Posts

Showing posts from December, 2016

उत्तराखंडी सियासत में स्कूटर का महत्व

Image
गौतम चौधरी उत्तराखंड का राजनीतिक तापमान एक बार फिर से गर्म हो गया है। सच पूछिए तो प्रधानमंत्री का स्कूटर वाला बयान भाजपा के गले का फांस बनता जा रहा है। हालांकि प्रधानमंत्री के बयान पर भाजपा लगातार सफाई दे रही है लेकिन भाजपा के लिए मुकम्मल जवाब उतना आसान नहीं हो पा रहा है। इधर कांग्रेस को बिठे-बिठाए एक बार फिर से मुद्दा मिल गया है। अब कांग्रेस इस मुद्दे को कितना भुना पाती है वह कांग्रेस की रणनीति पर निर्भर करता है लेकिन मामले पर उत्तराखंड भाजपा को प्रधानमंत्री ने बगल झांक लेने पर मजबूर तो कर ही दिया है। गोया प्रधानमंत्री ने जिस स्कूटर पर पैसे खाने का आरोप लगा गए, वह स्कूटर तो इन दिनों भाजपा के कार्यालय की सोभा बढ़ा रहा है, यानी स्कूटर कांड के कथित आरोपी पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा आजकल भाजपायी खेमें के योद्धा बने फिर रहे हैं।  हुआ यूं कि विगत 27 दिसम्बर को उत्तराखंड भाजपा ने ताम-झाम के साथ देहरादून के परेड ग्राउंड में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रैली रखी। बला की भीड़ में प्रधानमंत्री जी ने ताबरतोड़ भाषण दिया। जोश में उन्होंने यह भी कह दिया कि उत्तराखंड में तो स्कूटर भी पैसा

बड़ी तेजी से राहुल सुधार रहे हैं अपनी छवि

गौतम चौधरी निःसंदेह इन दिनों कांग्रेस की सभाओं में भीड़ जुट रही है। तटस्थ होकर कहा जाए तो नरेन्द्र भाई की सभा में जितनी भीड़ होती है उतनी भीड़ राहुल गांधी की सभाओं में तो नहीं हो रही है लेकिन पहले की अपेक्षा अब राहुल गांधी को लोग गंभीरता से लेने लगे हैं। इस भीड़ को देखकर कांग्रेस पार्टी को यह लगने लगा है कि वह आगामी आम चुनाव में भाजपा के सामने एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत करने में कामयाब हो जाएंगी। वैसे कुछ लोगों को राहुल चमत्कारी नेता के रूप में भी दिखने लगे हैं। इस मामले में एक ही बात कही जा सकती है कि पहले की अपेक्षा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल की स्वीकार्यता तो बढ़ी है लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना में वे अभी भी बेहद कमजोर हैं।  विगत दिनों गुजरात के मेहसाना में कांग्रेस की रैली हुई। निश्चित तौर पर तो नहीं बताया जा सकता है लेकिन अनुमान लगाने वालों का कहना था कि राहुल की रैली में कम से कम दो लाख से उपर लोग आए थे। याद रहे मेहसाना किसी जमाने में भारतीय जनात पार्टी का गढ़ था। ऐसे में कांग्रस की सभा में यदि इतनी संख्या जुटती है तो यह सचमुच में कांग्रेस के लिए आशा जगाने वाली बात

प्रधानमंत्री अपने चित-परिचित अंदाज में ही तो कर रहे हैं काम

गौतम चौधरी यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी की योजना सफल रही तो उनका अगला कदम केन्द्रीय वित्तमंत्री अरूण जेतली पर केन्द्रित होगा। हो सकता है जेतली जी को किसी दूसरे मंत्रालय में सिफ्ट कर दिया जाए। जिस योजना के नरेन्द्र भाई माहिर हैं उस योजना के तहत लोकसभा आम चुनाव के पहले वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बदल सकते हैं और आम चुनाव में लगभग 40 प्रतिषत सांसदों का टिकट बेरहमी से काट सकते हैं। यह नरेन्द्र भाई का चित-परिचित अंदाह है और उसी अंदाज से उन्होंने गुजरात में शासन किया। यही नहीं जानकारों की मानें तो केन्द्र में भी उसी योजना पर वे काम कर रहे हैं। मैं विगत दिनों एक बड़े स्तंभकार का आलेख पढ़ रहा था। उन्होंने उस आलेख में आषंका जताई थी कि आने वाले कुछ ही समय में मोदी मंत्रिमंडल के वित्तमंत्री को बदला जा सकता है। इस आषंका में कितना बल है यह तो स्वयं स्तंभकार ही बता सकते हैं लेकिन मेरी समझ जहां तक है उसके आधार पर मैं यह कह सकता हूं कि मोदी जी की कार्यपद्धिति कुछ इसी प्रकार की रही है। सरकार का तीन साल पूरा होने को है। मोदी जी ने आम चुनाव के दौरान जो भी वादे किए उसमें से एक-दो को छोड़कर अ

विमुद्रीकरण, सरकार की गलतियों की मुकम्मल व्याख्या

गौतम चौधरी विमुद्रीकरण के नफा-नुकसान पर अभी भी दावे के साथ कुछ कहना संभव नहीं है। क्योंकि इसके कारण जो व्यापार पर प्रभाव पड़ा है उसका मुकम्मल आकलन होना अभी बांकी है। लेकिन सरकार और भारतीर रिजर्व बैंक के द्वारा नियमों में लगातार बदलाव ने यह साबित कर दिया है कि विमुद्रीकरण का फैसला जल्दबाजी में लिया गया फैसला है और उसकी मुकम्मल तैयारी में भयंकर कोताही बरती गयी है। विमुद्रीकरण के बाद भी सरकार ने लगातार गलतियां की। इन गलतियों की लम्बी सूचि है लेकिन मोटे तौर पर जो गलतियां ध्यान में आती है उसकी व्याख्या जरूरी है। पहली गलती सरकार की यह हुई कि जो घोषणा भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर को करनी चाहिए थी वह घोषणा भारत के प्रधानमंत्री ने की। इसके पीछे का तर्क अभी तक समझ में नहीं आ रहा है। हालांकि इस संदर्भ में सवाल तो बहुत उठे हैं लेकिन सरकार की ओर से इस विषय पर आधिकारिक बयान नहीं आया है। कानून के जानकारों का तो यहां तक कहना है कि यह घोषणा संवैधानिक दृष्टि से भी उचित नहीं था। खैर अब इससे संबंधित मामला न्याय के सर्वोच्च पंचायत के पास लंबित है। दूसरी जो सबसे बड़ी गलती सरकार ने की वह थी तैयारी की। एक ज

नई आपदाओं को निमंत्रण देने लगा है आकाषी नदियां

गौतम चौधरी इतिहास इस संदर्भ का साक्षी है कि प्राकृतिक आपदाओं के कारण कई समृद्ध सभ्यताएं नष्ट हो गयी। मानवीय विज्ञान चाहे कितना भी प्रगति कर ले लेकिन प्रकृति पर अब भी कब्जा नहीं जमाया जा सका है। सच पूछिए तो यह संभव भी नहीं है। हां विज्ञान और तकनीकी की प्रगति से हम होने वाले नुकसान को सीमित जरूर कर सकते हैं लेकिन आपदाओं को निर्मूल नहीं किया जा सकता है। अबतक हम बाढ़, सुखा, भूकम्प, ज्वालामुखी, बारिष, बादल का फटना, सुनामी, आकाषी आपदा आदि का नाम ही सुनते रहे हैं लेकिन जैसे-जैसे हम प्रकृति के रहस्यों के उपर से पर्दा उठाते जा रहे हैं नई-नई आपदाओं और उसके काम करने के तरीकों तथा उसके द्वारा होने वाले नुकसानों का पता चल रहा है। इन दिनों इन्ही आपदाओं में एक आकाषीय नदी में आने वाली बाढ़ को चिंहित किया जा रहा है। कभी-कभी किसी खास क्षेत्र में अप्रत्याषित तरीके से बारिष हो जाती है। वह बारिष भी इतनी हो जाती है कि वहां बाढ़ जैसे स्थिति उत्पन्न होने लगती है। जबकि अमूमन लोग यह मानकर चलते हैं कि वह क्षेत्र बारिष की दृष्टि से औसत वर्षा वाला क्षेत्र है। उदाहरण के लिए इन दिनों राजस्थान के उन इलाकों में खूब

सीरिया, यमन, ईरान और इराक के निर्माण में भारत की सक्रियता जरूरी

Image
गौतम चौधरी विगत दो-तीन दिनों से सोच रहा था मध्य-पूरव और मध्य एषिया में हो रहे अप्रत्याषित परिवर्तन और उसमें भारत की भूमिका पर कुछ लिखूं पर समय न मिलने के कारण लिख नहीं पा रहा था। इसी बीच एक बड़ी खबर तुर्की से आई, जिसमें बताया गया कि तुर्की में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान रूस के राजदूत की गोली मारकर हत्या कर दी गयी। पहली नजर में ऐसा लगता है कि इस हत्या के पीछे का कारण निःसंदेह संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के बीच का अंतरद्वंद्व है लेकिन इस हत्या को गंभीरता के साथ देखें तो मामला कुछ और ही नजर आता है। खैर जब कोई क्षेत्र युद्ध का मैदान हो और उसमें आप काम कर रहे हों तो क्षति उठानी ही पड़ती है। रूस के राजदूत की हत्या को भी उसी रूप में लिया जाना चाहिए लेकिन इसके परिणाम दूरगामी पड़ने वाले हैं। और संभव है कि अब रूस भी अपने प्रतिपक्षियों को उसी की भाषा में जवाब दे। इन तमाम उहापोहों के बीच एक बात तो तय है कि तुर्की अब युद्ध का मैदान बन जाएगा। वहीं दूसरी ओर तबाह कर दिए गए सीरिया, इराक और यमन का पुनर्निर्माण भी असंदिग्ध है। ऐसे में भारत को अपनी भूमिका बड़ी तसल्ली से तय करनी होगी। हमें इराक युद्

हॉर्ट ऑफ एषिया में रूस के रूख को गंभीरता से ले भारत

गौतम चौधरी अफगानिस्तान पर हो रहे सम्मेलन हॉर्ट ऑफ एषिया सम्मेलन का चित्र इस बार बदल-बदला-सा दिख रहा है। चूकी इस बार पाकिस्तान पूरी कूटनीतिक तैयारी से आया है इसलिए वह भारतीय कूटनीति पर भारी भी पड़ है। हालांकि एक बार फिर अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को आतंकवाद की जमीन कहा है और साफ शब्दों में पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि पाकिस्तान भले उसे आर्थिक मदद दे या नहीं अपने देष से आतंकवाद का निर्यात करना वह बंद करे। अफगानिस्तान के इस बयान को भारतीय कूटनीतिज्ञ अपनी जीत के रूप में प्रचारित कर रहे हैं लेकिन इसी सम्मेलन में रूस ने पाकिस्तान का बचाव किया है और भारतीय कूटनीतिज्ञों को साफ शब्दों में कहा कि जिस प्रकार भारत की ओर से पाकिस्तान पर कूटनीतिक आक्रमण हो रहा है उससे दोनों देषों को कोई लाभ होने वाला नहीं है। यह सम्मेलन अफगानिस्तान के माध्यम से क्षेत्र में शांति के लिए हो रहा है न कि दो देषों के बीच आक्रामक कूटनीतिक आलोचनाओं के लिए। भारत को रूस ने सलाह दी है कि इस प्रकार के आपसी आक्रामकता को शांति के लिए काम करने वाले मंचों पर नहीं उठाया जाना चाहिए। रूस का यह बदला हुआ तेवर भारत के लिए खतरनाक