प्रधानमंत्री अपने चित-परिचित अंदाज में ही तो कर रहे हैं काम

गौतम चौधरी
यदि प्रधानमंत्री नरेन्द्र भाई मोदी की योजना सफल रही तो उनका अगला कदम केन्द्रीय वित्तमंत्री अरूण जेतली पर केन्द्रित होगा। हो सकता है जेतली जी को किसी दूसरे मंत्रालय में सिफ्ट कर दिया जाए। जिस योजना के नरेन्द्र भाई माहिर हैं उस योजना के तहत लोकसभा आम चुनाव के पहले वे पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी बदल सकते हैं और आम चुनाव में लगभग 40 प्रतिषत सांसदों का टिकट बेरहमी से काट सकते हैं। यह नरेन्द्र भाई का चित-परिचित अंदाह है और उसी अंदाज से उन्होंने गुजरात में शासन किया। यही नहीं जानकारों की मानें तो केन्द्र में भी उसी योजना पर वे काम कर रहे हैं। मैं विगत दिनों एक बड़े स्तंभकार का आलेख पढ़ रहा था। उन्होंने उस आलेख में आषंका जताई थी कि आने वाले कुछ ही समय में मोदी मंत्रिमंडल के वित्तमंत्री को बदला जा सकता है। इस आषंका में कितना बल है यह तो स्वयं स्तंभकार ही बता सकते हैं लेकिन मेरी समझ जहां तक है उसके आधार पर मैं यह कह सकता हूं कि मोदी जी की कार्यपद्धिति कुछ इसी प्रकार की रही है।
सरकार का तीन साल पूरा होने को है। मोदी जी ने आम चुनाव के दौरान जो भी वादे किए उसमें से एक-दो को छोड़कर अधिकतर वादे पूरे नहीं हुए। बेरोजगारी, वाह्य और आंतरिक सुरक्षा, मंहगाई, धारा 370 और कष्मीर समस्या का समाधान, बांग्लादेषी घुसपैठ की समस्या, स्वदेषी, स्वावलंबन, आर्थिक प्रगति, ऑद्योगिक क्रांति, राम मंदिर का निर्माण, भ्रष्टाचार आदि कई वादे किए गए थे लेकिन इसमें से एक भी वादे पूरे नहीं हुए। नरेन्द्र भाई ने जो सब्जबाग दिखाए थे वह अभी भी दिवाष्वप्न बना हुआ है। ऐसे में उनकी छवि को धक्का तो लगा ही है। उनकी लोकप्रियता में भी भारी कमी आने लगी है। कांग्रेस की सभा में आ रही भीड़ इस बात का प्रमाण भी है। इन तमाम डैमेज को कंट्रोल करने के लिए नरेन्द्र भाई के पास नोटबंदी जैसे आनन-फानन के निर्णय के अलावा और कोई दूसरा रास्ता नहीं था। नरेन्द्र भाई ने चुनाव के दौरान साफ शब्दों में कहा था कि उनकी सरकार के आते ही भ्रष्टाचारी नेताओं, अधिकारियों को जेल भेज दिया जाएगा। चीख-चीख कर वे जनसभाओं में कहते थे कि जब उनकी सरकार आएगी तो कांग्रेसी युवराज और दामाद दोनों के उपर कार्रवाई होगी। डॉ. सुब्रमण्यम स्वामी जी की एक सभा में मैं खुद था। उन्होंने तो यहां तक कहा दिया कि जब नरेन्द्र मोदी की सरकार आएगी तो पी. चिदंबरम के बेटे और सोनियां जी के दामाद दोनों को जेल भेज दिया जाएगा लेकिन मोदी जी की सरकार आई और उन लोगों पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पायी है। सच पूछिए तो इसका मतलब दो ही निकाला जाएगा, या तो भाजपा उन नेताओं को नाहक में बदनाम कर रही थी और भाजपा के पास कोई ठोस सबूत नहीं थे, या फिर सरकार के बदलते ही भाजपा नेताओं का कांग्रेस के साथ पर्दे के पीछे गठबंधन हो चुका है। इन दोनों में से कौन सही है यह तो पता नहीं लेकिन किसी एक को तो सही मानना ही पड़ेगा क्याकि ढाई साल का समय बहुत होता है। इस बीच कार्रवाई तो क्या कोई जांच समिति भी नहीं बनाई गयी है। इन तमाम आरोपों को झेल रहे प्रधानमंत्री को अपनी इमेज की स्वाभाविक रूप से चिंता है। क्योंकि वे सरकार के मुखिया हैं और इस बार केवल और केवल देष की जनता ने उन्हें चुना था, भाजपा को नहीं। इसलिए यदि सरकार असफल होती है तो उसकी पूरी जिम्मेबारी नरेन्द्र भाई पर ही होगी।
इस डैमेज को कंट्रोल करने के लिए नरेन्द्र भाई ने अपना चित-परिचित हथियार उपयोग में ले आए हैं। जनता का ध्यान सभी समस्याओं से हटाकर एक पर केन्द्रित करो और फिर उस समस्या के लिए एक व्यक्ति को जिम्मेबार ठहरा दो। इसके बाद उस व्यक्ति को बली का बकड़ा बनाओ और जनता को विष्वास दिला दो कि इसी व्यक्ति के कारण सरकार की सारी योजनाएं असफल रही है। फिर उस व्यक्ति को वहां से हटा दो और जनता में संदेष दो कि आखिर नरेन्द्र भाई ने अपने सबसे महत्वपूर्ण सिपहसालार को भी नहीं छोड़ा। नरेन्द्र भाई अपने मुख्यमंत्री काल में यही तो करते थे। फिर उन्होंने प्रधानमंत्री बनने के बाद भी एक-दो मामले में ऐसा ही किया है। केन्द्र सरकार के तीन साल पूरा होते-होते कई मंत्री और कई विष्वस्थ को नरेन्द्र भाई किनारे लगा सकते हैं। क्योंकि उनके पास इसके अलावा और कोई रास्ता भी नहीं बचा हुआ है। हालांकि 2019 के आम चुनाव में भी प्रतिपक्ष का अजेय प्रतिरोध संभव नहीं दिखता है, फिर भी कांग्रेस की सभाओं में बढ़ रही भीड़ को मोदी जैसे चतुर और राजनीति के माहिर खिलाड़ी नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें कुछ चमत्कार जैसा करना होगा। मुझे लगता है नरेन्द्र भाई उसी योजना में लगे हैं। यदि उनकी योजना सफल रही तो सरकार के तीन साल पूरा होते होते वे अपने कई विष्वस्थों को किनारा लगाएंगे और आम चुनाव से पहले पार्टी अध्यक्ष को भी बदलेंगे। सब कुछ नरेन्द्र भाई के अनुसार चला तो वे 40 प्रतिषत निर्वतमान संसदों का टिकट भी काट सकते हैं। यह कोई नहीं बात नहीं है। यह नरेन्द्र भाई की कार्यपद्धति का हिस्सा है। वे अपने को बचाने के लिए घुर विरोधियों के साथ भी तालमेल कर सकते हैं। वर्तमान में तो मुझे वित्तमंत्री की कुर्सी पर ही खतरा दिख रहा है। देखिए आगे क्यया होता है। हालांकि इससे कितना फायदा वे उठा पाएंगे यह समय बताएगा लेकिन इतना तो उन्हें करना ही पड़ेगा क्योंकि जनता को जवाब भी तो देना है।

Comments

Popular posts from this blog

अमेरिकी हिटमैन थ्योरी और भारत में क्रूर पूंजीवाद का दौर

आरक्षण नहीं रोजगार पर अपना ध्यान केन्द्रित करे सरकार

हमारे संत-फकीरों ने हमें दी है समृद्ध सांस्कृतिक विरासत