसके अलावा गुरबख्श सिंह अपने साथी वरियाम सिंह, पुत्र आत्मा सिंह जिस पर थाना बीलगाड़ा, बरेली में टाडा एक्ट के तहत मुकदमा नंबर 80-90 दर्ज है की रिहाई की मांग कर रहा हैं। खालसा तब अनशन पर बैठते हैं जब शिरामणि अकाला दल का भाजपा के साथ अनबन प्रारंभ होता है। ऐसे में यह साफ हो रहा है कि पंजाब में बढ रहे पंथक मामलों के लिए पंजाब की राजनीति जिम्मेबार हो रही है।

इस मामले में सरकार के नुमाईदों का कहना है कि सजा काट चुके सिख बंदियों का मामला न्यायालय में विचाराधीन है। न्यायालय की प्रक्रिया अपने ढंग से ही चलेगी। न्यायालय अपने आप में स्वतंत्र पीठ है। उसके मामले में हस्तक्षेप कोई भी सरकार या कार्यपालिका नहीं कर सकती है। यदि आज न्यायालय मामले का निवटारा कर दे, तो तकरीबन दो दिनों के अंदर ये सारे बंदी छोड दिये जाएंगे। ऐसे इस मामले को प्रेक्षक समाज हित नहीं मान रहे हैं। साथ ही हरियाणा के लोगों का तो यहां तक कहना है कि हरियाणा और पंजाब का माहौल खडाब करने के लिए ही सरदार खालसा अनशन पर बैठ गये हैं। ऐसे में केन्द्र की संघीय सरकार के साथ सिख कार्यकत्र्ताओं का गतिरोध स्वाभाविक है। यदि ऐसा होता है तो बादल गुट वाले शिरोमणि अकाली दल केन्द्र की सत्तारूढ भाजपा पर दबाव बनाने में कामयाब हो जाएगा। खालसा के अनशन को इस लिहाज से भी अकालियों के राजनीति का हिस्सा माना जाने लगा है।

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