तो दे”ा सम्भल नहीं पायेगा


मित्रों, 
सचमुच गरीब आदमी बेइमान नहीं होता है। बिहार के मुख्यमंत्री निति”ा कुमार की उक्ति मुझे सही लग रही है। बीते कल मैं इण्डिया टुडे का एक अंक पढ रहा था। उस अंक में निति”ा कुमार ने बडे मारमिक ढंग से बिहार की व्याख्या की है। मैं पूरे दे”ा का भ्रमण कर चुका हूं, बिहार को जिय तरीके से नजरअंदाज किया गया है वह एक अध्यन का वि’ाय हो सकता है। उत्तर प्रदे”ा की राजनीतिक ताकत सर्वदा से अधिक रही है। वहां राजनीतिक ताकत के कारण विकास होता रहा। उत्तर प्रदे”ा से ही ज्यादातर प्रधानमंत्री बने लेकिन स्वतंत्रता के बाद बिहार के साथ तो लगातार अन्याय होता रहा है। पंजाब के विकास में केन्द्र सरकार की भूमिका आप देखें। गुजरात और महारा’ट्र के विकास में केन्द्र भूमिका देखें, इन प्रांतों में केन्द्र ने विकास के लिए काफी कुछ किया है लेकिन बिहार में ऐसा कुछ भी देखने को नहीं मिलता है। न तो बढिया कालेज बनाया गया और न ही कोई आर्थिक केन्द्र खोले गये। हां संयुक्त बिहार में कुछ उद्योग लगाये गये जो मजबूरी में खडा कर दिया गया। जिस प्रदे”ाों में विकास दिखता है वहां बिना संसाधन के विकास को प्रोत्साहन मिला है। बिहार में ऐसा नहीं हुआ। कांग्रेस के “ाासन काल में डाॅ0 श्रीकृष्ण सिंह के बाद सत्ता कभी स्थाई नहीं रही। इसके पीछे भी गहरी साजि”ा है। जिसके कारण बिहार को जबारदस्त हानि हुई। स्वतंत्रता के बाद बिहार में दूरदृ’िट वाला नेता बहुत कम पैदा हुआ। इसका लाभ केन्द्र को मिलता रहा है। आज दे”ा में बिहारी शब्द गाली का प्रयाय हो गया है। हो सकता है मुम्बई में जाकर बिहारी भी गुंडागर्दी करते होंगे लेकिन अन्य प्रांतों के लोग भी तो वहां गुंडे हैं। लोग केवल बिहारियों को ही टरगेट क्यों करते हैं?बिहारी गरीब होता है लेकिन बेइमान नहीं हो सकता। मैने अपनी आंखों से देखा है बिहारियों को मेहनत करते हुए। पहाड हो या मैदान, गर्म प्रदे”ा हो या बर्फ वाला क्षेत्र बिहारी कही भी कामा कर खा रहा है। दिल्ली, मुम्बई की अट्टालिकाओं के निर्माण में काम करने वाले मजदूरों को देखे, जहां भी इमानदारी से काम करता हुआ कोई दिखेगा उसमें आपको बिहारियों की छावि दखेगी। हालांकि मैं पूछता नहीं हूं लेकिन जब कभी भी परिचय का मौका मिलता है तो वहां ज्यादातर बिहारी ही होता है। बिहारी निःसंदेह मेहनती होता है फिर भी पंजाब हो या असम, मुम्बई हो या दिल्ली हर जगह बिहारियों को ही टरगेट क्यों किया जा रहा है। यह दे”ा के लिए खतरनाक है। बिहारियों में अभी तक पृथक्तावाद की प्रवृति का विकास नहीं हुआ है। बिहारी पूरे भारत को अपनी जी जमीन मानता है जिस दिन बिहारियों को यह लग जायेगा कि “ा’ा भारत से उसका कोई संबंध नहीं उसी दिन दे”ा की कोई ताकत इस दे”ा को एक नहीं रख सकता। बिहार में बडी ताकत है, बिहारी जीवट वाले होते हैं, बिहारी गरीब है लेकिन बिहारी एक समझदार जाति है। दे”ा बिहारियों को उकसाये नहीं और केन्द्र बिहार को बिना किसी “ार्त पर विकास में सहयोग करे नहीं ंतो बिहारी तो सम्भल जाएंगे पर दे”ा नहीं सम्भल पायेगा। जो लोग यह कहते हैं कि बिहार के पास संसाधनों की कमी है वे गलत हैं। संसाधन मानव के द्वारा विकसित किया जाता है। बिहार के पास अपार मानव “ाक्ति है। उसी मानव शक्ति के द्वारा बिहारियों ने ज्ञात दुनिया पर सबसे लंबे समय तक “ाासन किया है। आज भी दुनिया के अधिकतर भूभाग पर बिहार का चिंतन जीवित है। दे”ा को सम्भालना है तो दे”ा को बिहारियों के प्रति नजरिया बदलना होगा अन्यथा .................................................?

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