विकास के लिए परिवार नियोजन पर उचित ध्यान देने की जरूरत

हसन जमालपुरी 

प्रचलित धारणा के विपरीत कि परिवार नियोजन की बातों के तरफ इस्लाम में मनाही है, सामान्य तौर पर देखा गया है की वास्तव में कई मुस्लिम, विशेष रूप से शिक्षित व्यक्ति परिवार नियोजन की तरफ ध्यान देते है और बच्चों का स्वागत अल्लाह की ओर से उपहार के रूप में करते है तथा गर्भनिरोधक उपायों के उपयोग के माध्यम से अपने परिवार की योजना बनाना पसंद करते हैं। इस्लाम में ऐसा कुछ भी नहीं है। दुनिया के बड़े-बड़े इस्लामिक कंट्री में जनसंख्या नियंत्रण पर कई प्रयोग हो रहे हैं। मिस्र, तुर्की, इंडोनेशिया, ईरान, जॉर्डन, पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे कई मुस्लिम देशों में परिवार नियोजन की बातें अपनी जड़ें जमा चुकी है। भारत में भी शिक्षित मुसलमानों के बीच यह प्ररिपाटी प्रारंभ हो गयी है लेकिन इसे मास लेवल पर एक आन्दोलन की तरह चलाने की जरूरत है। उक्त देश अपने लोगों को जीवन की गुणवत्ता प्रदान करने में गंभीर हैं तथा  वहा रह रही महिलाओं के सौंदर्य और स्वास्थ्य के संरक्षण के साथ साथ कई बच्चों के पालन पोषण में होने वाली वित्तीय भावनात्मक या मनोवैज्ञानिक कठिनाइयों से छुटकारा पाने में मदद करते हैं।

जहां तक पवित्र कुरान का संबंध है, यह विशेष रूप से परिवार नियोजन का उल्लेख नहीं करता है लेकिन कन्या भ्रूण हत्या से मना करने वाले आयतों में कुरान मुसलमानों को चेतावनी देता है। अपने बच्चों को इच्छा के डर से मत मारो। अल्लाह उनके लिए और आपके लिए सब कुछ प्रदान करते हैं। (6: 151, 17:31)। कुछ मुसलमान, विशेष रूप से रूढ़िवादी लोग इसे गर्भनिरोधक के खिलाफ निषेध के रूप में व्याख्या करते हैं, जो व्यापक रूप से स्वीकार नहीं किया गया है। क्योंकि पैगंबर मोहम्मद के जीवनकाल के दौरान जन्म नियंत्रण के कुछ शुरूआती रूपों का अभ्यास किया गया था। उन्होंने उन पर आपत्ति नहीं जताई क्योंकि जन्म नियंत्रण के इन रूपों ने परिवार और माताओं के स्वास्थ्य को लाभ पहुंचता है।

इस्लामी विश्व के कई देशों ने जन्म नियंत्रण में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त की है और इसके पीछे मुख्य कारण इन देशों का व्यापक विकास है। भारत में गरीबी, अशिक्षा, असुरक्षा और जन्म नियंत्रण कार्यक्रमों की अप्राप्यता, मुस्लिम समुदाय में विशाल जनसंख्या वृद्धि के कारण माने जाते है। धार्मिक विद्वानों और समुदाय के मौलवियों का दायित्व है कि वे भारत में मुस्लिम जनता के बीच परिवार नियोजन की पहल को बढ़ावा दें और इसकी तुलना अन्य उन्नत मुस्लिम देशों से करें। मैं समझता हूं यह इस देश के इस प्रकार की पहल खुद अपने समुदाय की ओर से हो। इससे देश और समुदाय दोनों को लाभ पहुंचेगा। 

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