दिल्ली के दंगे को ही नहीं देखिए जरा अन्य सामाजिक सौहार्द पर भी नजर-ए-इनायत करिए जनाव

रजनी राणा 

जनाव आप दिल्ली के दंगे को देख रहे होंगे और म नही मन यह कह रहे होंगे कि सचमुच इस देश का धार्मिक ताना-बाना अब खत्म हो चुका है। तो मैं ऐसा नहीं मानती हूं। हमारे पास कुछ उदाहरण हैं, जो साबित करता है कि चंद घटनाओं से इस देश की विरासत खंडित नहीं हो सकती है। हमें ऐसे बहुत सारे उदाहरण मिले हैं लेकिन उन तमाम उदाहरणों को मैं यहां व्यक्त नहीं कर सकती। कुछ उदाहरणों को लेकर आपके पास आयी हूं। पेश भारत की गंगा-जमुनी तहजीब की वो मिसाालें जो साबित करती है कि हमारे देश में धर्म से उपर मानवत का डंका बोलता है। 

मसलन....................!

नागरिकता संशंसोधन अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश में एक मुस्लिम युवक ने यूपी पुलिस के घायल सिपाही की जान बचाई थी। दरअसल, नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी सीसीए के विरोध में हुए प्रदर्शन के दौरान फिरोजाबाद में उग्र भीड़ द्वारा घिर जाने के बावजूद हाजी कादिर साहब खुद को बचाने के बजाए फिरोजाबाद पुलिस के एक घायल सिपाही को बचाने के लिए अपना सबकुछ दाव पर लगा दिया। बाद में उन्होंने घायल सिपाही को नजदीक के पुलिस थाने में सुरक्षित पहुंचाया और कहा कि घायल मनुष्य को बचाना हमारे लिए यह मरा धर्म भी और कर्तव्य भी। उन्होंने कहा कि यह तो मानवता के लिए किया गया काम है। 

यही नहीं तेलंगाना के मुसलमानों द्वारा पेश किया गया मानवता और सद्भाना का बेहतर और अद्भुद उदाहरण भी मरे पास है। चुनांचे 12 सितंबर 2018 को कोंडागट्टू अंजनेय मंदिर, जिला जगतयाल, तेलंगाना आने वाले श्रद्धालु जब पहाड़ी से जगतयाल की तरफ लौट रहे थे तो एक सड़क दुर्घटना हुई। इस दुर्घटना में 62 लोगों ने जान गवाई। इस दुर्घना में 20 श्रद्धालु बुरी तरह घायल हो गए थे। दुर्घटना में घायल श्रद्धालुओं की सहायता के लिए आजाद अमन यूथ संस्था आगे आया। यह संस्था पूर्ण रूपेण मुस्लिम युवकों की संस्था है। इनका एम मात्र धेय मानवता की रक्षा और सुरक्षा है। इस संस्था के नौजवानों ने त्वरित कार्रवाई करते हुए घटना स्थल पर पहुंचे और सेवा का कार्य प्रारंभ कर दिया। घायलों को अस्पताल पहुंचाना और मृतकों को उनके परिजनों को ससम्मान हस्तगत करने का काम यूथ संस्था के मुस्लिम नौजवानों ने किया। यह सामाजिक और धार्मिक सौहार्द के कारण ही संभव हो पाया। 

सन् 2015-16 में पंजाब के मोगा जिले में, जालंधर-बरनाला राजमार्ग पर स्थित माछिके गांव में मौजूद एक मस्जिद के बीच में आने के कारण उस राजमार्ग के चैड़ा करने में कठिनाई आ रही थी। जिसके एवज में स्थानीय मुसलमानों को लाखों रूपये का मुआवजा भी प्राप्त हुआ था लेकिन मस्जिद बनाने के लिए स्थानीय मुसलमानों को मुकम्मल जमीन नहीं मिल रही थी। ऐसे में गांव के ही दो सिख सामने आए और मस्जिद बनाने के लिए जमीन देने को तैयार हो गए। ये दोनों सिख-दर्शन सिंह और नछतर सिंह ने मुस्लिम समुदय को नई मस्जिद बनाने के लिए दान में जमीन दे दी। यह सामाजिक और धार्मिक सदभाव का उतकृष्ट उदाहरण है। 

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