अब राम के वन गमन पथ पर पंगा, मंत्रालय और एडवाइजरी कमेटी आमने-सामने


गौतम चौधरी 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक राम सर्किक का विकास है। यह भारत के लिए ही नहीं दुनिया भर में बसे हिन्दुओं के लिए धार्मिक आस्था की बात है। भारतीय राष्ट्रवाद और इस देश के लिए बेहद अच्छी योजना नरेन्द्र भाई की सरकार लेकर आ रहे हैं लेकिन इस योजना के साथ जो छेड़-छाड़ की जा रह है वह हिन्दुओं के आस्था पर प्रहार से कम नहीं है। विगत दिनों हमारे प्रधानमंत्री नेपाल के प्रवास पर गए थे। वहां उन्होंने माता जानकी के जनकपुर स्थित मंदिर का भी दर्शन किया। जानकी मंदिर में गूंजती घंटी प्रधानमंत्री मोदी के नेपाल में होने की गवाही दे रही थी। सियाराममय माहौल में रामायण सर्किट की चर्चा भी बेहद स्वाभाविक था। 
आपको बता दें कि साल 2016 में भारत सरकार ने रामायण सर्किट की घोषणा की थी। दो साल बीत गए हैं लेकिन इस सर्किट पर अभी तक कुछ भी नहीं हो पाया है। इस मामले पर अपने दूरदर्शन के लिए रिपोर्टिंग करने वाले वरिष्ट पत्रकार अमिताभ बताते हैं कि सरकार ने राम सर्किट निर्माण के लिए बाकायदा एक एक कमीटी बनाई है। उसके अध्यक्ष राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं विश्व हिन्दू परिषद् से जुड़े विद्वान, जिन्होंने भगवान राम की यात्रा पर आधिकारिक किताब लिखी है, डाॅ. रामावतार को बनाया है। उस समिति में वैष्णव संत एवं कथावाचक आदरणीय विजय कौशल जी महाराज को भी रखा गया है लेकिन मंत्रालय, मंत्री और सचिवालय की अकर्मण्यता के कारण दो साल में इस एडवाजरी कमेटी की मात्र दो बार बैठक हुई। उस बैठक में भी कोई निर्णय नहीं लिया गया। 

मसलन इस महत्वपूर्ण विषय में डॉ. रामावतार शर्मा ने बताया दो साल में दो बैठक हुई है, मेरे पास कोई अधिकार नहीं है, दफतर, स्टाफ और मंत्रालय का पास तक नहीं है। उन्होंने बताया कि राम वन गमन के मार्ग में मंत्रालय द्वारा संशोधन कर दिया गया है। डाॅ. शर्मा का आरोप है कि यह अराध्य भगवान से जुड़े करोड़ों हिन्दुओं के आस्था के साथ खिलवाड़ किया गया है। डॉ. शर्मा ने बताया कि जो गलती हो गयी है वो दुबारा नहीं हो, यही कोशिश है, रामायण सर्किट में गलती से एक वैसा स्थान भी शामिल हो गया है, जहाँ राम जी कभी गए ही नहीं। शर्मा इतने क्षुब्ध हैं कि उन्होंने यहां तक कह दिया, अब राम जी ही जाने कैसे होगा राम जी का काम। दरअसल, ये बात शर्मा जी को मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा था, शर्मा जी आप परेशान मत हों राम जी काम राम जी ही कर लेंगे। 

आज जो लोग देश को चला रहे हैं उनकी राजनीति के केन्द्र में भगवान श्री राम का होना बेहद जरूरी हैं। दरअसल, इन लोगों की भगवान श्री राम पर आस्था कितनी है यह तो पता नहीं लेकिन भगवान इन्हें वोटबैंक जरूर दिख रहे हैं। इस बात की चर्चा जब शर्मा ने संत विजय कौशल जी महाराज के समक्ष किए तो उन्होंने भी खिन्नता प्रगट की और कहा कि ये हमारी आस्था के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। यद्यपित जब रामायण सर्किट का गठन हुआ था, तब सामने उत्तर प्रदेश के विधानसभा का चुनाव था। उस चुनाव के लिए भाजपा को यह जरूरी लगा लेकिन बाद में वे सारे के सारे वायदे कमजोर पड़ते चले गए। 

भगवान श्री राम की जन्म भूमि तो राजनीति का अखाड़ा बन ही गया है। अब हमारी राजनीति के आदर्श भगवान श्रीराम का वन गमन पाथ भी राजनीति और व्यापार की भेंट चढ़ता दिख रहा है। अब आपको यह भी बता दें कि यह सर्किट आखिर है क्या? भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय ने  साल 2016 में रामायण सर्किट का गठन किया। एक अध्यक्ष समेत कुल पांच सदस्यों वाली रामायण सर्किट को धार्मिक पर्यटन के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण योजना करार दिया गया था। रामायण सर्किट के कार्यक्षेत्र  में नेपाल से श्रीलंका तक के महत्वपूर्ण स्थल निर्धारित किये गये  थे, श्रीराम से सम्बद्ध  मान्यता और आस्था वाले  स्थलों के  चयन और उनके विकास की रुपरेखा  तैयार करने की जबाबदेही भी रामायण सर्किट के  जिम्मे लगाई गयी। ठीक उसी समय  भारत सरकार के राजमार्ग एवं परिवहन मंत्रालय ने भी अपनी रामभक्ति जाहिर की। राम वनगमन पथ के निर्माण और विस्तार की  योजना मंत्रालय की ओर से प्रस्तावित की गयी। श्रीराम के वनगमन पथ और महत्वपूर्ण स्थल चयन के आधार भी बेहद दिलचस्प है। इस संदर्भ में डाॅ. शर्मा बताते हैं कि रामायण सर्किट और राम वनगमन पथ, योजना के घोषणा के समय को ठीक से देखा जाए तो सरकार की मंशा को समझना बेहद आसान होगा। दरसल, इन योजनाओं  की घोषणा जिस वक्त की गयी वो वक्त यूपी के लिए चुनावी वक्त था। सरकारी सर्वेक्षण  के बिना शुरू हुए  इन योजनाओं को पूरा करने की कोई भी डेड लाइन  फिलहाल तय नहीं है। मतलब बेहद साफ है सियासत की रामनीति  कभी भी करवट ले सकती है। 

राम सर्किट एडवाइजरी बोर्ड के अध्यक्ष डाॅ. रामावतार शर्मा का आरोप है कि मंत्रालय ने भगवान राम के वन गमन मार्ग में श्रंगमेरपुर, केवट द्वारा पार उतारे जाने के बाद भगवान जहां रात्रि विश्रम किए टाटासरुआ, त्रिवेणी संगम, भारद्वाज आश्रम, अक्षयवट, यमुना पार करने का स्थान, कुमारद्वय, वालमीकी आश्रम, केवट ने जहां से भारत जी को चित्रकूट के दर्शन कराए, ये सारे स्थान हटा दिए हैं। डाॅ. शर्मा ने बताया कि सरकार से आशाएं थी वह ध्वस्त हो गयी है। यदि इन स्थानों को भगवान राम वन गमन पथ से हटा देगी तो हमारी पौराणिक आस्था खंडित होगी और फिर इसका कोई औचित नहीं रह जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसा क्यों कर रही है यह राम जी जाने लेकिन मुझे तो मोदी सरकार से उम्मीद थी वह अब समाप्त हो गयी है। 

अब जब 2019 का आम चुनाव निकट आया तो एक बार फिर से सरकार इस योजना को लेकर मैदान में है। कहा जा रहा है कि इस योजना से करोड़ों युवाओं को नौकरी मिलेगी। कहा यहां तक जा रहा है कि इस योजना को लेकर खुद प्रधानमंत्री चिंता कर रहे हैं। अब इसे स्वदेश दर्शन योजना के तहत केन्द्र सरकार देशभर में टूरिज्म को बढ़ावा देगी। कहा जा रहा है कि सरकार रामायण सर्किट के विकास के लिए तेजी से कदम बढ़ा रही है। लेकिन विभाग और एडवाइजरी कमेटी के बीच जो आस्था का अंतरविरोध है वह अभी भी यथावत है। इसे जबतक दूर नहीं किया जाता तबतक इस पूरी योजना को परवान चढ़ाना सरकार के लिए आसान नहीं होगा।

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