बिहार में इन 10 कारणों से प्रभावी और अपरिहार्य बने हुए हैं नीतीश कुमार


गौतम चौधरी

नीतीश कुमार एक बार फिर से अजेय और अपरिहार्य होकर उभरे हैं। नीतीश के बारे में यही कहा जाता है कि वे चुनौतियों को अवसर में बदलने वाले नेताओं में से हैं। उन्होंने विपरीत परिस्थिति में अपने आप को खड़ा किया है। लालू यादव के पराभव के बाद बिहार में दो ताकतों का उदय हुआ, जिसमें से एक नीतीश कुमार हैं और दूसरे रामविलास पासवान। रामविलास की विरासत बहुत ज्यादा मजबूत नहीं हो पायी लेकिन अपनी चतुराई और राजनीतिक कौषल के बदौलत नीतीश कुमार बिहार की राजनीति को अपने चारो तरफ नचाते रहे हैं। आइए जानते हैं नीतीश कुमार की मजबूती के 10 कारण: -


पहला, नीतीश कुमार में विकास को मुद्दा बनाने वाले नेता की छवि है। जेडी (यू) और नीतीश कुमार बिहार में अभी भी एक बड़ी ताकत हैं और उनको दरकिनार कर किसी के लिए भी सरकार चलाना आसान नहीं है। यही वजह है कि कोई जोखिम लिए बगैर बीजेपी ने भी नीतीश को ही एनडीए का नेता मानकर चुनाव लड़ने का फैसला किया। चुनाव परिणाम में आधे के आसपास सीट रहने के बाद भी भाजपा नीतीश कुमार को ही मुख्यमंत्री बनाई। इससे यह साबित हो गया है कि नीतीष कुमार बिहार की राजनीति के लिए अपरिहार्य हैं। पिछले कुछ वक्त से ऐसा लग रहा था कि इन चुनावों में एक मजबूत एंटी-इनकंबेंसी या सत्ता विरोधी लहर उभर रही है और जेडी (यू) को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है, लेकिन, मौजूदा वक्त में कोई भी राजनीतिक विश्लेषक यह कहने की स्थिति में नहीं है कि जेडीयू की हालत कमजोर है। इसके अलावा, बाढ़ के दौरान और उससे पहले कोरोना महामारी रोकने के लिए लागू किए गए देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों की दिक्कतों और उनकी घर वापसी के इंतजामों को लेकर नीतीश सरकार की बड़ी आलोचना हुई। माना जा रहा है कि प्रवासी मजदूरों का यह तबका, जिसमें लाखों लोग आते हैं, नीतीश कुमार से खासा नाराज हैं और उनका वोट इस बार दूसरी तरफ जा सकता है लेकिन ऐसा जाता नहीं दिख रहा है। बिहार की सड़कें सुधर गईं, बिजली की आपूर्ति पहले से ज्यादा होने लगी, पटना में कई पुल और फ्लाईओवर बने. बिहार में विकास दिखने लगा। बिहार के शहर और गांवों में बिजली की स्थिति काफी सुधर गयी है। शिक्षा के मामले में भी नीतीश कुमार ने कमाल का काम किया है। इसके पीछे का एक बहुत बड़ा कारण नीतीष कुमार की विकासवादियों वाली छवि है।


दूसरा, नीतीष कुमार सामाजिक अभियंत्रण के माहिर खिलाड़ी हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राजनीति का माहिर खिलाड़ी माना जाता है। उन्होंने न केवल राज्य में मुख्यमंत्री के रूप में कई पाड़ियां खेली हैं, बल्कि केंद्रीय मंत्री के रूप में भी वे सफलता के साथ काम कर चुके हैं। बिहार के नालंदा जिले के कल्याण बिगहा के रहने वाले नीतीश बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। साल 1974 में जयप्रकाश नारायण के संपूर्ण क्रांति के जरिए राजनीति में आए। नीतीश बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और अपने जमाने के धाकड़ नेता सत्येंद्र नारायण सिंह के भी काफी करीबी रहे हैं। साल 1985 में नीतीश पहली बार बिहार विधानसभा के सदस्य बने और उसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। साल 1987 में वे युवा लोकदल के अध्यक्ष बने और 1989 में जनता दल के सचिव बनाए गए। साल 1989 में पहली बार वे बाढ़ संसदीय क्षेत्र से सांसद बने। उन्हें केंद्र में कृषि राज्यमंत्री का दायित्व सौंपा गया था। साल 1998 से 1999 के बीच कुछ समय के लिए नीतीश ने केंद्रीय भूतल और रेल मंत्री का दायित्व संभाला। इसके बाद साल 2001 से 2004 के बीच केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में रेलमंत्री रहते हुए उन्होंने बिहार के लिए कई महत्वपूर्ण काम किए।


बीजेपी से गठबंधन टूटने के 11 महीने बाद भी नीतीश ने अपने मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं किया। बिहार में जेडीयू और बीजेपी गठबंधन इतनी मजबूती के साथ उभरा कि इसने 15 साल पुरानी लालू-राबड़ी सरकार को उखाड़ फेंका। साल 2005 में हुए विधानसभा चुनाव में इस गठबंधन को बहुमत मिला और नीतीश बिहार के मुख्यमंत्री बने। न्याय के साथ विकास उनका मूलमंत्र रहा है। नीतीश कुमार ने लालू यादव के सामने जातीय अभियंत्रण की चुनौती पेश की और उसमें वे जीत गए। उन्होंने पिछड़ों में जो अत्यांत पिछड़े थे उसका एक मजबूत गठबंधन तैयार कर दिया और बिहार में अपराजेय के साथ ही साथ अपरिहार्य भी हो गए।


तीसरा, नीतीश कुमार को पिछड़ी राजनीति का पुरोधा माना जाता है। यही नहीं मुस्लिम वोटबैंक में सेंध लगाने में भी नीतीश कुमार कामयाब रहे हैं। अमूमन, मुस्लिम वोट बैंक पर लालू प्रसाद यादव का कब्जा कहा जाता है लेकिन नीतीश कुमार ने उस छवि को बदल दी है। उन्होंने मुस्लिम वोट बैंक में विभाजन पैदा किया। कमजोर तबके के मुसलमानों के हितों में फैसला लेकर मुस्लिम वोटों को अपने पक्ष में करने में कामयाब रहे।


पांचवां, नीतीश कुमार राजनीतिक संतुलन बनाए रखने में माहिर हैं। इसके साथ ही साथ बिहारी स्वाभिमान का प्रतीक बनकर भी नीतीष उभरे। नीतीश कुमार को बिहारी स्वाभिमान का आधुनिक प्रणेता भी माना जाना चाहिए। उन्होंने बिहारियों को एक प्रकार का मनौवैज्ञानिक बल दिया है।


सातवां, नीतीश कुमार का महिलाओं के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण भी उनकी सफलता के मुख्य कारणों में से एक है। इसका आषय यह है कि उन्होंने ग्रामीण महिलाओं की सुरक्षा और आर्थिक समृद्धि का खासा खयाल रखा है। उन्होंने महिलाओं के लिए जीविका और शराब बंदी की, जिसका फायदा उन्हें बराबर से मिलता रहा है। यही नहीं स्वयंसहायता समूह के माध्यम से बिहार की कमजोर महिलाओं को आर्थिक समृद्धि का रास्ता भी दिखाया है।


आठवा, शराब बंदी करके राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय दिया है नीतीष कुमार ने। नौमा, नीतीश समाजवादी छवि बनाए रखने में कामयाब रहे हैं। लाख भाजपा की सम्प्रदायिक छवि के बाद भी नीतीश कुमार अपनी समाजवादी और सेक्युलर की छवि बना कर रखने में कामयाब हुए हैं।


दसवां, कमजोर तबकों को आर्थिक और सामजिक दृष्टि से मजबूत बनाया है। नीतीश कुमार ने कमजोर वर्ग के लोगों को न केवल आर्थिक ताकत दी अपितु उन्हें सामाजिक शक्तियों से सज्ज किया। इसके लिए उन्होंने अपनी नीति में संषोधन किया। ग्राम पंचायत को मजबूत बनाया साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को पहुंचाने में कामयाबी हासिल की।


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