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Showing posts from May, 2018

अमेरिका-ईरान गतिरोध का भारत पर नहीं पड़ेगा प्रभाव

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अमेरिका द्वारा ईरान के साथ साल 2015 के न्यूक्लियर डील से बाहर हो जाने के बावजूद भारत ने न सिर्फ अपने पुराने और परंपरागत दोस्त ईरान का स्पष्ट तौर से समर्थन किया है, बल्कि दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के द्विपक्षीय वार्ता भी हुई है। लिहाजा अमेरिकी गतिरोध का भारत पर कोई असर नहीं होगा।   गौरतलब है कि ईरान के विदेश मंत्री जावेद जरीफ एक तात्कालिक यात्रा पर सोमवार को भारत आए थे। विदेश मंत्रालय के सालाना सम्मेलन में सोमवार को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत के साथ ईरान के रिश्ते किसी अन्य देश द्वारा थोपे गए प्रतिबंधों से प्रभावित नहीं होंगे और दोनों देशों के बीच व्यापार होता रहेगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य देशों (अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस, चीन) और जर्मनी के साथ होने वाले ईरान के न्यूक्लियर डील से अमेरिका बाहर हो गया है। इस बारे में सवाल पर सुषमा स्वराज ने कहा, भारत केवल संयुक्त राष्ट्र प्रतिबंधों का पालन करता है और किसी एक देश द्वारा लगाए गए एकपक्षीय प्रतिबंधों का नहीं। भारत पहले भी यह कोशिश कर चुका है कि पश्चमिी देशों के प्रतिबंधों

मोदी की इंडोनेशियाई रणनीति से चीन का बढ़ा टेंशन

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हालात ही कुछ ऐसे हैं कि कारोबार हो या सामरिक मामला, भारत और चीन एक-दूसरे के हर कदम पर निगाह रखते हैं। रखना स्वाभाविक है। दोनों देशों में लड़ाई भी हो चुका है। कई मार्चों पर चीन ने भारत को मात दिया तो भारत ने भी चीन को कम मात नहीं दिया है। हालांकि कुछ ऐसे मौके आए जब भारत ने चीन को खुल कर सहयोग किया और उस सहयोग का चीन ने दुनिया के मंच पर फायदा भी उठाया। हालांकि चीन के द्वारा भारत के सहयोग का कोई उदाहरण नहीं मिलता है। मसलन इस बार कदम भारत ने उठाया और प्रतिक्रिया चीन में हो रही है। दरअसल, हाल में इंडोनेशिया ने भारत को सामरिक लिहाज से अहम अपने सबांग द्वीप तक आर्थिक और सैन्य पहुंच दी है। ये द्वीप सुमात्रा के उत्तरी छोर पर है और मलक्का स्ट्रैट के भी करीब है। इंडोनेशिया के मंत्री लुहुत पंडजैतान ने बताया था, भारत सबांग के पोर्ट और इकोनॉमिक जोन में निवेश करेगा और एक अस्पताल भी बनाएगा। ये खबर आने के कुछ दिन बाद सोमवार को भारत के प्रधानमंत्री ने बताया कि वो 29 मई से 02 जून के बीच इंडोनेशिया, मलेशिया और सिंगापुर के दौरे पर जा रहे हैं। इंडोलेशिया का दौरा करने के बाद वे मलेशिया और स

यदि मैं कहूं कि बंगाल में मांशाहर की परंपरा से ज्यादा मजबूत परंपरा शाकाहार की रही है तो?

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गौतम चौधरी बंगाल का जहां कही नाम आता है तो मांशाहारी व्यंजनों की चर्चा जरूर होती है। खास का माछ-भात की चर्चा के बिना बंगाल की चर्चा अधूरी होती है लेकिन बंगाल में माशांहारी व्यंजनों के अलावा शाकाहारी व्यंजन भी बड़े चाव से पड़ोसे जाते हैं। आज हम बंगाल के शाकाहारी व्यंजनों पर प्रकाश डालने वाले हैं। तो आइए हम आपको बंगाल लिए चलते हैं जहां आपको निरामिष व्यंजन का स्वाद चखाएंगे! बंगाल कहने के लिए शाक्त संप्रदाय का केन्द्र है लेकिन यहां वैष्णव आन्दोलन का भी व्यापक प्रभाव रहा है। यही नहीं यहां वौद्ध और जैनियों के प्रभाव के भी अवशेष प्राप्त हुए हैं। इसलिए यदि यह कहा जाए कि बंगाल में केवल मांशाहारी व्यंजन का ही दबदबा रहा है यह सत्य नहीं है। मसलन बंगाल , बांग्ला और बंगाली का जिक्र आते ही एक चीज अपने आप जुड़ जाती है . बंगाल की संस्कृति का एक अहम हिस्सा मछली। मछली चावल या माछ - भात , फिश फ्राई या मछली के अंडों के पकौड़ों को बंगाल   का पर्याय मान लिया गया है।   बंगाल और मछली का संबंध अंत