पहले अपने गिरेवान में झांकें सांसद

आखिर केजरीवाल जी को ही दोषी क्यों ठहराएं, जिन लोगों ने संसद भवन पर भौतिक रूप से आक्रमण किया उन्हें तो आप बचाने पर लगे हैं और जिसने सही कह दिया उसको धमका रहे हैं। भारत के मान और स्वाभिमान के प्रतीक संसद की गरिमा उस समय कहां चली जाती है जब खुद सम्मानीय सांसद उसे तार तार कर रहे होते हैं। बुरा मत मानें सांसद, उन्ही के सदन में सब के सामने कुर्सियां चलती है। एक दूसरों को गालियां दी जाती है। संवैधानिक मर्यादाओं को ताक पर रखकर अष्लील क्लीपिंग देखी जाती है। पता नहीं एक बार शायद गांधी जी भी नाराज होकर कह दिये थे कि सांसद बांझ ही नहीं वेष्या भी है। केजरीवाल की बात पर ववाल क्यों? हो सकता है वे भावना में बह गये होंगे लेकिन उन्होंने जो कहा है वह गलत नहीं है। अब आप कहेंगे कि जनता ऐसे सांसदों को चुनती क्यों है। आपको पता है कि बिहार में लालू यादव को भी जनता ही चुन कर भेजा करती थी। साहबुद्दीन और पप्पु यादव को जनता ही चुना करती थी। जिसे आप चुनाव कहते हैं वह मात्र दिखावा है। अब तो शरीफ लोग वोट भी डालने नहीं जाते। कहने के लिए, दिखाने के लिए वोट का प्रतिषत बढ रहा है, लेकिन मतदान केन्द्रों पर जाकर देखें, चुनाव के प्रति लोग उदासीन होते जा रहे हैं। हां केजरीवाल भी दुध के धुले नहीं हैं। वे भी उसी व्यवस्था की उपज हैं जिस व्यवस्था को वे गलिया रहे हैं लेकिन उन्होंने कोई गलत बात नहीं कही है।
तथाकथित सम्मानीय सांसद ही बतावें की वे संसद में करते क्या हैं? सारा काम तो देष की कार्यपालिका के हाथों गिरवी रख दी गयी है। कौन सा प्रष्न महत्व का है उसे तारांकित करना है या फिर अतारांकित करना है यह तय करता है सदन का सचिव और वह भारतीय प्रषासनिक सेवा का अधिकारी होता है। यानि संविधान नौकरषाह बनाता है। संविधान का निर्वहन नौकरषाह करता है और संविधान की व्याख्या अभिजात्य घरानों के न्यायमूर्ति, तो आखिर सांसद करते क्या हैं? किसी को पता नहीं। तो फिर उस गैर जरूरी संसद भवन को केजरीवाल जी ने अपमानित ही कर दिया तो उसमें बुरा क्या है? याद रखना जब सत्ता पर से जनता का विष्वास हट जाता है तो राजसत्ता बहुत दिनों तक कायम नहीं रहती है। हां जनता को उसकी बडी कीमत चुकानी हाती है लेकिन व्यवस्था के चरम पर बैठे लोगों को भी परेषान होना होता है। भारत की जनता को भारतीय लोकतंत्र पर से विष्वास उठने लगा है। इस विष्वास का उठना बडा खतरनाक है। केजरीवाल को गलियाने से पहले सांसद अपने गिरेवान में झांके उन्हें पता चल जाएगा कि वे कहां खडे हैं।  

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