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Showing posts from July, 2021

अमन पसंद लोगों का मजहब है इस्लाम, इसे बदनामी से बचाना है तो खालिस धार्मिक बने मुसलमान

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गौतम चौधरी   आतंकवाद एक जटिल विषय है। इसकी ठीक-ठीक परिभाषा आसान नहीं है। अमूमन लोगों के बीच आतंक पैदा करने वाले चिंतन को आतंकवाद कहते हैं। संभवतः इसकी विउत्पत्ति क्षद्म युद्ध से हुआ होगा। भारतीय चिंतन में क्षद्म युद्ध को कूट युद्ध भी कहा जाता है। यानी अपने प्रतिद्वंद्वी को परास्त करने के लिए उनके उपर छुप कर हमला करना। इससे दुश्मनों के बीच आतंक फैल जाता है और उसका आत्मबल कमजोर पड़ जाता है। फिर दुश्मन पर आसानी से विजय प्राप्त किया जा सकता है। आतंकवाद से ही मिलता-जुलता शब्द उग्रवाद है।  आम तौर पर आतंकवाद और उग्रवाद में अंतर कर पाना आसान नहीं है लेकिन दोनों दो प्रकार की युद्ध कला है। यदि आप कहें कि उग्रवाद की ही अंतिम परिणति आतंकवाद है तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। आधुनिक समय में बड़े पैमाने पर आतंकवाद या उग्रवाद का दौर साम्राज्यवादी ताकतों के खिलाफ देखने को मिलता है। थोड़ा पीछे जाने पर पता चलता है कि साम्राज्यवादी देश जब अपनी सत्ता मजबूत कर रहे थे तो उन्होंने स्थानीय लोगों पर अमानवीय अत्याचार किए। इस अत्याचार के खिलाफ एक वैश्विक माहौल बना और उस माहौल को हवा देने में तत्कालीन सोवियत संघ ने अहम

कश्मीरियों को संविधान सम्मत सारे अधिकार प्रदान हो लेकिन पृथक्तावादी मनोवृति पर भी लगाम जरूरी

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गौतम चौधरी  नई संवैधानिक व्यवस्था के बाद पहली बार केन्द्र सरकार ने बड़े पैमाने पर जम्मू-कश्मीर के स्थानीय नेताओं के साथ अभी हाल ही में एक बैठक संपन्न की है। वार्ता की बैठक में कश्मीर के हालिया स्थिति पर चर्चा के साथ ही साथ संभवतः इस विषय पर भी एक राय बनाने की कोशिश की गयी कि आने वाले समय में कश्मीर को लेकर जो भारत सरकार सोचती है, वही भविष्य की रणनीति भी होगी। वार्ता के कई पक्ष समाचार माध्यमों में सुर्खियां बटोरी। इस बैठक के बाद अखबारी व्याख्याकार और टिप्पणीकारों ने कश्मीर मामले पर बहुत कुछ लिखा और दिखाया है। कई लोगों ने केन्द्र सरकार एवं स्थानीय नेताओं के बीच की बैठक पर अपने मन्तव्य प्रस्तुत किए हैं। लिहाजा, बैठक की योजना सार्वजनिक होने से लेकर बैठक के बाद की स्थिति पर कई प्रश्न भी खड़े हुए हैं। सबसे पहला प्रश्न तो यही उठ रहा है कि आखिर इतने दिनों के बाद केन्द्र सरकार एकाएक बैठक की योजना क्यों बनाई? कुछ जानकारों ने यह भी आशंका व्यक्त की है कि संभवतः केन्द्र की नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार जम्मू-कश्मीर में कुछ नयी व्यवस्था देने की सोच रही है। कुछ टिप्पणीकारों ने यह आशंका भी जताई है