दक्षिण एशिया के विकास में अहम भूमिका निभा रहा है भारत-बांग्लादेश दोस्ती



गौतम चौधरी

भारत हमेशा से अपने सभी पड़ोसियों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध और सह अस्तित्व के सिद्धांत में विश्वास करता रहा है। हालांकि, हर किसी को खुश करना संभव नहीं है, खासकर तब जब पड़ोसी (पाकिस्तान) की रुचि अनैतिक और असामाजिक कार्यों में हो। पड़ोस में बसने वाले देशों में पाकिस्तान और चीन को छोड़ अन्य सभी के साथ बेहद मधुर संबंध हैं। खासकर बांग्लादेश उन पड़ोसी देशों में से है, जिसका संबंध अस्तित्व में आने के बाद से ही मधुर रहा है। हालांकि भारत के साथ बांग्लादेश का छोटा-मोटा विवाद भी चलता रहता है लेकिन दोनों देश के कूटनीतिक संबंध इतने बेहतर हैं कि उन विवादों का द्विपक्षीय संबंध पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

बांग्लादेश और भारत समय-समय पर सामाजिक, सांस्कृतिक, सभ्यता और आर्थिक लिंक एक दूसरे के साथ साझा करते हैं। जानकारी में रहे कि बांग्लादेशी स्वतंत्रता संघर्ष को भारत ने समर्थन दिया था। यही नहीं भारत पहला देश था जिसने 1971 में बांग्लादेश को मान्यता दी और उसके साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित किए। तब से बांग्लादेश, भारत को एक दोस्त, रक्षक और बाजार के रूप में देखता रहा है। बांग्लादेश के साथ बहुआयामी संबंधों का विकास बातचीत के कई स्तरों पर हुआ है। भारत, बांग्लादेशी छात्रों को छात्रवृत्ति देने के अलावा, हर साल बांग्लादेशी छात्रों को लगभग आधा मिलियन वीजा प्रदान कर रहा है।

दोनों देशों के बीच गंगा नदी सहित लगभग 54 नदियों का समझौता हो रखा है। इस समझौते के तहत दोनों देश इन तमाम नदियों का जल एम-दूसरे के साथ साझा करते हैं। आर्थिक मोर्चे पर, बांग्लादेश दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। 2009-10 और 2015-16 के बीच भारत-बांग्लादेश के बीच बड़े पैमाने पर व्यापार में वृद्धि हुई, यह व्यापार भारत की ओर झुका रहा। भारत से बांग्लादेश के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 3.11 बिलियन डॉलर का है। भारत, बांग्लादेश के साथ 4096.7 किलोमीटर भूमि सीमा साझा करता है जो सभी पड़ोसी देशों की तुलना में ज्यादा है। सुरक्षा की दृष्टि से देखें तो, नौसेना और सेना के विभिन्न संयुक्त अभ्यास दोनों देशों के बीच होते रहते हैं। वर्तमान में बांग्लादेश, भारत से 1160 मेगावाट बिजली आयात करता है। हाल ही में, बांग्लादेश और भारत ने सात समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं और अपनी भागीदारी को मजबूत बनाने के लिए तीन परियोजनाओं का उदघाटन भी किया है।

सच पूछें तो बांग्लादेश, एशिया क्षेत्र में भारत का एकमात्र भरोसेमंद साझेदार है और दोनों देशों के बीच संबंध धीरे-धीरे और प्रगाढ़ हो रहा है। भारत हमेशा बाढ़ और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए बांग्लादेश की सहायता करता आया है। भारत हर वक्त बांग्लादेश को तकनीकी और आर्थिक सहायता प्रदान करने में तत्पर रहता है। कोलकाता-खुलना और ढाका-कोलकाता मार्ग पर ट्रेन सेवाएं अच्छी तरह से चल रही हैं, जबकि अगरतला-अखौरा मार्ग पर काम बहुत तेजी से चल रहा है। बांग्लादेश, भारत के स्वास्थ्य, पर्यटन राजस्व में 50 प्रतिशत का भागीदार है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजिद की 2010 की पहली भारत यात्रा के बाद से संबंधों में और ज्यादा प्रगति हुई है। दोनों देशों के कूटनीतिकों का लगातार प्रवास हो रहा है। 

कई उच्च स्तरीय यात्राओं की श्रृंखला प्रारंभ हुई है। इसी श्रृंखला में शेख हसीना 2017 और 2019 में भी भारत की यात्रा की और कई समझौंतों पर हस्ताक्षर किए। शेख हसीना की यात्राओं में से 2010, 2011, 2015, 2017, 2019 की यात्रा बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसके साथ ही शेख हसीना की भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ हुई 2020 की वर्चुअल बैठक भी प्रभावशाली रहा। इन यात्राओं और बैठकों में बांग्लादेश ने भारत के साथ कई ऐसे समझौते किए। ये समझौते दोनों देशों के बीच संबंधों को बनाए रखने में अहम भूमिका निभा रहा है। बांग्लादेश, भारत के उन तमाम सिद्धांतों का समर्थन करता है जो आतंकवाद के खिलाफ है। बांग्लादेश की शेख हसीना वाजिद वाली सरकार ने अभी हाल ही में चरमपंथी इस्लामिक चिंतन वालों को जबर्दस्त झटका दिया है। यही नहीं पाकिस्तानी सोच वाले आतंकी गुटों पर नकेल भी कसा है। शेख हसीना का चिंतन हर इस्लामिक देशों को मानना चाहिए। उन्होंने अपने देश को उदार इस्लामिक देश के रूप में दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है। शेख चाहती हैं कि उनका बांग्लादेश शांति, सह अस्तित्व और विकास के सिद्धांत पर चले। इस दिशा में वे सफलता के साथ आगे बढ़ रही हैं। इस सफलता में कहीं न कहीं भारत की अहम भूमिका है। आने वाले समय में भारत-बांग्लादेश की दोस्ती दुनिया के सामने कई कीर्तिमान स्थापित करेगा और दक्षिण एशिया के विकास में मील का पत्थर साबित होगा।

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