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Showing posts from July, 2014

कांग्रेस का संसद में नेता प्रतिपक्ष की मांग, न तो नैतिक, न संवैधानिक

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गौतम चैधरी/अभिषेक शर्मा विगत दिनों अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की ओर से बार-बार बयान दिया गया कि सत्तारूढ गठबंधन लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता के तौर पर उनकी पार्टी के किसी नेता को मान्यता प्रदान करे। इसके पीछे कांग्रेस के अंदर अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी की अभिजात्य मानसिकता स्पष्ट रूप से देखने को मिली। हालांकि कांग्रेस के नेता और प्रवक्ता खुलकर संसद में नेता प्रतिपक्ष के लिए सोनिया या राहुल गांधी की वकालत करते नहीं दिखे लेकिन उनका वास्तविक उद्देश्य सोनिया या रहुल को प्रपिक्ष के नेता के रूप में खडा कर सत्ता में एक परिवार की पकड को बनाए रखने में मदद करना ही था। इस मामले में पहले संवैधानिकता का डर पैदा किया गया फिर परंपरा और संसद की मार्यादा एवं गरिमा को हथियार बनाने का प्रयास किया गया। संविधान एवं संसदीय मामलों के जानकारों का कहना है कि प्रतिपक्ष का नेता सचमुच में कोई चीज नहीं होता है लेकिन विधि के द्वारा सन् 1977 में सदन के अंदर नेता प्रतिपक्ष के पद की व्यापक व्यवस्था दी गयी। इन दिनों संसद में एक नई परंपरा चल गयी है वह यह कि प्रतिपक्ष के नेता को केन्द

पूज्य शंकराचार्य जी का बयान, बवाल और यथार्थ

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गौतम चौधरी विगत दिनों हरिद्वार में कुछ पत्रकारों के बीच शारदा पीठ के पूज्य शंकराचार्य स्वरूपानंद जी महाराज ने कह दिया कि हिन्दू सनातनी धर्म को मानने वाले साई बाबा की पूजा करना बंद कर दें। उन्होंने और कई प्रकार की बातें कही जो साई भक्तों के लिए स्वाभाविक रूप से अपमानजनक था। इस बयान पर साई भक्तों ने पूज्य श्री के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और जगह-जगह उनके खिलाफ साई भक्त आन्दोलन कर रहे हैं। मैं न तो पूज्य शंकराचार्य जी के बक्तव्य का खंडन कर रहा हूं और न ही साई भक्तों के विश्वास पर कोई टिप्पणी प्रस्तुत कर रहा हूं लेकिन जो बयान पूज्य शंकराचार्य जी ने दिया उसके आधार पर न तो कभी हिन्दू धर्म चला और न ही आने वाले समय में चलेगा। हिन्दुओं की आस्था पर कभी-कभी खुद मैं आसमंजस में पर जाता हूं। मेरी दादी के मैका में एक बडा सा बरगद का पेड था। लोग उसे मलंग बाबा के नाम से जानते थे और उसकी पूजा करते थे। शायद आज भी उस बरगद की पूजा मलंग बाबा के रूप में ही होती होगी। मुझे उन दिनों यह पता नहीं था कि मलंग मुस्लमानों के देवता होते हैं। बिहार के कुछ तिरहुतिया ब्राह्मण और भूमिहार ब्राह्मणों के यहां एक खास प्