संघमुक्त भारत नहीं शराबमुक्त भारत नीतीष का एजेंडा होना चाहिए

गौतम चैधरी
जनता दल युनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीष कुमार का नषामुक्त देष वाला अभियान अब रंग लाने लगा है। संभवतः नीतीष के इसी अभियान की लोकप्रियता को देखकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बारे में अब यह प्रचार प्रारंभ किया जा रहा है कि वे जिस विमान में यात्रा करते हैं उस विमान में घोषित रूप से शराब परोसने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है। विगत दिनों सोषल मीडिया पर इस बात को जबरदस्त तरीके से प्रसारित करने का प्रयास किया गया। इस प्रकार का प्रचार, नीतीष के एंटी लीकर कंपेन के बाद ही क्यों किया गया, यह समझ से परे है लेकिन इससे इस बात को बल मिलने लगा है कि नीतीष के लीकर-फी इंडिया कंपेन का असर प्रधानमंत्री की छवि तक पर भारी पड़ने लगा है। यदि मोदी के बारे में यह कहा जा रहा है कि उनकी यात्रा वाले विमान में शराब परोसने पर प्रतिबंध लगा दिया जाता है तो इस बात का प्रचार पहले भी किया जा सकता था लेकिन नीतीष के अभियान के बाद ही प्रधानमंत्री के बारे में इस प्रकार का प्रचार निःसंदेह नीतीष कुमार के अभियान की लोकप्रियता को चिंहित करता है।
दूसरी ओर विगत दिनों दी हिन्दू के पहले पन्ने पर छपी एक स्टोरी पढ़ी। कहांनी रोहतास के वैजन्ती देवी की है। शराब के कारण उसका परिवार विखर गया था लेकिन 16 साल के बाद वैजन्ती का परिवार फिर से एक हो गया। वैजन्ती कहती है कि उसका पती नीतीष कुमार के कारण उसके साथ रहने को विवष हुआ है। बिहार में यह कोई एक घटना नहीं है। बिहार के लाखों परिवार ऐसे हैं जो नषा और शराब के कारण बर्बाद हो रहा था। शराब के खिलाफ बिहार में माहौल भी बनने लगा था। खासकर बिहार की महिलाएं इस मामले को लेकर बेहद संवेदनषील हो गयी थी। अब बिहार की आधी आबादी नीतीष कुमार के इस कदम के कारण नीतीष के पक्ष में खड़ी दिख रही है। नीतीष कुमार नषामुक्त कंपेन को बड़ी तसत्ती से आगे बढ़ा रहे हैं। यदि नीतीष कुमार का यह अभियान सफल रहा तो बिहार के साथ ही साथ उड़ीसा और झारखंड में नीतीष एक बड़ी राजनीतिक ताकत के रूप में उभर सकते हैं।
यहां यह भी बताना उचित रहेगा कि जो लोग गुजरात की शराबबंदी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ जोड़ते हैं उन्हें शायद यह पता नहीं है कि मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तो उन्होंने गुजरात में आंषिक रूप से शराब पर प्रतिबंध हटाने की पूरी कोषिष की थी लेकिन गांधिवादियों के दबाव में उन्होंने अपनी इस योजना पर पैर पीछे कर लिया और गुजरात में शराबबंदी पर प्रतिबंध उसी रूप में बरकरार रहा जिस रूप में मोरारजी भाई ने लागू किया था। मोरारजी भाई देसाई गुजरात की तर्ज पर पूरे देष में शराबबंदी की योजना में थे और वे ऐसा कर भी देते लेकिन ऐन मौके पर उनकी सरकार चली गयी और देषभर में शराबबंदी लागू नहीं हो पाया। एक समाजवादी कार्यकत्र्ता मुझे वर्धा में मिले। संभवतः गुजरात के ही रहने वाले थे। नाम मुझे याद नहीं आ रहा है। उनका तो यहां तक कहना था कि मोरारजी भाई देसाई की सरकार गिराने में लीकर लाॅबी की भी बड़ी भूमिका थी। इसी प्रकार की कुछ बातें मुझे गुजरात के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक प्रचारक ने भी बताया था। मैं उनका नाम यहां नहीं लेना चाहता हूं क्योंकि वे आज भी नरेन्द्र भाई के काफी निकट हैं। संघ के प्रचारक देसाई अनाविल ब्राह्मण हैं और सूरत के आस-पास कहीं के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि जब मोरारजी भाई ने गुजरात में शराब पर प्रतिबंध लगाया था तो उनके खिलाफ लीकर लाॅबी सक्रिय हो गयी थी। उन दिनों गुजरात में शराब का धंधा दो खास जाति के व्यापारियों के हाथ में था। इस लाॅबी ने मोरारजी भाई को बड़ा परेषान किया लेकिन वे अपने निर्णय पर अडिग रहे। भले विभाजित महाराष्ट्र में शराब पर प्रतिबंध जारी नहीं रह पाया लेकिन गुजरात में आज भी शराब पर प्रतिबंध है।
नीतीष कुमार जिस प्रकार शराबबंदी को लेकर अभियान चला रहे हैं उससे उनको कितना राजनीतिक फायदा होगा यह तो समय बताएगा लेकिन इस अभियान में यदि नीतीष कुमार सफल रहे तो वे राष्ट्रीय राजनीति में बड़ी ताकत के रूप में उभर सकते हैं। बिहार के अलावा पष्चिम बंगाल, उड़ीसा, झारखंड, उत्तर प्रदेष आदि राज्यों में तो शराब के कारण कई प्रकार की सामाजिक आर्थिक बुराइयां पनप रही है। यही नहीं इन राज्यों में अपराध का ग्राफ भी शराब के कारण बढ रहा है। आंकड़े बताते हैं कि जब से बिहार में शराब पर प्रतिबंध लगा है तब से अभी तक अपराध में 27 प्रतिषत की कमी आयी है। हालांकि यह आंकड़ा बिहार सरकार की ओर से जारी किया गया है और इसकी विष्वसनीयता पर तुरत से विष्वास करना भी उचित नहीं होगा लेकिन बिहार से जिस प्रकार की खबरें आ रही है वह आनंद देने वाला है। बिहार में 06 हजार से ज्यादा शराब के ठेके थे। अवैध ढंग से तो गांव-गांव में शराब का ठेका खोल दिया गया था। अब ये सारे ठेके बंद कर दिये गये हैं। ग्रामीण क्षेत्रों की तो जानकारी अभी उपलब्ध नहीं हो पायी है लेकिन शहरी क्षेत्रों से जो आंकड़े सामने आ रहे हैं उसमें 33 प्रतिषत सड़क दुर्घटनाओं में कमी आ गयी है। नीतीष का यह अभियान पूरे देष की महिलाओं को अपनी ओर आकर्षित करने लगा है। अभी-अभी झारखंड की कुछ महिलाओं ने नीतीष कुमार को बुलाकर शराब के खिलाफ चलने वाले अभियान का उद्घाटन करवाया। पूर्वी उत्तर प्रदेष में भी नीतीष कुमार के इस अभियान का प्रभाव पड़ने लगा है। अब बिहार से सटे राज्यों में महिलाएं सक्रिय होने लगी है। नीतीष कुमार ने सीमावर्ती क्षेत्र से शराब तस्करी को रोकने के लिए महिलाओं की ब्रिगेड खड़ी की है। शराब तस्करी रोकने का अभियान पूर्णतः महिला संगठनों के हाथ में है।
दूसरी ओर शराब की लाॅबी भी नीतीष के खिलाफ सक्रिय हो गया है। इस लाॅबी के द्वारा नीतीष के खिलाफ प्रचार प्रारंभ कर दिया गया है। नीतीष के खिलाफ प्रचार अभियान को कही धर्म से जांड़ा जा रहा है तो कही जाति से जोड़ दिया गया है। यही नहीं शराब लाॅबी नीतीष के अभियान से इतने भयभीत हैं कि वे राजनीतिक दलों को भी प्रभावित करने लगे हैं। तभी तो शराब बंदी का स्वागत करने के बदले बिहार भाजपा नीतीष के शराबबंदी अभियान की असफलता का प्रचार करने लगी है। इसे बिहार भाजपा की हताषा का परिचायक ही कहा जाना चाहिए।
बिहार में शराबबंदी से फायदे हो रहे हैं, इसका प्रचार पारंपरिक मीडिया में कम जगह पा रहा है लेकिन नीतीष के इस अभियान की असफलता की चर्चा जबरदस्त तरीके से हो रही है। इससे यह साफ साबित हो रहा है कि नीतीष कुमार के खिलाफ अब लीकर लाॅबी सक्रिय होने लगी है। सचमुच नीतीष यदि शराबमुक्त भारत के नारों के साथ अपने अभियन में लगे रहे तो संभव है वे बड़ी ताकत के रूप में उभरेंगे यदि इस अभियान में वे असफल हो गये तो उनका राजनीतिक करियर भी समाप्त हो सकता है। वैसे ये बड़ा अभियान है और राजनीतिक ताकत देने वाला भी है लेकिन इसके लिए नीतीष कुमार को संघ मुक्त भारत जैसे अनरगल नारों से बचना होगा। नहीं तो वे नाहक विवादों में फस जाएंगे और अपने मूल अभियान से भटक जाएंगे। 

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