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Showing posts from June, 2015

महामंदी से निवटने के लिए वैकल्पिक रास्ते की तलाश जरूरी

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Gautam Chaudhary आम लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है रघुराम राजन की चेतावनी  भारतीय रिजर्व बैंक के गवरनर रघुराम राजन की आशंका और चिंता को हल्के में नहीं लिया जा सकता है। राजन दुनिया के जाने-माने अर्थशास्त्री हैं और उनके बारे में जानकार बताते हैं कि राजन दुनिया के अर्थ प्रणाली पर अच्छी पकड रखते हैं, इसलिए यदि उन्होंने आशंका जाहिर की है कि दुनिया एक बार फिर से महामंदी की ओर बढ रहा है, तो इसे हमारी सराकर को ही नहीं आम जन को भी गंभीरता से लेना चाहिए। हालांकि मैं अर्थशास्त्र का न तो छात्र रहा हूं और न ही कभी अर्थशास्त्र का गंभीरता से अध्यन किया है, लेकिन मोटे तौर पर मंदी के दंश को समझता हूं। बाजार की मंदी का मतलब, आम तौर पर अमूमन आम लोगों की क्रय शक्ति की कमजोरी से लगाया जाता है। बाजर में उत्पाद तो होता है लेकिन उसके खरीददार नहीं होते। ऐसी परिस्थिति में बाजार कमजोर पड जाता है और कंपनियां घाटे में चली जाती है। बैंकों के दिवाले निकल जाते हैं क्योंकि कंपनियों के द्वारा लिया गया कर्ज बैंक को प्राप्त नहीं हो पाता। कंपनियां दिवालिया हो जाती है। देखते ही देखते मूल्य का ह्रास होने लगता है और

सत्तारूढ हरियाणा भाजपा के कार्यकर्त्ताओं में बढ रहा है असंतोष

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                                                   Gautam Chaudhary "आसन्न स्थानीय निकाय चुनाव पर नकारात्मक असर  की संभावना" हरियाणा भाजपा का आगामी तीन दिनों तक मैराथन बैठक होने वाली है। गत दिन शाम तक प्रदेश के महामंत्री संगठन सुरेश भट्ट रोहतक से चंडीगढ पहुंच गये थे। विश्वस्थ सूत्रों से मिली खबर में बताया गया है कि आज शाम से जो बैठकों का दौर चलेगा वह आगामी कई दिनों तक चलने वाली है। हालांकि इस बात की जानकारी नहीं मिल पायी है कि भाजपा एवं राष्टकृीय स्वयंसेवक संघ विचार परिवार समन्वय की बैठक हुई है या नहीं, लेकिन इतना तय माना जा रहा है कि हरियाणा भाजपा की मैराथन बैठक के बाद, कुछ अनु भवी जमात के लिए खुशखबरी संभव है। वैसे हरियाणा की सत्तारूढ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का जनाधार खिसकने और दरकने लगा है। इसका अंदाजा विगत दिनों भाजपा के राष्टकृीय अध्यक्ष अमित शाह की करनाल वाली रैली से लगाया जा सकता है। लिहाजा लाख जतन और भगीरथ प्रयास के बाद भी रैली में हरियाणा प्रदेश भाजपा अपेक्षित भीड़ इकट्ठा नहीं कर पायी। इस मामले को भाजपा प्रदेश नेतृत्व भले हल्के में ले रही होगी, लेकिन आने वा

पूवोत्तर के आतंकी पदचांप को हल्के में न ले भारतीय सत्ता प्रतिष्ठान

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गौतम चौधरी अभी हाल के दिनों में ही मणिपुर के सुदूर पहाडी क्षेत्र में आतंकियों द्वारा घात लगाकर किये गये हमले में भारतीय थल सेना के 18 जवानों की मृत्यु हो गयी। इस घटना में 11 जवानों के घायल हाने की भी खबर है। आतंकियों ने इससे पहले अप्रैल में अरूणाचल प्रदेश के खांसा नामक स्थान पर भारतीय सेना को निशाना बनाया था। उस हमले में भी सेना के चार जवाने मारे गये थे। यही नहीं आतंकियों ने एक बार फिर से असम राइफल के मुख्य शिविर पर हमला किया है। ये तीनों हमले केन्द्र में आई लोकतांत्रिक गठबंधन सरकार के शासन में किये गये हमले हैं। पूर्वोत्तर में एक के बाद एक हमले के पीछे किसका हाथ है और हमलों में संलिप्त चरमपंथियों की मनोंवृति क्या है, इसपर व्यापक पडताल की जरूरत है। पूर्वोत्तर के परिपेक्ष में देखा जाये तो अभी हाल के महीनों में सेना के खिलाफ आतंकियों का यह दूसरी बडा हमला था। ऐसे तो इस घटना के बाद प्रतिपक्षी कांग्रेस के साथ ही साथ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और देश के केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह तक ने बयान जारी किये हैं, लेकिन सबसे गंभीर प्रतिक्रिया केन्द्रीय गृहराज्य मंत्री किरण रिजिजू की आ