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Showing posts from September, 2020

आधुनिक चुनौतियों का सामना करना है तो मदरसा शिक्षा में संशोधन जरुरी 

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हसन जमालपुरी  भारत के मुसलमान दुनिया के समझदार कौमों में से एक हैं। इसके पीछे का कारण इल्म और तजुर्बा है। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद से ही भारतीय मुसलमानों ने अपने आप को आधुनिकता से जोड़ना प्रारंभ कर दिया था। हालांकि मोगलिया संल्तनत के समय में भारत का जो रूतवा था वह तो अभी प्राप्त नहीं हो पाया है लेकिन इल्म और दिमाग का डंका आज भी दुनिया में बोल रहा है।  चुनांचे,  जब से दुनिया में इस्लामिक कट्टरपंथियों का उभार हुआ है तब से भारत उपमहाद्वीप में भी कुछ इसी प्रकार के चर्चे प्रारंभ हो गए हैं। मदरसा इसका केन्द्र बताया जा रहा है लेकिन आधुनि चुनौतियों का यदि सामना करना है तो मदरसों को बदला होगा और उसे आधुनिक शिक्षा केन्द्र बनाना होगा। हालांकि दीनी शिक्षा भी जरूरती है लेकिन उसके साथ ही साथ आधुनिक शिक्षा का होना उतना ही आवश्यक है।  भारत की आधुनिक शिक्षा प्रणाली में मदरसा के पाठ्यक्रम को बदलने के लिए बहुत चर्चा हुई है। इसमें कोई शक नहीं है कि भारतीय मदरसा, गरीब मुस्लिम समुदाय के एक बड़े हिस्से को शिक्षित बनाने में अहम भूमिका निभा रहा है लेकिन आधुनिक सोच और वैश्विक चुनौतियों की समझ नहीं होने के कारण

बिहार विधानसभा चुनाव के साथ जुड़ी है झारखंड की भावी राजनीति, कभी भी हो सकती है घोषणा

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गौतम चौधरी @ वर्तमान बिहार विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो रहा है। आगामी दिनों में बिहार विधानसभा का चुनाव होना अब लगभग तय हो गया है। बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही संभवतः झारखंड के दो खाली पड़े विधानसभा का भी उपचुनाव संपन्न कराया जाएगा और इसके परिणाम के बाद शर्तीया तौर पर झारखंड की राजनीति एक बार फिर से करवट लेगी। कोविड संक्रमण काल में भी चुनाव आयोग बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारी में संलग्न है। सारे सरकारी महकमों को इस काम में लगाया गया है। इधर जो खबर आ रही है उससे अब यह लगने लगा है कि बिहार विधानसभा और झारखंड के दो विधानसभाओं का उपचुनाव 26 अक्टूबर. से लेकर 10 नवंबर के बीच करा लिया जाएगा।  चुनाव आयोग ने इस बात के संकेत भी दे दिए हैं। इसलिए अब कभी भी बिहार विधानसभा चुनाव की घोषणा हो सकती है। झारखंड में विधानसभा की दो खाली सीटों दुमका और बेरमो उपचुनाव के मतदान 26 अक्टूबर से 10 नवंबर के बीच कराने की तैयारी की जा रही है। चुनाव आयोग ने इसके संकेत दिए हैं। इस हिसाब से हफ्ते भर बाद कभी भी उपचुनाव के तारीखों की घोषणा हो सकती है। यह घोषणा बिहार विधानसभा चुनाव के साथ ही होगी। दुमका सीट मुख्यमंत्री

झारखंड : खूंटी के 70 गावों में दुहरा रहे आरा-केरम के प्रयोग

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गौतम चौधरी  झारखंड का ग्रामीण परिवेस बड़ी तेजी से बदल रहा है। हालांकि अभी भी बड़ी-बड़ी चुनौतियां हैं लेकिन इन चुनौतियों पर विकास अब भारी पड़ने लगा है। जिन क्षेत्रों में कल तक माओवादियों के बूट, बंदूक व बम-गोलों की चर्चा हाती थी, वहां अब ग्रामीण चैपालों पर ग्राम सभा बैठती है और ग्रामीण विकास की बातें हो रही है। विगत दिनों ऐसे ही झारखंड के कुछ गांवों को देखने का मौका मिला। मैं तोरपा के अलंकेल गांव को देखने गया था। वहां मुझे हेमवंती देवी से मुलाकात हुई। हेमवंती, ग्रामीण विकास विभाग की ओर से संचालित दीनदयाल ग्राम स्वावलंबन योजना के तहत आशा दीदी के रूप में यहां प्रतिनियुक्त हैं। हेमवंती ने जो अपना अनुभव बताया वह किसी आश्चर्य से कम नहीं है। हेमवंती ने बताया, जब वह अलंकेल गांव आयी थी तो ग्रामीण महुआ से दारू बनाने में व्यस्त रहते थे लेकिन धीरे-धीरे दो-तीन महीनों में चित्र बदलने लगा। ग्रामीणों ने हेमवंती दीदी को अपना गुरू माल लिया। ग्राम सभाओं की नियमित बैठकें होने लगी। गांव में साफ-सफाई का माहौल बना। महिलाएं इस काम में बढ़-चढ कर हिस्सा लेने लगी। अब सवाल यह उठता है कि यह ग्रामीण विकास और परिवर्तन का

हमें तो अपनों ने लूटा, गैरों में कहां दम था……

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कुमार कौशलेन्द्र कौशल  शेष तो आप सब को पता ही होगा. बड़ी शोहरत नसीब पंक्तियाँ हैं.कई फिल्मों में नायक के मुंह से, शेरो-शायरी की महफ़िल में और नेता श्रेष्ठ के मुखारविंद से आप भी सुन ही चुके होंगे.  फिलहाल उपरोक्त पंक्तियों से बेबाक आरंभ के कारण पर आ जाता हूँ. सूबे झारखंड में पूर्व में सत्तारूढ़ रही रघुबर दास के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार और भारतीय जनता पार्टी की झारखंड इकाई में फिलहाल उपरोक्त पंक्तियों को चरितार्थ करते नेताओं की गतिविधि बढ़ गई है. शीघ्र ही सियासी हनीट्रैप की कोई नई खबर सुर्खियां बटोरने लगे तो आश्चर्य मत कीजियेगा! हनीट्रैप के साथ-साथ दोस्ताना और शुभमंगल ज्यादा सावधान जैसी फिल्म की नवीन पठकथा उजागर हो तो भी आश्चर्य मत कीजियेगा! विनती है कि मुझे वर्तमान हेमंत सरकार के प्रशस्ति गायक के विशेषण से विभूषित करने से पूर्व पूरा बेबाक पढ़ जरूर लीजियेगा. भूमिका हो गयी. चलिये अब आते हैं मूल मुद्दे “हनीट्रैप की सियासी क्रोनोलोजी… ” पर. देश की बात फिर कभी, फिलहाल सूबे झारखंड की बात कर लेते हैं. पिछले दिनों गोड्डा के भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के चरित्र

झारखंड में आम आदमी के लिए अलग और खास नेताओं के लिए अलग है कानून

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गौतम चौधरी  कोविड 19 महामारी के दौरान लाॅकडाउन प्रथम चरण से ही झारखंड में कानून और नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। आए दिन समाचार के हर माध्यमों में बड़ी-बड़ी खबरें प्रसारित होती रही है। मसलन, इस प्रकार की खबरों की खुर्खियां भी अब अखबारों के लिए आम-सी हो गया है। सबसे पहले मामला भारतीय जनता पार्टी के दो सांसदों का आया। इसके बाद झारखंड सरकार के एक महत्वपूर्ण मंत्री ने बाकायदा आदेश जारी कर नियमों का माखौल उड़ाया। फिर कांग्रेस की एक महिला विधायक ने लाॅकडाउन के नियमों को बुरी तरह से तोड़ा। उक्त महिला विधायक ने विदेश भ्रमण से लौटने के बाद सीधे अपने पति से मिलने जमशेदपुर चली गयी। उक्त विधायक यहीं पर नहीं रूकी, वह अपने क्षेत्र में जाकर कार्यकर्ताओं के साथ प्रशसनिक अधिकारियों के खिलाफ आन्दोलन भी करने लगी। झारखंड में जनप्रतिनिधियों द्वारा कोविड 19 महामारी कानून तोड़ने का सिलसिला अभी तक नहीं रूका है। अभी हाल ही में जहां प्रदेश की सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी, आरजेडी से जुड़े बिहार सरकार के पूर्ण मंत्री तेज प्रताप यादव ने सारे नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए एक हाॅटल में रूके, वहीं केन्द्र की सत्तारूढ़ प