प्रधानमंत्री मोदी के द्वारा किये गये कुछ सराहनीय प्रयास

गौतम चौधरी
विगत दिनों मैं देहरादून के प्रवास पर था। प्रवास के दौरान स्वाभाविक रूप से उत्तराखंड सूचना एवं लोकसंपर्क विभाग के मीडिया सेंटर भी गया। जाता क्यों नहीं, किसी समय वहां मैं रेगुलर बैठा करता था। ऐसे तो वहां मेरे कई मित्र हैं लेकिन जब कभी भी देहरादून जाता हूं तो विरेन्द्र जी के साथ गंभीर चर्चा हो जाती है। विरेन्द्र जी पुरविया हैं यानि लखनऊ से पूरव के रहने वाले हैं इसलिए उनकी मेरे प्रति आत्मीयता ज्यादा है। आजकल उनके पास प्रधानमंत्री के मासिक प्रदेश सचिव स्तर की वर्ता समायोजन की जिम्मेवारी है। चर्चाओं के दौरान कई बात निकल कर आई। विरेन्द्र जी कहने लगे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का प्रदेश के प्रमुख सचिव स्तर की वार्ता बेहद प्रशावशाली साबित हो रही है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नौकरशाहों से काम लेने में माहिर हैं। विरेन्द्र जी का मानना है कि केवल उत्तराखंड की बात नहीं है। सभी प्रांतों के मुख्य सचिव पूरी तैयारी के साथ प्रधानमंत्री जी के साथ वार्ता में भाग ले रहे हैं। मुङो ऐसा लगता है कि जब प्रदेश के मुख्य सचिवों के साथ प्रधानमंत्री वर्ता कर रहे होते हैं तो वे भी पूरी तैयारी के साथ आते हैं। यह कोई साधारण बात नहीं है। इसलिए आलोचना करने वालों के मुंह पर ताला नहीं लगाया जा सकता लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने जो प्रदेश के प्रमुख सचिवों के साथ वार्ता का कार्यक्रम प्रारंभ किया है, उसका दूरगामी प्रभाव पड़ने वाला है। विरेन्द्र जी के इस बात कितना दम है पता नहीं लेकिन जब मैं पंजाब और हरियाणा के नौकरशाही समाज में इस बात की चर्चा की तो लोगों ने यही बताया कि नरेन्द्र मोदी को अधिकारियों से काम लेने आता है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा प्रारंभ किये गये इस कार्यक्रम की आलोचना करने वाले यह कह रहे हैं कि इससे देश का संघीय ढंचा कमजोर होगा और देश लोकतंत्रत्मक अधिनायकवाद की ओर बढ़ेगा लेकिन इस कार्यक्रम के कारण प्रदेश के नौकरशाही संस्कृति में परिवर्तन जो देखा जा रहा है उसे सकारात्मक तरीके से देखा जाना चाहिए।
विगत दिनों मैं गांधीनगर के प्रवास पर भी गया था। वहां मेरे एक वरिष्ठ मित्र रहते हैं। प्रवास के दौरान उनसे मुलाकात हुई। किसी जमाने में गुजरात सरकार के अंग रहे और तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र भाई के घुर आलोचक रहे उक्त अधिकारी ने बताया कि नरेन्द्र भाई ने इन दिनों एक अभिनव कार्यक्रम अपने हाथ में दिया है। उन्होंने बताया अभी हाल में केन्द्र में तैनात सभी प्रशासनिक अधिकारियों को प्रधानमंत्री ने एक टास्क दिया और कहा कि वे अपने प्रथम नियुक्ति वाले स्थान पर जाएं। वहां जाकर वे उनके पोस्टिंग के समय की स्थिति का वर्तमान समय के साथ मूल्याकण करें और एक रिपोर्ट बनाकर प्रधानमंत्री कार्यालय को दें। उक्त अधिकारी ने कहा कि इस कार्यक्रम का भी दूरगामी प्रभाव पड़ने वाला है।
प्रधानमंत्री ने तीसरा जो सबसे महत्वपूर्ण कार्य प्रारंभ किया है वह है राज्यों में निवेश का माहौल बनाना। इसके लिए राज्य से संबंधित विभिन्न देशों में तैनात राजदूतों को यह कहा गया कि वे अपना-अपना राज्य चयन करें और उस राज्य में जाकर निवेश की संभावना तलाशें तथा वे जिस देश में राजदूत हैं, वहां जाकर उस राज्य में निवेश करने के लिए वहां के निवेशकों से बात करें। कुल मिलाकर उस राज्य में निवेश का माहौल बनाएं। प्रधानमंत्री का यह भी कार्यक्रम व्यापक फायदा पहुंचाने वाला साबित होगा ऐसी उम्मीद जताई जा रही है।
इसके बाद नरेन्द्र मोदी की उस चिंतन की भी सराहना की जा रही है जिसमें उन्होंने सरकारी समाचार माध्यमों को प्रमोट करने की कोशिश की है। अब वे प्रसार भारती को ही अपने कार्यक्रम की जानकारी देते हैं। उन्होंने निजी समाचार माध्यमों को अपने बयान आदि देना बंद कर दिये हैं। इस संदर्भ में चंडीगढ़ दूरदर्शन से जुड़े एक अधिकारी का कहना है कि केवल योग दिवस पर होने वाले चंडीगढ़ के कार्यक्रम से ही स्थानीय केन्द्र को दो करोड़ रुपये का फायदा हुआ है। मोदी के इस योजना के कारण दूरदर्शन और आकाशवाणी, जो कल तक घाटे में चल रहा था, अब कई गुणा फायदे में है। इस प्रकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी में कई प्रकार की खामियां हो सकती है। उनके चिंतन और कार्यपद्धति से मैं व्यक्तिगत रूप से असहमत हूं लेकिन उनके द्वारा किये जा रहे कुछ सराहनीय प्रयास की सार्वजनिक चर्चा भी होनी चाहिए और उस प्रयास का समर्थन भी किया जाना चाहिए। नरेन्द्र भाई शुरू से कुछ बढ़िया और बड़ा करने की योजना में रहे हैं। कोई भी काम बढ़िया ही होना चाहिए। इसलिए कभी-कभी नरेन्द्र भाई की योजना फ्लाप भी होता रहा है। वे जब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तो उनके द्वारा किये गये कार्य और लिए गये निर्णय में कई प्रकार की खामी देखी गयी है लेकिन इससे नरेन्द्र भाई के नियत पर शक नहीं किया जा सकता है। मैं समझता हूं कि नरेन्द्र भाई के इस पक्ष को यदि सराहना नहीं मिली तो उनके व्यक्तित्व के साथ अन्याय होगा और आलोचना की गरिमा खंडित होगी। यथा मैं समझता हूं इन बिन्दुओं पर भी चर्चा होनी चाहिए।

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