तो मुस्लिम नेता खुद के कौम का बुरा कर रहे हैं

मित्रों,
मेरे वरिष्ट मित्र हैं सम्माननीय लक्ष्मी नारायण भाला जी। बडी मार्मिक बात उन्होंने बताई है। हालांकि उनको भी किसी दूसरे सज्जन ने ही मेल किया है लेकिन जो बात उनके द्वारा कही गयी है वह सचमुच इस देष के लिए घातक है। आन्ध्र प्रदेष का कोई विधायक है जिसने वहां हाने वाले हिन्दू धार्मिक आयोजनों पर प्रतिबंध के लिए सरकार पर दबाव बनाया है। मैं खुद हिन्दुओं की पवित्र भूमि भेट द्वारका जा कर आया हूं। बडी तेजी से भेट द्वीप मुस्लिम अतिक्रमणकारियों की भेंट चढ रहा है। कष्मीर में हिन्दू आयोजनों पर मुस्लिम पत्थर सैनिकों ने उत्पात मचा रखा है। मुझे तो तब आष्चर्य हुए जब एक दिन एक हिन्दू ऑटो चालक ने अपनी मार्मिक बात बताई। चंडीगढ के बुडैल स्थित मस्जिद के पास वह सुवह में अपाना ऑटो की सफाई किया करता है। सुबह सवेरे मन की पवित्रतता के लिए वह धार्मिक भजन लगा दिया करता था, एक दिन उस मस्जिद के मौलवी ने उसे मना कर दिया और कहा कि अगर वह ऐसा करेगा तो उसको यहां से भगा दिया जायेगा। हालांकि वह आज भी वही ऑटो लगाता है और भजन भी सुनता है लेकिन जिस देष में धर्मनिर्पेक्षता की बात की जाती है उस देष में यह क्या हो रहा है। लोग मात्र गुजरात को याद करते हैं लेकिन इस देष में जो प्रत्येक दिन एक नये इस्लामिस्तान की रूप रेखा विस्तार पा रही है उसका क्या होगा। याद रहे जब तक इस देष में हिन्दुओं की संख्या ज्यादा है तभी तक यह देष धर्मनिर्पेक्ष है जिस दिन इस देष में मुस्लिम या ईसाइयों की संख्या बढ जायेगी उसी दिन यह देष उक्त संख्या वाले पंथ का गुलाम हो जायेगा। बिहार के मुख्यमंत्री नितिष कुमार ने विगत दिनों बडी गंभीर बात कही कि लक्षित हिंषा कानून की रूप रेखा को पढने से ऐसा लगता है कि इस देष का बहुसंख्यक ही दंगा फैलाता है लेकिन बात ऐसी भी नहीं है। इसके कई उदाहरण है कि अल्पसंख्यकों की जिद्द के कारण दंगा हुआ है। सबसे हालिया उदाहरण तो उत्तर प्रदेष का है जो कांग्रेस मुस्लमानों के साथ मिलकर गाय का मांष तक खाने को तैयार हो गयी उस कांग्रेस को मुस्लमानों ने सिरे से नकार दिया। अब इस देष के राजनेताओं को देष का विचार करने की जरूरत है। जो कथित मुस्लिम नेता अनरगल बयानबाजी कर रहे हैं और अपने कर्मों से बहुसंख्यक जनता को धमकाने की कोषिष कर रहे हैं वे याद रखें इस देष में सबक उनको भी सिखा दिया जायेगा। जब गजनी और औरंगजेब को यह देष पानी पिला दिया तो फिर वे विधायक किस गली के मूली हैं। ऐसा करके वे अपने ही कौम को घाटा पहुंचा रहे हैं। उनका कौम दुनिया भर के टारगेट में है। हिन्दू किसी का अहित नहीं कर सकता। इसीलिए अब पाकिस्तान को भी समझ मे आ रहा है कि भारत से दोस्ती में ही उसका भला है। मैं तो उस विधायक का नाम भी लेना पसंद नहीं करता जिसके बारे में मान्यवर भाला जी ने लिखा है। उक्त विधायक साबधानी से वे काम लें हिन्दू उनके लिए हितकर होगा अन्यथा अपने कौम का तो वे बंडाधार कर ही रहे हैं।

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