नरेन्द्र मोदी की राजनीतिक विकास यात्रा चंडीगढ से होकर निकलती है-धर्मपाल गुप्ता

गुजरात के मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के नवनियुक्त केन्द्रीय चुनाव समिति अध्यक्ष नरेन्द्र मोदी के वास्तविक विकास का रास्ता चंडीगढ से प्रारंभ होता है। उन दिनों मोदी भारतीय जनता पार्टी के अखिल भारतीय महामंत्री संगठन हुआ करते थे। केन्द्र उनका दिल्ली से बदलकर चंडीगढ कर दिया गया था और उनके जिम्मे हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा तथा चंडीगढ संघ राज्य का प्रभार सौंपा गया। भाजपा के वरिष्ठ नेता और चंडीगढ प्रदेश भाजपा की चार सालों तक प्रधानी सम्हालने वाले धर्मपाल गुप्ता उन दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि नरेन्द्र मोदी जी की कार्य कुशलता, संगठन प्रबंधन और राजनीतिक सूझ-बूझ के कारण संगठन के इन चार राज्यों में व्यापक परिवर्तन देखने को मिला, जो निहायत सकारात्मक था। धर्मपाल गुप्ता के अनुसार नरेन्द्र भाई सन् 1996 में चंडीगढ आए थे। वे पचकूला में रहते थे और विशेष रूप से उत्तर क्षेत्र के चार प्रांतों के संगठन को देख रहे थे। विगत दिनों किसी मित्र के यहां धर्मपाल जी से मुलाकात हो गयी। मोदी पर चर्चा निकल आयी और वे मोदी के व्यक्तित्व पर चर्चा करने लगे। यह कोई औपचारिक साक्षात्कार नहीं है, न ही किसी खास तैयारी से लिया गया बयान है, सामान्य माहौल में आॅफ द रिकार्ड पर आधारित यह साक्षात्कार है जिसे मैं बिना किसी लाग-लपेट के सार्वजनिक कर रहा हूं। तो आईए नरेन्द्र भाई के व्यक्तित्व के कई पहलुओं की मिमांशा धर्मपाल जी के मुख से ही सुने लेते हैं।
प्रश्न - धर्मपाल जी नरेन्द्र भाई का चंडीगढ कब आना हुआ और वे कब यहां से चले गये?
धर्मपाल गुप्ता - ‘‘देखिए गौतम जी बहुत पुरानी बात है, मुझे लगता है कि मोदी जी चंडीगढ सन् 1996 में चंडीगढ आए थे। क्योंकि मुझे सन् 1997 में चंडीगढ भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। मैं दो दफा चंडीगढ का प्रधान रह चुका हूं। उन दिनों अध्यक्ष का कार्यकाल दो वर्षों का हुआ करता था। मैं 1997 से लेकर सन् 2001 तक चंडीगढ प्रदेश भाजपा का अध्यक्ष रहा। सन् 2001 के जून-जुलाई में मोदी जी चंडीगढ छोड दिये। उन दिनों गुजरात में बडा उथल-पुथल चल रहा था। यहां से जाते ही उन्हें गुजरात की कमान सौंपे जाने की योजना बन गयी और वे सन् 2002 में गुजरात के मुख्यमंत्री बनाए गये। तो मुझे जहां तक याद है मोदी जी चंडीगढ में सन् 1996 से लेकर 2001 तक लगातार रहे।‘‘
प्रश्न - धर्मपाल जी मोदी जी के कार्यकाल में कितने चुनाव चंडीगढ में हुए, कितने चुनाव जीते और कितने चुनाव हारे?
धर्मपाल गुप्ता - ‘‘बडा रोचक प्रश्न किया है आपने, चुनाव पर विवेचना प्रस्तुत करने से पहले आपको एक बात बताना चाहता हूं, संजीदगी से सुनिएगा। उन दिनों चंडीगढ प्रदेश में बडे-बडे राजनीतिक क्षत्रप हुआ करते थे। मैं सोच भी नहीं सकता था कि मुझे प्रदेश का अध्यक्ष बनाया जाएगा, एक दिन सुवह-सुवह मेरे घर पर तत्कालीन भाजपा के केन्द्रीय संगठन महामंत्री नरेन्द्र मोदी जी पधारे और कहने लगे धर्मपाल जी आपको चंडीगढ की प्रधानी सम्भालनी होगी, समय की यही मांग है। मैं स्तब्ध रह गया। मै उन दिनों चंडीगढ प्रदेश का कोशाध्यक्ष था। मैंने कहा नरेन्द्र भई इतनी बडी जिम्मेबारी! उन्होंने कहा सब ठीक हो जाएगा। मैं अध्यक्ष बना, चंगीगढ काॅरपोरेशन में 13 सीटों पर भाजपा जीती। दो सीट हमारे सहयोगी दल अकाली दल को मिला। हमलोगों ने संयुक्त रूप से अपना महापौर बनाया। उसके बाद जीत का सिलसिला जारी रहा। मार्केट कमेटी, पंचायत समिति, जिला परिषद्, हर कही भाजपा के जीत का झंडा फहराता रहा। फिर सन् 1998 का लाकसभा चुनाव आया, उस चुनाव में भी महारी पार्टी चंडीगढ से जीत गयी। उससे पहले सन् 1996 की लोकसभा भी हमारी पार्टी जीती थी। मोदी जी के कार्यकाल में सन् 1999 का लोकसभा हमलोग हार गये, लेकिन आपको बता दूं कि हमारी पार्टी को जितना मत मिला उतना मत आजतक किसी दल को प्रप्त नहीं हुआ। हमारी पार्टी के प्रत्याशी मान्यवर श्रधेय कृष्णलाल शर्मा जी महज चंद मतों से हार गये थे। पुरानी बातों को याद नहीं करना चाहता हूं, लेकिन वह हार हमारी हार नहीं थी, उसे मैं अपनी पार्टी की जीत ही मानता हूं।
बीच में बात को रोकते हुए मैंने पूछ लिया उन चुनावों में मोदी जी की कोई भूमिका?
धर्मपाल जी एकदम से उतेजित हो गये, कहने लगे - ‘‘उन दिनों हमारी सफलता की कुंजी एकमात्र नरेन्द्र भाई हुआ करते थे। हमने उन दिनों की सारी लडाइयां नरेन्द्र भाई के नेतृत्व में ही लडी और सफलता प्रप्त किया।‘‘

प्रश्न - इसके पीछे नरेन्द्र भाई के किन किन गुणों को आप जिम्मेबार मानते हैं?
धर्मपाल गुप्ता - ‘‘संक्षिप्त और कम शब्दों में कहा जाये तो नरेन्द्र भाई एक कुशल राजनीतिक प्रबंधक हैं। उन्हें लोकतांत्रिक राजनीति का प्रबंधन मालूम है। कार्यकर्ताओं की पहचान है और उसकी भूमिका तय करने में वे पूर्वाग्रह से ग्रस्त नहीं होते, न ही वे किसी की सुनते हैं। नरेन्द्र भाई की निर्णय क्षमता अद्वीतिय है। मैंने अपनी आंखों से देखा है उन्हें, वे 16 घंटों तक काम करते हैं। सुवह साढे पांच बजे से छ के बीच आप उनके निवास पर जाते वे आपको तैयार मिलते। रात को दो-दो बजे तक बैठक लेते थे। पहले आम कार्यकर्ताओं की, फिर प्रमुख कार्यकत्र्ताओं की और सबसे अंत में चुने हुए टीम के कार्यकत्र्ताओं की बैठक लेने के बाद ही वे आराम करने जाते थे। नरेन्द्र भाई में सभी को लेकर चलने का गुण है। वे किसी को काटना, छाटना नहीं चाहते थे। उनकी सफलता के पीछे का सबसे बडा कानण मेरी दृष्टि में यही है। कार्यकर्त्ता को देखकर, परख कर उसको दायित्व देते थे। जिसे दायित्व देते उसके साथ सदा खडे रहते थे। मैंने अनुभव किया कि मोदी जी कभी अपने को बडा बनाने की कोशिश नहीं की। वे हर समय हमारे बीच के लगते थे। मोदी जी का दृष्टिकोण बडा साफ था। वैचारिक प्रतिबद्धता और सपाट सोच उनके व्यक्तित्व को ज्यादा निखारता है। कोई लाग-लपेट बाली बात नहीं। मजाक भी करते थे तो उसका स्तर व्यापक होता था और कही न कही उसमें राजनीति सूझ-बूझ दिखती थी। चंडीगढ में रहते हुए उन्होंने न तो अपना कोई गुट खडा किया और न ही किसी गुट में शामिल हुए। सदा पार्टी हित के लिए काम करते रहे। विचारधारा को आधार बनाकर पार्टी को मजबूत बनाने में उनकी भूमिका सराहनीय रही।‘‘
प्रश्न - धर्मपाल जी, मोदी जी जैसा व्यक्तित्व कभी कभी प्रतिक्रिया में बन कर खडा होता है। उपर से तो वह नहीं दिखता लेकिन वह प्रतिक्रिया समय समय पर दिखती है। जैसे उदाहरण के लिए हिटलर का व्यक्तित्व आपके सामने है। जिसके कारण जर्मनी को कई प्रकार की परेशानियों से गुजरना पडा था। आपको कभी लगा कि मोदी जी किसी प्रकार की प्रतिक्रिया की उपज हैं?
धर्मपाल गुप्ता - ‘‘एकदम नहीं, कम से कम मुझे तो ऐसा कभी नहीं लगा। उनका कहना साफ था। जो इस देश की माटी-पानी को अपना मानता है, वह इस राष्ट्र का सच्चा सपूत है। जो लोग ऐसा नहीं मानते हैं, वे समय से साथ अपनी सोच बदल लेंगे। इसके लिए किसी व्यापक अभियान की जरूरत नहीं है। भारत की माटी पानी में इतनी ताकत है कि वह अपने अनुकूल लोगों को ढाल लेता है। कभी-कभी इस प्रकार की चर्चा में मोदी जी कहते थे कि कई बरबर जातियां भारत में आयी और अपना अस्तित्व भारतीय संस्कृति में विलीन कर दी। आज उसका कही पता तक नहीं है। इसलिए हमारे लिए सबसे बडी चुनौती हमारी राजनीतिक इच्छा शक्ति का आभाव है। हमारे लोग अपनी प्रतिभाओं का सही ढंग से उपयोग करें। देश दुनिया के अन्य देशो से आगे निकल जाएग। राजनीतिक नेतृत्व का काम बिना किसी पूर्वाग्रह के प्रतिभाओं को आगे बढने में सहयोग करना है। मुझे लगता है कि ऐसा विचार किसी प्रतिक्रियावादी व्यक्तित्व में नहीं पनप सकता है।‘‘
प्रश्न - लगभग चार सालों तक आप नरेन्द्र भाई के राजनीतिक दोस्त रहे। उन्होंने कभी आपके व्यक्तिगत जीवन में ताक-झांक किया या फिर कोई सलाह दी?
धर्मपाल गुप्ता - ‘‘मेरे व्यक्तिगत जीवन में उन्होंने कभी झाकने की कोशिश नहीं की। मेरा उनके साथ राजनीतिक संबंध था। हां, जाते-जाते उन्होंने मुझसे एक बात जरूर कही थी कि धर्मपाल जी राजनीति को कभी व्यापार मत बनना। जिस दिन राजनीति को व्यापार बनाओगे उसी दिन न तो राजनीति बचेगी और न ही आप बचोगे। मैंने अपने राजनीतिक जीवन में इस मंत्र को जपता रहा हूं। मेरे व्यक्तित्व पर नरेन्द्र भाई का व्यापक असर है। मैं उतना बडा तो नहीं बन पाया, लेकिन जो थोडी बहुत राजनीतिक सफलता मुझे मिली है वह नरेन्द्र भाई की देन है। उनके संगठन कौशल से मैं प्रभावित हूं। उनके राजनीतिक प्रबंधन से मैं अभिभूत हूं। मेरी अपार शुभकामना मोदी जी के साथ है। वे भारत के प्रधानमंत्री बने इससे देश को लाभ होगा। इससे मैं आडवाणी जी का विरोधी नहीं हो जाता हूं। आडवाणी जी भी अच्छे हैं, लेकिन अब समय मोदी जी का है। देश को मोदी जैसे क्षमतावान, कुशल प्रबंधक, निर्णय लेने में प्रवीण एक राजनीतिक योद्धा की जरूरत है। इस मामले में भाजपा ने जो निर्णय लिया है वह तारीफ के लायक है।‘‘

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