आईएस के खिलाफ मुठभेड़ करता सहिष्णु हिन्दवी इस्लाम
कलीमुल्ला खान
विगत दिनों केरल के सवालत नगर में शुक्रवार वाली जुम्मे की नमाज़ के लिए इकट्ठा हुए हज़ारों सुन्नी मुसलमानों ने कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के विरूद्ध आवाज़ उठाते हुए। यह आवाज हवा में नहीं उठाया गया था। इसके पीछे बड़ी तकत काम कर रही थी। यह किसी दिषा की ओर संकेत कर रहा है इसे समझने की जरूर है। भारत में आतंकवाद का नाम आते ही उसे इस्लाम से जोड़ देने का प्रचलन रहा है। हालांकि व्यक्तिगत रूप से मैं इस चिंतन से सहमत नहीं हूं लेकिन कई आतंकवादी संगठन इस्लाम को अपने साथ जोड़कर इस मजहब को बदनाम करने की कोषिष जरूर की है। पर अब लोग समझने लगे हैं। दुनिया के सबसे खुंखार मानवता विरोधी आईएसआईएस के खिलाफ माहौल बनने लगा है। उसे न केवल गैर-इस्लामिक बल्कि इस्लाम-विरोधी भी करार दिया जाने लगा है। उक्त कार्यक्रम के दौरान विषाल जन समूह ने इस्लाम को आतंकवादी के हाथों अपहृत न होने देने की शपथ भी ली। उन्होंने एक साथ प्रतिज्ञा लेते हुए कहा कि यद्यपि हमें अपने मुसलमान होने पर गर्व है, फिर भी हम अन्य सभी धर्मों और उनके अनुयायियों का आदर व सम्मान करते हैं। उन्होंने आगे प्रण लिया कि वे आईएस जैसी विरोधी ताकतों के प्रति, जो कि संपूर्ण मानव जाति की एकता को नष्ट करने पर तुला है, के विषय में लगातार जागरूक बने रहेंगे।
यह कार्यक्रम मदीन अकादमी द्वारा आयोजित था। इस कार्यक्रम के दौरान 31वीं वार्षिक प्रार्थना सभा की अध्यक्षता करते हुए अकादमी के चेयरमैन सैयद इब्राहिम खलील बुखारी ने कहा-आईएस के स्वघोषित खलीफा ने इस्लाम के मूलभूत सिद्धांतों का उल्लंघन किया है। इस्लाम प्रेम, सहिष्णुता और सभी के प्रति आदरभाव का प्रतीक है। परन्तु निर्दोष व्यक्तियों की हत्या और महिलाओं एवं बच्चों पर अत्याचार जैसे आईएस के निर्दयतापूर्ण कृत्यों ने इस्लाम को कलंकित कर दिया है। ऐसे संगठन का इस्लाम से संबंध होना मानवता को कलंकित करता है। इसलिए हम उन्हें अपने धर्म को अपहृत करने की अनुमति नहीं देंगे। सभा के मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए बुखारी ने कहा कि जनवरी में आयोजित इस्लामिक विद्वानों के मर्राकेष में सम्पन्न हुए वैष्विक सम्मेलन की घोषणा का अनुसरण करते हुए आईएस के विरूद्ध यह शपथ ली गयी है। साथ ही उन्होंने यह भी दोहराया कि मुख्य रूप से मुस्लिम राष्ट्रों के धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की पूर्ण रक्षा की जाएगी। आईएस के विरूद्ध शुरू हुआ यह आन्दोलन वैष्विक प्रषंसा बटोर चुका है और बुखारी ने उम्मीद जताते हुए कहा कि आने वाले दिनों में यह और भी मजबूत होगा। केरल के विभिन्न भागों से हजारों सुन्नी मुसलमान रातभर चलने वाली इस प्रार्थना में शामिल होने के लिए सवालत नगर इस आषा के साथ पहुंचे थे कि इस रात का वर्णन कुरान में एक पवित्र रात के रूप में किया गया है और जो हजारों महीनों से बेहतर है।
लोग या भारत के बहुसंख्यक अवाम इस घटना को किस रूप में लेते हैं मुझे पता नहीं। मुझे यह भी नहीं मालूम की हमारी सरकार इस मामले को किस रूप में लेती है लेकिन मुझे इतना मालूम है कि इस्लाम का जो यह पाक चेहरा लोगों के सामने आ रहा है वह आने वाले समय में इस्लाम के मानने वालों के लिए एक उदाहरण जरूर प्रस्तुत करेगा। भारत में कई धर्म के लोग रहते हैं। मेरा व्यक्तिगत मानना है कि यहां कई प्रकार की संस्कृति भी है लेकिन छिट-फुट घटनाओं को छोड़ दी जाए तो भारत में आज भी धार्मिक और सांस्कृतिक सहिष्णुका का आभाव नहीं है। और मैं उम्मीद करता हूं कि आने वाले समय में इस प्रकार की सहिष्णुता को कोई खंडित भी नहीं कर सकता है क्योंकि हमारे समाज का ताना-वाणा इतना मजबूत है कि एक के बिना दूसरे का काम चल ही नहीं सकता है।
विगत दिनों केरल के सवालत नगर में शुक्रवार वाली जुम्मे की नमाज़ के लिए इकट्ठा हुए हज़ारों सुन्नी मुसलमानों ने कुख्यात आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के विरूद्ध आवाज़ उठाते हुए। यह आवाज हवा में नहीं उठाया गया था। इसके पीछे बड़ी तकत काम कर रही थी। यह किसी दिषा की ओर संकेत कर रहा है इसे समझने की जरूर है। भारत में आतंकवाद का नाम आते ही उसे इस्लाम से जोड़ देने का प्रचलन रहा है। हालांकि व्यक्तिगत रूप से मैं इस चिंतन से सहमत नहीं हूं लेकिन कई आतंकवादी संगठन इस्लाम को अपने साथ जोड़कर इस मजहब को बदनाम करने की कोषिष जरूर की है। पर अब लोग समझने लगे हैं। दुनिया के सबसे खुंखार मानवता विरोधी आईएसआईएस के खिलाफ माहौल बनने लगा है। उसे न केवल गैर-इस्लामिक बल्कि इस्लाम-विरोधी भी करार दिया जाने लगा है। उक्त कार्यक्रम के दौरान विषाल जन समूह ने इस्लाम को आतंकवादी के हाथों अपहृत न होने देने की शपथ भी ली। उन्होंने एक साथ प्रतिज्ञा लेते हुए कहा कि यद्यपि हमें अपने मुसलमान होने पर गर्व है, फिर भी हम अन्य सभी धर्मों और उनके अनुयायियों का आदर व सम्मान करते हैं। उन्होंने आगे प्रण लिया कि वे आईएस जैसी विरोधी ताकतों के प्रति, जो कि संपूर्ण मानव जाति की एकता को नष्ट करने पर तुला है, के विषय में लगातार जागरूक बने रहेंगे।
यह कार्यक्रम मदीन अकादमी द्वारा आयोजित था। इस कार्यक्रम के दौरान 31वीं वार्षिक प्रार्थना सभा की अध्यक्षता करते हुए अकादमी के चेयरमैन सैयद इब्राहिम खलील बुखारी ने कहा-आईएस के स्वघोषित खलीफा ने इस्लाम के मूलभूत सिद्धांतों का उल्लंघन किया है। इस्लाम प्रेम, सहिष्णुता और सभी के प्रति आदरभाव का प्रतीक है। परन्तु निर्दोष व्यक्तियों की हत्या और महिलाओं एवं बच्चों पर अत्याचार जैसे आईएस के निर्दयतापूर्ण कृत्यों ने इस्लाम को कलंकित कर दिया है। ऐसे संगठन का इस्लाम से संबंध होना मानवता को कलंकित करता है। इसलिए हम उन्हें अपने धर्म को अपहृत करने की अनुमति नहीं देंगे। सभा के मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए बुखारी ने कहा कि जनवरी में आयोजित इस्लामिक विद्वानों के मर्राकेष में सम्पन्न हुए वैष्विक सम्मेलन की घोषणा का अनुसरण करते हुए आईएस के विरूद्ध यह शपथ ली गयी है। साथ ही उन्होंने यह भी दोहराया कि मुख्य रूप से मुस्लिम राष्ट्रों के धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों की पूर्ण रक्षा की जाएगी। आईएस के विरूद्ध शुरू हुआ यह आन्दोलन वैष्विक प्रषंसा बटोर चुका है और बुखारी ने उम्मीद जताते हुए कहा कि आने वाले दिनों में यह और भी मजबूत होगा। केरल के विभिन्न भागों से हजारों सुन्नी मुसलमान रातभर चलने वाली इस प्रार्थना में शामिल होने के लिए सवालत नगर इस आषा के साथ पहुंचे थे कि इस रात का वर्णन कुरान में एक पवित्र रात के रूप में किया गया है और जो हजारों महीनों से बेहतर है।
लोग या भारत के बहुसंख्यक अवाम इस घटना को किस रूप में लेते हैं मुझे पता नहीं। मुझे यह भी नहीं मालूम की हमारी सरकार इस मामले को किस रूप में लेती है लेकिन मुझे इतना मालूम है कि इस्लाम का जो यह पाक चेहरा लोगों के सामने आ रहा है वह आने वाले समय में इस्लाम के मानने वालों के लिए एक उदाहरण जरूर प्रस्तुत करेगा। भारत में कई धर्म के लोग रहते हैं। मेरा व्यक्तिगत मानना है कि यहां कई प्रकार की संस्कृति भी है लेकिन छिट-फुट घटनाओं को छोड़ दी जाए तो भारत में आज भी धार्मिक और सांस्कृतिक सहिष्णुका का आभाव नहीं है। और मैं उम्मीद करता हूं कि आने वाले समय में इस प्रकार की सहिष्णुता को कोई खंडित भी नहीं कर सकता है क्योंकि हमारे समाज का ताना-वाणा इतना मजबूत है कि एक के बिना दूसरे का काम चल ही नहीं सकता है।
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