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हम कही उग्र राष्ट्रवाद की ओर तो नहीं बढ़ रहे हैं?

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गौतम चौधरी@ विगत कई दिनों से मन में एक ही बात घूम रही है कि क्या भारत और पाकिस्तानए अपने विदेश नीति में परिवर्तन कर रहा हैघ् इस मामले में यदि दोनों देशों के आंतरिक राजनीति को गौर से देखेंगे तो मामला साफ होगा। साफ शब्दों में कहा जाए तो अभी भारत में राम मंदिर आन्दोलन चलाने वालों की सरकार है। भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगता रहा है कि वह हिन्दू साम्प्रदायिक रूझान की पार्टी है। भाजपा पर यह भी आरोप लगता रहा है कि वह रूस से ज्यादा संयुक्त राज्य अमेरिका और इजरायल को भारत के लिए हितकर मानती रही है। जब पहली बार भाजपा के नेतृत्व में अटल विहारी बाजपेयी ने सरकार बनाई तो इजरायल और अमेरिका ने भारत से नजदीकी बढाना प्रारंभ किया। हालांकि भाजपा जिस चिंतन को मानने का दावा करती है उस चिंतन के आधार संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सदा से साम्राज्यवादी देशों के खिलाफ अपने विचार रखे और यह कहा कि भारत की विदेश नीति किसी प्रभू राष्ट्र के दबाव में नहीं होना चाहिए। बाजपेयी जी की सरकार में तो इस नीति का थोड़ा पालन होते देखा गयाए पर नरेन्द्र मोदी की सरकार इस नीति को कायम रखने में संभवतः कोताही बरत रही है। इसके

आखिर कहां खड़े हैं पंजाब के दलित?

गौतम चौधरी : पंजाब विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया। हालांकि चुनावी समर में अपनी-अपनी जीत पक्की करने के लिए हर पार्टियों ने अपने विसात विछाने प्रारंभ कर दिए हैं लेकिन चुनाव में चर्चा इस बात पर भी होने वाली है कि आखिर किस पार्टी का आधार-वोट क्या है? अखिल भारतीय कांग्रेस, बादल गुट वाले शिरोमणि अकाली दल, भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, लेफ्ट फ्रंट, शिरोमणि अकाली दल-अमृतसर आदि कई पार्टियां चुनाव मैदान में हैं। इन तमाम पार्टियों के अपने-अपने आधार हैं और अपने-अपने दावे।  क्षेत्र की दृष्टि से देखें तो पंजाब तीन भागों में विभाजित है और जाति के आधार पर देखें तो कई आधार उभरकर सामने आते हैं। कुल मिलाकर पंजाब में सबसे मजबूत और प्रभावशाली जातीय समूह जट्ट सिखों का है। इसके बाद दलित आते हैं। हालांकि संयुक्त दलितों की संख्या ज्यादा है लेकिन राजनीतिक और आर्थिक दृष्टि से जट्टों के मुकाबले वे कमजोर पड़ते हैं। एक तबका हिन्दू उच्च वर्ग का भी है जो ज्यादातर शहरों में निवास करते हैं और इस बार के चुनाव में उनकी बेहद महत्वपूर्ण भूमिका बताई जाती है। आज हमारे विमर्श का विषय पंजाब के दल

बांग्लादेशी अल्पसंख्यक हिन्दुओं के प्रति हमारा भी कुछ दायित्व बनता है!

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कलीमुल्ला खान विगत दिनों बांग्लादेश में लगभल 20 मंदिरों को तोड़ दिया गया। 100 हिन्दुओं के घरों पर आक्रमण किया गया। यह आक्रमण 30 अक्टूबर 2016 से प्रारंभ हो गया था और कई दिनों तक चलता रहा। निःसंदेह इस घटना को कट्टरपंथियों ने अंजाम दिया। क्या भारतीय मुस्लमानों को इस कुकृत्य के खिलाफ आवाज नहीं उठानी चाहिए? हमें यह सोचना होगा कि आखिर इस प्रकार की घटनाओं का कही न कही कोई न कोई तो असर होता ही है। यदि हम यह सोचे तो इसपर व्यापक बहस की गुंजाइस है। बांग्लादेश में हमारे मुस्लमान भाई हिन्दुओं पर आक्रमण कर रहे हैं और म्यामार में बौद्ध, बांग्लादेशियों को मारने में लगे हैं। इसका अंत तो होना चाहिए। कुल मिलाकर देखें तो हम सभी एक ही भूमि के संतान हैं। यदि बांग्लादेश में हिन्दुओं पर आक्रमण होता रहा तो फिर हिन्दुओं का गुस्सा भारत में बढ़ेगा और उसका खामियाजा भारतीय मुस्लमानों को स्वाभाविक रूप से उठाना पड़ेगा।   सन् 1970 में बांग्लादेश में कुल हिन्दुओं की संख्या बांग्लादेश की पूरी जनसंख्या का 13.5 प्रतिशत था। आज के आंकडे़ डरावने हैं और यह संख्या घटकर मात्र 8.5 प्रतिशत रह गयी है। ढाका विश्वविद्यालय के

एक और विभाजन की ओर बढ़ रही है आप

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गौतम चौधरी,  पंजाब विधानसभा चुनाव की तरीख घोषित कर दी गयी है। आम आदमी पार्टी के टारगेट में विधानसभा चुनाव को लेकर तीन प्रन्त अव्वल था लेकिन जब मैं उत्तराखंड गया तो लोगों ने बताया कि अब आम आदमी पार्टी उत्तराखंड विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेगी। कारण के बारे में जितने मुंह उतनी बात। खैर आसन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में से कम से कम दो में तो आम आदमी पार्टी जरूर चुनाव लड़ने वाली है। उसमें भी आम आदमी पार्टी के लिए पंजाब सबसे महत्वपूर्ण राज्य बताया जा रहा है। उसका कारण भी साफ दिख रहा है। चूकी बीते संसदीय आम चुनाव में आम आदमी पार्टी को पंजाब से चार सीटें मिली थी और पंजाब में आम आदमी पार्टी का आधार भी बेहद मजबूत दिख रहा है इसलिए पार्टी पंजाब पर ज्यादा फोकस कर रही है। हालांकि पंजाब में अब आप का पहले वाला रूतवा नहीं रहा। एक तो इनके तीन कद्दाबर नेता पार्टी छोड़कर चले गए और एक को पार्टी ने खुद निकाल दिया। इस छीछालेदर के कारण आप को घाटा हुआ है और कार्याकर्त्ताओं में यह संदेश चला गया कि आप में भी अब वो बात नहीं रही जो पहले हुआ करती थी। इन दिनों आप के कार्यकर्त्ता हतास दिखने लगे हैं। हालां

ढाई साल में नरेन्द्र भाई चले ढाई घर

गौतम चौधरी कुल मिलाकर देखें तो नरेन्द्र भाई के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार का रिपोर्ट कार्ड उतना खराब नहीं है जितना प्रचार किया जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार में अभी तक कोई भ्रष्टाचार के मामले सामने नहीं आए हैं। हालांकि सरकार के उपर यह आरोप लग रहा है कि नरेन्द्र भाई ने जो वादे किए थे उसमें से एक भी वादे पूरे नहीं किए। इस आरोप में तो दम है लेकिन इस मामले को लेकर जब मैंने गुजरात के राज्यपाल ओम प्रकाश कोहली जी से पूछा तो उन्होंने कहा कि लोगों को भी धैर्य रखना होगा। किसी व्यवस्था को बनाने में समय तो लगता ही है। उन्होंने बताया कि सरकार की क्या स्थिति है मुकम्मल तौर पर तो मैं नहीं जानता लेकिन सरकार अपने वादे पूरे करने की पूरी कोशिश कर रही है। उन्होंने बताया कि मैं खुद देख रहा हूं कि अब विभागों में एक नए प्रकार की कार्यसंस्कृति का विकास हो रहा है। अब अधिकारी सरकार एवं जनता के प्रति जिम्मेबार होने लगे हैं। इसी विषय पर जब हमने दिल्ली के कुछ भाजपायी कार्यकर्त्ताओं से पूछा तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि पहले की तुलना में अब आम आदमियों के लिए सरकारी कार्यालय सहज-सा दिखने लगा है। हा