एक और विभाजन की ओर बढ़ रही है आप

गौतम चौधरी, 
पंजाब विधानसभा चुनाव की तरीख घोषित कर दी गयी है। आम आदमी पार्टी के टारगेट में विधानसभा चुनाव को लेकर तीन प्रन्त अव्वल था लेकिन जब मैं उत्तराखंड गया तो लोगों ने बताया कि अब आम आदमी पार्टी उत्तराखंड विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ेगी। कारण के बारे में जितने मुंह उतनी बात। खैर आसन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में से कम से कम दो में तो आम आदमी पार्टी जरूर चुनाव लड़ने वाली है। उसमें भी आम आदमी पार्टी के लिए पंजाब सबसे महत्वपूर्ण राज्य बताया जा रहा है। उसका कारण भी साफ दिख रहा है। चूकी बीते संसदीय आम चुनाव में आम आदमी पार्टी को पंजाब से चार सीटें मिली थी और पंजाब में आम आदमी पार्टी का आधार भी बेहद मजबूत दिख रहा है इसलिए पार्टी पंजाब पर ज्यादा फोकस कर रही है। हालांकि पंजाब में अब आप का पहले वाला रूतवा नहीं रहा। एक तो इनके तीन कद्दाबर नेता पार्टी छोड़कर चले गए और एक को पार्टी ने खुद निकाल दिया। इस छीछालेदर के कारण आप को घाटा हुआ है और कार्याकर्त्ताओं में यह संदेश चला गया कि आप में भी अब वो बात नहीं रही जो पहले हुआ करती थी। इन दिनों आप के कार्यकर्त्ता हतास दिखने लगे हैं। हालांकि आप के जनाधार में अभी भी कोई कमी नहीं दिख रही है लेकिन कार्यकर्त्ता का हतोत्साहा, आप में सिर चढकर बोलने लगा है। 
दूसरी ओर प्रेक्षकों का मानना है कि बचे खुचे आप में भी सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। जहां एक ओर पार्टी के रणनीतिकारण गुप्त रूप से ही सही अधिवक्ता एचएस. फोल्का का नाम मुख्यमंत्री के रूप में आगे बढ़ा रहे हैं वहीं दूसरी ओर पार्टी का एक धरा भगवंत मान को बतौर मुख्यमंत्री प्रस्तुत करने लगा है। जानकारों की मानें तो भगवंत मान अपने निकटस्थों को यह संदेश दे रहे हैं कि पंजाब में आप की सरकार बनी तो वे निःसंदेह मुख्यमंत्री बनेंगे। खबर तो यहां तक है कि इस हैसियत से वे कई बार कुछ प्रभावशाली विदेशी संस्थाओं के सामने भी प्रस्तुत हो चुके हैं। हालांकि आम आदमी पार्टी ने आधिकारिक रूप से अभी तक पंजाब के मुख्यमंत्री के नाम की प्रस्तावना नहीं की है लेकिन आप की राजनीति पर नजर रखने वाले पत्रकारों का कहना है कि यदि पंजाब में आम आदमी की सरकार बनी तो निःसंदेह अधिवक्ता फोल्का को ही मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। 
इस संदर्भ में पार्टी से जुड़े एक वरिाष्ट अधिक्ता से जब मेरी बात हुई तो उन्होंने कहा कि आप की छवि का प्रतिनिधित्व फोल्का ही करते हैं। दूसरी बात यह है कि फोल्का की अपनी एक हैसियत है और वे अन्य की तुलना में ज्यादा समझदार हैं। साथ ही एक खास समुदाय में उनकी अंदर तक पहुंच भी है। पंजब जैसे पेंचीदे प्रांत के लिए एक समझदार मुख्यमंत्री का होना जरूरी है। यह प्रांत अभी भी आतंकवाद के छाए में जी रहा है। अभी भी आतंकवाद और पृथक्तावाद का पूर्णतः खात्मा नहीं हुआ है। ऐसे में यदि किसी हल्के व्यक्ति के हाथ में सत्ता चली गयी तो प्रदेशा का बड़ा नुकसान होगा। और संभव है कि आतंवाद का दौर फिर से प्रारंभ हो जाए। 
लेकिन भगवंत मान के समर्थक इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं। और उनका कहना है कि केवल आम आदमी पार्टी ही नहीं बल्कि वर्तमान में प्रदेश के सबसे ताकतबर नेता मान हैं। क्योंकि उनकी लोकप्रियता पंजाब के लोगों के सिर चढ कर बोल रही है। ऐसे में उनका मुख्यमंत्री बनना बेहद जरूरी है। यदि उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया तो प्रदेश की जनता के साथ छल होगा। याद रहे सत्ता संघर्ष के कारण ही आप की टिकट से पटियाला संसदीय क्षेत्र जीत चुके डॉ. धर्मवीर गांधी आप छोड़कर चले गए। सत्ता संघर्ष के कारण ही सुच्चा सिंह छोटेपुर को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। ऐसे मुख्यमंत्री के दावेदार पत्रकार से नेता बने कवंर संधू भी हैं लेकिन अभी फिलहाल दो नेताओं और उनके समर्थकों में में ही रस्सा-कस्सी चल रही है। जो आप के लिए खतरनाक संकेत है। 
जानकारों पर भरोसा करें तो आप में दोनों मजबूत नेता हैं और दोनों की अपनी-अपनी विशेषता है। यदि आप में यह लड़ाई बढ़ी तो आसन्न चुनाव में इसका असर आप के हितों के खिलाफ जाना तय है। दूसरी ओर अब यह बिल्कुल तय हो चुका है कि पंजाब में भी चारों वामदल अलग से चुनाव लड़ेंगे। इसलिए उनके पास जो वोट है वह भी आम आदमी पार्टी के पल्ले नहीं जाएगा, जिसकी संभावना पहले जताई जा रही थी। इससे कांग्रेस और सत्तारूढ़ गठबंधन को फायदे की उम्मीद है। 
कुल मिलाकर देखें तो आम आदमी पार्टी उपर से न सही पर अंदर से बेहद द्वंद्व में है। यदि इसे नहीं सुलझाया गया, जिसकी संभावना अब कम है, तो पार्टी को पंजाब विधानसभा चुनाव में बड़ी हानि उठानी पड़ सकती है। 
वहीं कांग्रेस दिन व दिन अपनी स्थिति सुधारती जा रही है। इन दिनों कांग्रेस की पूरी कोशिश रही है कि वह सत्तारूढ गठबंधन के खिलाफ वाले मतों में विभाजन को कम करे। इस काम में कांग्रेस बहुत हद तक सफल भी रही है। कांग्रेस का प्रयास रंग लाने लगा है। खासकर भाजपा से रूष्ट होकर गठबंधन को मजा चखाने वाले मतदाता पहले तो आम आदमी पार्टी के प्रति जबरदस्त तरीके से आकर्षित दिख रहे थे लेकिन अब उनका उत्साह कम होता जा रहा है और विकल्प के तौर पर वे कांग्रेस को ज्यादा विश्वसनीय मानने लगे हैं। इस स्थिति में और सकारात्मक परिवर्तन आने की पूरी संभावना है। यह उत्तरोंत्तर परिवर्तित होता रहा तो कांग्रेस पंजाब में एक बड़ी पार्टी क रूप में आ सकती है। 
इधर जो लोग अकाली को कमजोर समझ रहे हैं वे मेरी समझ से भूल कर रहे हैं। बादल गुट वाले शिरोमणि अकाली दल के अधिकतर कार्यकर्त्ता और मतदाता अभी भी उनके साथ हैं। उपर से वे भले टुटे-टुटे और हतोत्साहित लग रहे हों लेकिन अंदर से वे आज भी अकालियों के साथ खड़े हैं। इसलिए अकाली तो अपनी इज्जत बचा ले जाएंगे लेकिन सबसे ज्यादा घाटा भाजपा को उठानी पड़ेगी। भाजपा का अधिकतर वोट कांग्रेस के पाले जाने की पूरी संभावना है। वैसे एक वरिष्ठ पत्रकार का तो मत यह है कि भाजपा वाले अपने को हारते देख वे आम आदमी पार्टी को सपोर्ट कर सकते हैं लेकिन मुझे इस तर्क में जान नहीं दिखता है। क्योंकि पंजाब के हिन्दू सदा से कांग्रेस के प्रति साफ्ट रहे हैं। इसलिए पंजाब के हिन्दुओं को कांग्रेस ज्यादा निकट का लगता है जबकि आप उनके लिए नई पार्टी है। फिर आप में कई प्रकार के अंतरद्वंद्व भी हैं। ऐसे में में आप के अंदर एक और विभाजन की पृष्ठभूमि बनने लगी है। जिसे नकारा नहीं जा सकता है। 


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