झारखंड में आम आदमी के लिए अलग और खास नेताओं के लिए अलग है कानून



गौतम चौधरी 

कोविड 19 महामारी के दौरान लाॅकडाउन प्रथम चरण से ही झारखंड में कानून और नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। आए दिन समाचार के हर माध्यमों में बड़ी-बड़ी खबरें प्रसारित होती रही है। मसलन, इस प्रकार की खबरों की खुर्खियां भी अब अखबारों के लिए आम-सी हो गया है। सबसे पहले मामला भारतीय जनता पार्टी के दो सांसदों का आया। इसके बाद झारखंड सरकार के एक महत्वपूर्ण मंत्री ने बाकायदा आदेश जारी कर नियमों का माखौल उड़ाया। फिर कांग्रेस की एक महिला विधायक ने लाॅकडाउन के नियमों को बुरी तरह से तोड़ा। उक्त महिला विधायक ने विदेश भ्रमण से लौटने के बाद सीधे अपने पति से मिलने जमशेदपुर चली गयी। उक्त विधायक यहीं पर नहीं रूकी, वह अपने क्षेत्र में जाकर कार्यकर्ताओं के साथ प्रशसनिक अधिकारियों के खिलाफ आन्दोलन भी करने लगी।



झारखंड में जनप्रतिनिधियों द्वारा कोविड 19 महामारी कानून तोड़ने का सिलसिला अभी तक नहीं रूका है। अभी हाल ही में जहां प्रदेश की सत्तारूढ़ गठबंधन के सहयोगी, आरजेडी से जुड़े बिहार सरकार के पूर्ण मंत्री तेज प्रताप यादव ने सारे नियम कानून की धज्जियां उड़ाते हुए एक हाॅटल में रूके, वहीं केन्द्र की सत्तारूढ़ पार्टी, भाजपा के सांसद साक्षी जी महाराज, नियमों को तोड़ते दिखे। हालांकि दोनों नेताओं के खिलाफ प्रशासन ने कार्रवाई की है लेकिन प्रदेश की हमंत सरकार पूर्व की तरह दोनों नेताओं के मामलों में निरीहता की पराकाष्ठा का परिचय दिया है। इन दोनों नेताओं के खिलाफ प्रशासन की कार्रवाई को आप महज खाना-पूर्ति ही मानें। हेमंत सोरेन के बारे में प्रतिपक्षी पार्टी के नेता आरोप लगाते रहे हैं कि सरकार कुछ प्रबंधन कंपनियों से हायर किए गए खास प्रबंधकों के द्वारा केवल जनसंपर्क माध्यमों का प्रबंधन कर अपनी छवि दुरूस्त करने में लगे हैं। हालांकि आम लोगों में अभी भी हेमंत के प्रति आशा बची हुई है। 



वैसे कई मामलों में जमीनी स्तर पर हेमंत की तुलना पूर्ववर्ती रघुबर सरकार से अब की जाने लगी है। हाल के दिनों में पता नहीं क्यों मुख्यमंत्री के उपर केन्द्र और भाजपा का खौफ भी दिख रहा है। हेमंत, भाजपा सरकार के कार्यकाल में किए गए घोटालों की जांच को गति देने में लगातार कतरा रहे हैं। अब इस बार तो लेकर गठबंधन दलों में चर्चा होने लगी है। इन दिनों गठबंधन सरकार में शामिल कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल मामले पर गंभीरता से नजर रखने लगे हैं। यही करण है कि इन दिनों कांग्रेस बेहद सतर्क बयान दर्ज करा रही है। साक्षी महाराज के मामले में सरकार ने भाजपा के सामने घुटने टेक दिए हैं, जबकि तेज प्रताप के मामले में सरकार ने कानूनी कार्रवाई तो की पर रवैया बेहद कमजोर अपनाया। तेज प्रताप मामले में सरकार ने केस दर्ज करवाई, जबकि साक्षी महाराज को आनन-फानन में छोड़ दिया गया। 



इस प्रकार के मामलों में आम जनता से लेकर खास लोग तक सरकार से सवाल पूछ रहे हैं कि यदि कोई सामान्य व्यक्ति इस प्रकार का कृत्य करता तो क्या सरकार और प्रशासन का यही रवैया होता? आइए थोड़ा दोनों राजनेताओं की केस हिस्टरी का जायजा लेते हैं। विगत दिनों राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) सुप्रीमो, लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव अपने पिता से मिलने रांची आए। विवाद यहीं से प्रारंभ हो गया। प्रशासन का कहना है कि तेज प्रताप, नियम कानून को ताक पर रखकर एक हाॅटल में रूके। यादव पर आरोप है कि उन्होंने कोविड-19 के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन किया। इस मामले में उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 188, 269, 270 - 34 के तहत केस दर्ज किया गया। यादव पर आरोप है कि वह बिना वैध दस्तावेज के होटल में रुके और बिना 14 दिन के होम क्वारंटीन हुए वापस बिहार लौट गए। तेज प्रताप पर रांची के चुटिया थाने में केस दर्ज हुआ है। बता दें कि 31 अगस्त तक झारखंड में लॉकडाउन लगाया गया था। इस दौरान होटल और गेस्ट हाउस खोलने की इजाजत नहीं थी।



दूसरी ओर इसी प्रकार का एक मामला गिरिडीह में सामने आया। भारतीय जनता पार्टी के सांसद साक्षी महाराज किसी धार्मिक कार्यक्रम में भाग लेने गिरिडीह आए हुए थे। पहले तो स्थानीय प्रशासन ने पूरा माहौल बनाया और उन्हें रोक कर 14 दिनों के लिए क्वारंटीन करने का आदेश जारी कर दिया लेकिन जैसे ही भाजपा ने अपने सांसद के समर्थन में मोर्चा खोला, मुख्यमंत्री और गिरिडीह प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए। प्रशासन ने आनन-फानन में महाराज को बाकायदा बाइज्जत छोड़ दिया। इससे यह साफ साबित हो रहा है कि झारखंड की हेमंत सरकार प्रशासनिक मामलों में दोहरा मापदंड अपना रही है। यही नहीं यह सरकार आपराधिक मामलों में बेहत कमजोर और निसहाय दिख रही है, जिसका जीता जागता उदाहरण सबके सामने है। हेमंत को याद रखना चाहिए कि यह राज्य माफियाओं, पृथक्तावादियों और माओवादी आतंकवादियों का गढ़ रहा है। यदि थोड़ी भी प्रशासनिक ढ़ील दी गयी तो मामला बिगड़ सकता है। 



Comments

Popular posts from this blog

अमेरिकी हिटमैन थ्योरी और भारत में क्रूर पूंजीवाद का दौर

आरक्षण नहीं रोजगार पर अपना ध्यान केन्द्रित करे सरकार

हमारे संत-फकीरों ने हमें दी है समृद्ध सांस्कृतिक विरासत