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Showing posts from April, 2014

लोकतंत्र के प्रति बढ रहे अविश्वास का फायदा उठाने के फिराक में हैं माओवादी

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गौतम चैधरी केन्द्र की सरकार को चलाने के लिए पांच साल बाद एक बार फिर से आम चुनाव कराया जा रहा है। पूरे देश में चुनाव आयोग और कई सरकारी, गैर सरकारी संगठनों ने इस बार चुनाव में मतों के प्रतिशत को बढाने के लिए जबरदस्त अभियान भी चलाया है। दावा किया जा रहा है कि उस अभियान का असर चुनाव में मतों के प्रतिशत पर सकारात्मक पडा है, लेकिन जो रूझान आ रहे हैं उससे पता चल रहा है कि देशभर में तमाम अभियानों के बाद भी प्रतिशत मतों में 10 से ज्यादा की बढोतरी नहीं हुई है। चुनाव आयोग और सरकार के प्रयास के बवजूद कई क्षेत्रों में मतदान के प्रतिशत में कमी भी देखी जा रही है। चुनाव आयोग या नौकरशाही की कसावट वाली सरकार इसे जो माने, लेकिन हमे नहीं भूलना चाहिए कि लोकतंत्र में भारत के आम जन की हिस्सेदारी सिमट रही है। इसका फायदा निःसंदेह लोकतंत्र को आईना दिखने वाले संगठन उठाएंगे। इसका असर अब भारत की लोकतांत्रित सत्ता पर बंदूक के शासन को स्थापित करने वाले माओवादी क्षेत्रों में देखने को मिल रहा है। माने या न मानें, धीरे-धीरे ही सही, लेकिन देश में माओवाद के प्रति स्वीकार्यता बढ रही है। देश के घुर माओवाद विरोधी लोगों

चंडीगढ का मुकम्मल विकास किया हूं और आगे भी करता रहूंगा-पवन कुमार बंसल

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साक्षात्कार  गौतम चैधरी चंडीगढ के निवर्तमान सांसद, पूर्व केन्द्रीय रेलमंत्री इस बार फिर से चुनाव मैदान में हैं। बंसल संयुक्त प्रगतिशी गठबंधन सरकार में रेलमंत्री रह चुके हैं। आज उनसे व्यक्तिगत संपर्क कर बात की। पवन बंसल चैथी बार चंडीगढ से चुनाव लड रहे हैं। विगत तीन चुनाव वे भारी अंतरों से जीत चुके हैं। पवन बंसल के खिलाफ पहली बार भारतीय जनता पार्टी के कृष्णलाल शर्मा चुनाव लडे लेकिन शर्मा चुनाव हार गये। दूसरी बार बंसल के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी ने सत्यपाल जैन को चुनाव मैदान में उतारा लेकिन वे भी चुनाव हार गये। तीसरी बार सन् 2009 में एक बार फिर बंसल के खिलाफ भाजपा ने सत्यपात जैन को मैदान में उतारा लेकिन जैर भारी अंतर से चुनाव हारे और बंसल अजेय हो गये। चुनस जीतने के बाद संप्रग-2 में बंसल को केन्द्रीय रेलमंत्रालय का दायित्व सौंपा गया। उन दिनों बंसल बडे प्रभावी ढंग से राजनीतिक उंचाइयों पर चढ रहे थे लेकिन रेलगेट कांड ने बंसल की राजनीतिक गाडी को पंचर कर दिया और वे परेशान हो गये। प्रतिपक्षी पार्टी के लोग तो उनके खिलफ मोर्चा खाला ही अपनी पार्टी के लोग भी कन्नी काटने लगे लेकिन जैसे ही क